उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष प्रो। ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कार्यभार किया ग्रहण

ALLAHABAD: उच्चतर शिक्षा आयोग के जरिए प्रदेश के अशासकीय महाविद्यालयों में पूर्व में जितनी भी असिस्टेंट प्रोफेसर और प्राचार्यो की भर्ती को लेकर विवाद हुआ और प्रक्रिया लंबित है उसको समाप्त करने का समय आ गया है। विज्ञापन संख्या 46 के अन्तर्गत इंटरव्यू की प्रक्रिया हो, विज्ञापन संख्या 47 या विज्ञापन संख्या 48 में प्राचार्यो के ढ़ाई सौ से ज्यादा पदों पर इंटरव्यू की लंबित प्रक्रिया हो इन सभी में पूरी पारदर्शिता और न्याय के साथ के साथ अभ्यर्थियों का चयन किया जाएगा। यह बातें बुधवार को उप्र उच्चतर शिक्षा आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष प्रो। ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कार्यभार संभालने के बाद कही।

शिक्षकों की कमी को करेंगे पूरी

प्रो। विश्वकर्मा ने दो टूक कहा कि प्रदेश सरकार ने इसीलिए जिम्मेदारी सौंपी है कि सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के हजारों पद रिक्त पड़े हैं। जिसकी वजह से क्वालिटी शिक्षा छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पा रही है। प्रो। विश्वकर्मा ने कहा कि इसीलिए विज्ञापन संख्या 47 में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1150 पदों की लंबित प्रक्रिया को लेकर आयोग के सभी छह सदस्यों के साथ बैठक करके उस पर निर्णय लिया जाएगा कि किस आधार पर परीक्षा कराई जाएगी।

दो सदस्यों ने भी संभाला कार्यभार

उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को लम्बे अंतराल के बाद पूर्णकालिक अध्यक्ष मिला है। नए अध्यक्ष प्रो। ईश्वर शरण विश्वकर्मा के अलावा बुधवार को आयोग के नए सदस्यों प्रयाग महिला विद्यापीठ डिग्री कालेज की प्राचार्या डॉ। रजनी त्रिपाठी व बीएसएस कालेज मथुरा के कृष्ण कुमार ने भी अपना कार्यभार ग्रहण किया। इसके साथ ही आयोग में अध्यक्ष सहित सभी सात सदस्यों की संख्या भी पूरी हो गई है।

आयोग के अध्यक्ष का परिचय

उप्र के महाराजगंज जिले के मूल निवासी प्रो। ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने वर्ष 1976 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की और वर्ष 1978 में प्राचीन इतिहास विषय से परास्नातक किया। इसके बाद बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से वर्ष 1982 में रिसर्च पूरा किया और जोधपुर विश्वविद्यालय में तदर्थ शिक्षक के तौर पर नियुक्त हुए। प्रो। विश्वकर्मा ने वर्ष 1998 में गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्यापन कार्य शुरू किया और वर्ष 2006 से उसी विभाग के आचार्य पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा प्रो। विश्वकर्मा उप्र हिन्दी संस्थान व भारतीय अनुसंधान परिषद के नामित सदस्य भी हैं।