प्रशासन की सख्ती और जन सुविधा देखते हुए मंदिर प्रशासन हुआ सहमत

मुआवजा लेने के बाद भी मंदिर के नवनिर्माण के लिए मांग रहे थे भूमि

Meerut । मेरठ-मुजफ्फरनगर नेशनल हाईवे संख्या-58 के चौड़ीकरण में बाधक बौद्ध मंदिर को हटाने का काम शुक्रवार को मंदिर प्रबंध समिति ने ही शुरू कर दिया। तीन सप्ताह पहले प्रबंध समिति ने मंदिर का भवन हटाने के लिए निर्धारित मुआवजा स्वीकार लिया था लेकिन बाद में मंदिर नवनिर्माण के लिए भूमि की मांग करते आनाकानी शुरू शुरू कर दी।

काफी समय से अटका था कार्य

गौरतलब है कि खड़ौली मस्जिद और गांव दायमपुर स्थित बौद्ध मंदिर के कारण एनएच-58 का चौड़ीकरण काफी समय से अटका था। शासन की फटकार के बाद जिला प्रशासन ने तीन माह पहले इन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू की। मस्जिद के प्रबंधकों को भवन का मुआवजा दिया, जिसके बाद प्रबंधकों ने खुद ही मस्जिद का हिस्सा तोड़ना शुरू कर दिया। इसके बाद मंदिर हटाने की कवायद शुरू की गई। हाईवे चौड़ीकरण के लिए एनएचएआइ को करीब आठ मीटर भूमि की जरूरत है। कई चरणों की वार्ता के बाद समिति मुआवजा और मंदिर के नवनिर्माण की मांग पर अड़ गई। जांच में पता चला कि मंदिर सरकारी जमीन पर बना है, जिससे मुआवजा देना संभव नहीं है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने भवन का मुआवजा 13 लाख, 95 हजार, 699 रुपये निर्धारित किया। समिति ने मुआवजे का चेक दो मई को ले लिया।

मांग से हुई देरी

मंदिर का प्रबंध अंबेडकर ज्योति बुद्धविहार एजुकेशनल ट्रस्ट के जिम्मे है। ट्रस्ट संरक्षक के अनुसार प्रशासन, एनएचएआई के अधिकारियों से वार्ता के बाद निर्धारित मुआवजा स्वीकार लिया है। समिति की मांग है कि मंदिर के पीछे खाली पड़ी नगर निगम की जमीन को मंदिर का नया भवन बनाने की अनुमति दी जाए। जबकि मुआवजा स्वीकारने के तीन दिन बाद ही भवन को हटाने का काम शुरू किया जाना था।

टूटना शुरू हुआ मंदिर

मंदिर भवन हटाने के लिए प्रशासन ने मुआवजा राशि मई के शुरू में ही जारी की थी, लेकिन समिति मलबा हटाने के लिए तैयार नहीं हुई। प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी तो शुक्रवार को मलबा हटाने का काम शुरू किया गया।

हाईवे के किनारे स्थित बौद्ध मंदिर भवन को हटाने के लिए प्रशासन मुआवजा जारी कर चुका है लेकिन प्रबंधक नवनिर्माण की मांग पर अड़े हुए थे। उन्हें समझाया तो शुक्रवार से भवन हटाना शुरू कर दिया है।

-अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी

समिति मंदिर ने भवन को हटाने का काम शुक्रवार से शुरू कर दिया है। जरूरी हुआ तो एनएचएआई की मदद ली जाएगी। हम प्रशासन से मंदिर नवनिर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं।

-ज्ञान ज्योति थेरू, मंदिर के संरक्षक