सीएम की  लैपटॉप बांटने दिलचस्पी

हॉयर एजूकेशन की राह आसान बनाने के लिए लैपटॉप बांटने में सीएम की दिलचस्पी है लेकिन हॉयर एजुकेशन कमीशन का अस्तित्व कैसे बचेगा? हॉयर एजुकेशन में छात्रों की नियुक्तियां कैसे होंगी? इस तरफ उनका बिल्कुल ध्यान नहीं है। वैसे सीएम और उनकी टीम लैपटॉप बांटने के लिए जहां भी गई, यह सवाल प्रमुखता से उठा कि लैपटाप ही बांटेंगे या रोजगार भी देंगे। उम्मीद के अनुरूप जवाब भी मिला। सरकार अधिकाधिक रोजगार पैदा करने की भरसक कोशिश करेगी। मगर, सीएम के दावों के विपरीत हायर एजुकेशन सर्विस कमीशन (एचईएससी) छलावा ही नजर आता है। कहने को कमीशन पर सूबे के डिग्री कालेजेस में रिक्रूटमेंट का जिम्मा है। लेकिन, पिछले कई बरस सालों से यहां होने वाली नियुक्ति का टोटा है। वेंटिलेटर पर पहुंच चुके चेयरमैनविहीन कमीशन को जिंदा रखने के लिए दो दिन बाद केवल एक ही मेम्बर बचेगा।

इससे पता चलती है मंशा

बता दें कि कमीशन को चलाने के लिए एक चेयरमैन और छह मेम्बर का होना जरूरी है। 22 नवम्बर 2011 को कमीशन से सेवामुक्त हुए प्रेसिडेंट डॉ। जे। प्रसाद के बाद आए नए प्रेसिडेंट डॉ। उदयराज गौतम की आकस्मिक मत्यु के बाद से यह पोस्ट खाली चल रही है। उधर, छह मेम्बर में तीन पोस्ट तो पहले ही खाली चल रही थी। करेंट में बचे तीन मेम्बर में सैय्यद जमाल हैदर जैदी का कार्यकाल 15 अक्टूबर को समाप्त हो चुका है। डीपी सिंह का कार्यकाल 19 अक्टूबर को खत्म होगा। इसके बाद कमीशन में केवल एक मेम्बर एसएन मौर्या ही बचेंगे। इनका कार्यकाल भी 6 दिसम्बर को पूरा हो जाएगा.   

यूं ही निकल गए साल दर साल

कमीशन ने 2008 से 2010 के बीच तीन विज्ञापन प्रकाशित कराए। प्रिंसिपल और लेक्चरर के 1083 पोस्ट के लिए विज्ञापन आया तो उम्मींदवारों में उम्मींद की किरण जगी। 75 हजार से ज्यादा कैंडीडेट्स ने दावेदारी पेश की। लेकिन, 2013 अन्तिम दौर में है और इन विज्ञापनों के अगेंस्ट एक भी नियुक्ति का रास्ता नहीं खुल सका है। कमीशन के सोर्सेस का कहना है कि अधिकतर एप्लीकेंट तो अब आस ही छोड़ चुके हैं। यही हाल रहा तो कमीशन के चक्कर में कइयों की बुढ़ौती आ जाएगी। ऐसा नहीं है कि कैंडिडेट्स का आक्रोश कमीशन पर नहीं फूटा है। समय-समय पर कैंडिडेट्स कमीशन के बाहर जोरदार विरोध दर्ज करा चुके हैं। बावजूद इसके परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

कैसे चलेगीं classes?

एक तरह जहां कमीशन पूरी तरह से ठप पढ़ा हुआ है। वहीं स्टेट के अशासकीय डिग्री कालेजेस में टीचर्स की क्राईसेस लगातार बढ़ती जा रही है। वैकेंट पोस्ट पर टीचर्स का एप्वाइंटमेंट न होने से बड़ी संख्या में कालेजेस में टीचर्स का टोटा हो गया है। कई कॉलेजेज में तो महीनों से क्लास नहीं लगी। यह तब है जबकि यूजीसी ने तय कर रखा है कि एक एकेडमिक सेशन में 180 दिन क्लासेस चलना अनिवार्य है। इन कालेजेस में टीचर्स के एडहाक एप्वाइंटमेंट भी होने बंद हो चुके हैं। डायरेक्टर हायर एजुकेशन ने जुलाई 2012 में ही लेक्चरर के 608 वैकेंट पोस्ट कमीशन को सौंपे थे। इन पर नियुक्ति के लिए अभी तक विज्ञापन भी नहीं जारी हो सका है।

नहीं आई रिटेन एग्जाम की नौबत

गवर्नमेंट ने 10 मई 2011 को ही आर्डर जारी करके कहा था कि प्रिंसिपल और लेक्चरर के एप्वाइंटमेंट के लिए रिटेन (आब्जेक्टिव) और इंटरव्यू दोनो लिए जाएंगे। लेकिन, इसकी नौबत अभी तक नहीं आई है। इससे पहले तक केवल इंटरव्यू का ही कान्सेप्ट था। बीच में लेक्चरर के दो सब्जेक्ट के लिए रिटेन एग्जाम करवाने का प्लान किया गया। लेकिन, विवाद में फंसने के बाद 4 सितम्बर 2011 को एग्जाम पोस्टपोंड कर देना पड़ा। आपको जानकर हैरत होगी कि जिस कमीशन ने अनएम्पलायड के सपने को तोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसपर सालाना करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसमें आफिसर्स, इम्प्लाई की सैलरी के अलावा अदर एक्सपेंसेज भी शामिल हैं।

Website तक नहीं है

स्टेट लेवल का कमीशन और एक वेबसाइट तक नहीं। यह सुनकर कोई भी चौंक जाएगा लेकिन यहां की हकीकत तो यही है। एक्स प्रेसिडेंट डॉ। जे प्रसाद ने व्यक्तिगत प्रयासों से एक वेबसाइट तैयार कराई थी। कुछ समय तक इस पर इंफारमेंशन भी अॅपडेट रहीं लेकिन वर्तमान समय में यह पुरानी स्थिति में पड़ी हुई है।

Reported by vikash gupta