-प्राइवेट पर लगाम नहीं, गवर्नमेंट एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस भी मनमानी पर हैं उतारू
ALLAHABAD: प्राइवेट एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स की भारी-भरकम फीस के चलते उच्च शिक्षा ग्रहण कर पाना आम छात्र के बस के बाहर की बात होती जा रही है। ऐसे में गवर्नमेंट एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स भी उसी राह पर चल पड़े तो मध्यम वर्ग या उससे नीचे जीवन यापन करने वाला छात्र आखिर पढ़ाई के लिए कहां जाए? एग्जाम्पल के तौर पर देखें तो सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद में तमाम सारे ऐसे कोर्स संचालित हैं। इनकी फीस के बारे में साधारण छात्र कल्पना भी नहीं कर सकता।
80 फीसदी सीट खाली
बात डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेजेस की करें तो इलाहाबाद में इसके ढेर सारे इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के बड़े संस्थान संचालित हैं। इनमें हर साल 80 फीसदी से ज्यादा सीटें यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित यूपीएसईई की काउंसिलिंग में खाली रह जाती हैं। जानकार बताते हैं कि ऐसे कॉलेजेस में मैनेजमेंट कोटे के नाम पर बड़ा खेल होता है। कॉलेजेस मेन काउंसिलिंग के बाद खाली सीटों को भरने के लिए मनमाने दाम वसूलकर दाखिला देते हैं। इनमें हॉस्टल, वाई-फाई फैसिलिटी, 100 फीसदी कैम्पस प्लेसमेंट, ई-लाईब्रेरी, वीडियो कांफ्रेंसिंग क्लासेस, स्मार्ट क्लासेस के नाम पर बड़े बड़े प्रलोभन भी दिए जाते हैं।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस स्ट्रक्चर
एलएलबी- 1224 रुपए
बीएएलएलबी- 50,000 रुपए
बीए, बीएससी एवं बीकॉम फीस जनरल एंड ओबीसी
विदाउट प्रैक्टिकल- 924 रुपए
विद प्रैक्टिकल- 1074 रुपए
एससी एंड एसटी
विदाउट प्रैक्टिकल- 180 रुपए
विद प्रैक्टिकल- 330 रुपए
इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज में संचालित कोर्स का फीस स्ट्रक्चर
-एमवोक इन मीडिया स्टडीज- 37 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-एमसीए- 60 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-एमएससी फूड टेक्नोलॉजी- 32 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-एमएससी न्यूट्रिशनल साइंस- 32 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-एमवोक इन फैशन डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी- 37 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-पीजीडीसीए- 20 हजार रुपए
-बीए इन मीडिया स्टडीज- 31 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-बीवोक इन मीडिया स्टडीज- 27 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-बीसीए- 52 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-बीवोक फूड प्रोसेसिंग एंड टेक्नोलॉजी- 35 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-बीए इन फैशन डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी- 26 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-बीवोक इन फैशन डिजाइन एंड टेक्नोलॉजी- 27 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
-टू इयर डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एडेड फैशन डिजाइन- 24 हजार फर्स्ट सेमेस्टर
इन बातों पर करें गौर
- इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने वर्ष 2016 में संघटक कॉलेजेस को पीजी की मान्यता प्रदान की थी।
-लेकिन कॉलेजेस ने पीजी के लिए फीस का जो स्ट्रक्चर निर्धारित किया। वह आम छात्र के बजट से बाहर ही है।
-एयू से जुड़े कॉलेजेस ने पीजी में 04 से 16 हजार रुपए प्रति सेमेस्टर तक फीस निर्धारित कर दी। इसको लेकर कई बार हंगामा भी हो चुका है।
-यही नहीं ईसीसी, हमीदिया गर्ल्स डिग्री कॉलेज और एसएस खन्ना गर्ल्स डिग्री कॉलेज की फीस भी कई कोर्सेस के लिए काफी ज्यादा है।
-ईसीसी, हमीदिया और आर्य कन्या डिग्री कॉलेज में हाल के दिनों में फीस को लेकर काफी हायतौबा भी मच चुकी है।
-केपी ट्रेनिंग कॉलेज और एसएस खन्ना कॉलेज में बीएड की फीस का अंतर काफी बड़ा है।
-यही हाल स्टेट यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेजेस में संचालित प्रोफेशनल कोर्सेस की फीस का भी है।
जरूरी है कि संस्थानों को संसाधनों से लैस बनाने के लिए उच्च शिक्षा के बजट को बढ़ाया जाए। लेकिन ऐसा न होकर मानमाने तरीके से फीस के नाम पर लूट मची हुई है।
-वीरेन्द्र सिंह चौहान
यूनिवर्सिटीज में अनेकों बार ऐसा हुआ है जब फीस वृद्धि की बात आते ही छात्र आंदोलित हो जाते हैं। यह सही भी है। गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशंस में छात्र से फीस वसूलकर संसाधन जुटाने की बात करना ही गलत है।
-अश्वनी कुमार मौर्य
शायद ही कोई ऐसा छात्र संगठन हो ,जिसके एजेंडे में सस्ती से सस्ती उच्च शिक्षा की बात शामिल न हो। लेकिन संगठनों का एजेंडा भी मात्र चुनाव होने तक ही सुनाई देता है।
-विवेक पासवान
ऐसा लगता है जैसे देश में इस ओर गंभीरता से सोचने के लिए कोई मैकेनिज्म काम नहीं कर रहा है। इसका सबसे ज्यादा नुकसान मध्यम वर्ग और उससे नीचे के छात्र को उठाना पड़ रहा है।
-आयुष राय
आज प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक मंहगी होती जा रही है। गरीब वर्ग का मेधावी छात्र समाज की मुख्य धारा से जुड़ने से पहले ही शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। प्राइवेट की राह पर गवर्नमेंट सिस्टम भी काम कर रहा है।
-नवीन पाठक