- सर्जरी विभाग का 61वां स्थापना दिवस

LUCKNOW: गांव में रहने वाली महिलाओं की तुलना में शहरी महिलाओं को छह गुना ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका अधिक रहती। यह कहना था कि एम्स दिल्ली के सर्जन डॉ। अनुराग श्रीवास्तव का। केजीएमयू के सर्जरी विभाग के म्क्वें स्थापना दिवस के मौके कार्यशाला आयोजित की गई। कनवेंशन सेंटर में आयोजित कार्यशाला में उन्होंने कहा कि शहर और गांव में रहने वाली महिलाओं के खान-पान में ही अंतर नहीं होता है बल्कि उनकी लाइफ स्टाइल भी डिफरेंट होती है।

गांव में रहने वाली महिलाएं शहर में रहने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक परिश्रम करती हैं। इसके अलावा गांवों की आबोहवा और खान पान का भी काफी प्रभाव पड़ता है जिसके चलते गांवों की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की आशंका काफी कम होती है। उन्होंने बताया कि शहरी में शादी में देरी और बच्चे को फीडिंग नहीं करना से भी काफी खतरा बढ़ जाता है।

लाइफ स्टाइल का भी असर

केजीएमयू के इंडोक्राइन सर्जन डॉ.आनन्द कुमार मिश्र ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर से सिर्फ इंडिया में ही महिलाएं बीमार नहीं है अन्य देशों में भी यह बीमारी बड़ी तेजी से अपने पांव पसार रही है। इंडिया में हर एक लाख महिलाओं में फ्0 महिलाओं को बे्रस्ट कैंसर होता है, जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा क्ब्0 से क्भ्0 का है। इंडिया में शहरी क्षेत्र में महिलाएं अपनी जीवनशैली सुधार ले तो इनमें और भी कमी आ सकती है।

एक्सरसाइज भी जरूरी

डॉ। मिश्र ने बताया कि रोजाना ब्0 मिनट की एक्सरसाइज कर कैंसर से बचा जा सकता है। सचुरेटेड फैट और रेड मीट से लोग किनारा कर ले तो ब्रेंस्ट कैंसर की समस्या और भी कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शहरी महिलाओं में एल्कोहल लेने के चलते उन्हें ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

बेहतर होगा वॉल्व रिपेयर करना

अपोलो बेंगलुरु के हृदय रोग विशेषज्ञ सर्जन डॉ.भारत दुबे ने बताया कि जो महिलाएं गर्भधारण करना चाहती हैं, लेकिन वे हृदय रोग से जूझ रही हैं तो ऐसे में उनका वॉल्व प्रत्यारोपित नहीं किया जाना चाहिए। वॉल्व का रिपेयर करना बेहतर होगा। वॉल्व प्रत्यारोपण के बाद मरीज को खून को पतला करने की दवा दी जाती हैं जो कि गर्भधारण में समस्या उत्पन्न करती है। इसक बावजूद वॉल्व प्रत्यारोपण जरूरी हो तो टिशू वॉल्व प्रत्यारोपित करना चाहिये, इसकी औसत आयु क्भ् वर्ष होती है। परिवार पूर्ण कर लेने के बाद मैटेलिक वाल्व प्रत्यारोपित किया जा सकता है।

इलाज से लंबा जीवन जी सकते हैं हार्ट के मरीज

डॉ। दुबे ने बताया कि उन मरीजों में जिनका हार्ट कमजोर हो चुका है और हार्ट पपिंग सुस्त होने कारण शरीर के सभी अंगों मे रक्त संचार नहीं हो पाता है। अधिक उम्र के चलते मरीज की सर्जरी भी नहीं की जा सकती। ऐसे मरीजों में एलवीएडी (लेफ्ट वेंट्रीकुलर एफ्से डिवाइस) प्रत्यारोपित किया जाता है। यह डिवाइस हार्ट से म्0 प्रतिशत रक्त खींचती है और रोलर के माध्यम से मुख्य धमनी एरोटा में प्रेशर केद्वारा भेच देता है। इससे खून शरीर के सभी अंगों तक सामान्य पहुंचने लगता है। इस डिवाइस की लागत 70- 90 लाख की आती है। यह तकनीक इंडिया के कुछ बडे़ शहरों में ही उपलब्ध है। जबकि हार्ट प्रत्यारोपण में मात्र क्भ् लाख का खर्च आता है। डॉ.दुबे के अनुसार कई बार एसिडिटी की वजह से हार्ट में दर्द होता है। इसलिए अगर दवा के बाद भी एसिडिटी ठीक नहीं हो रही है तो हार्ट की ईसीजी और ट्राप्टी टेस्ट कराएं। जिससे हार्ट की बीमारी का पता लग सके।

रोबोटिक सर्जरी की तरफ देना होगा ध्यान

सर्जरी विभाग स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए वीसी प्रो। रविकांत ने कहा कि हमें ऑर्गन ओरीएन्टेड सर्जरी और रोबोटिक सर्जरी की तरफ ध्यान देना चाहिए। केजीएमयू के बारे मे उन्होंने बताया कि अभी संस्थान में 70 विभाग हैं शीघ्र ही बढ़कर 77 हो जायेंगे। इस मौके पर पर वेल्लोर के प्रो.एमजेपॉल ने थायराइड की जांच और इलाज विषय पर जानकारी दी। टाटा मेमोरियल मुम्बई के प्रो। अनिल के डी क्रूज ने मुंह और गले के कैंसर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि व‌र्ल्ड में क्भ् साल के ब्00 मिलियन बच्चे भविष्य में कैंसर के मुहाने पर खडे़ हैं। इस अवसर विभागाध्यक्ष प्रो.अभिनव अरुण सोनकर, डॉ.अरशद अहमद, प्रो.विनोद जैन आदि मौजूद रहे।