तेजी से चल रहा काम

बरेली से लखनऊ हाईवे को फोर लेन बनाने का काम शुरू हो गया है। इस रूट को तकरीबन 1,026 करोड़ रुपए की लागत से फोर लेन करना है ताकि यह रूट स्मूद हो सके लेकिन इसके लिए सड़क किनारे लगे 12 हजार हरे-भरे पेड़ काटना जरूरी हो गया है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से मिली जानकारी के अनुसार, बरेली से रामपुर रूट में सड़क किनारे लगे करीब 7,000 और बरेली से शाहजहांपुर की ओर करीब 5,000 पेड़ों को काटा जाना है।

This development is injurious to health

विकास की दौड़ में कंकरीट के जंगल बढ़ते जा रहे हैं। स्टैंडड्र्स के मुताबिक, हर शहर में वहां के एरिया के अनुपात में 30 परसेंट ग्रीन बेल्ट होनी चाहिए लेकिन बरेली ही क्या किसी भी शहर में यह मानक पूरे नहीं हो पा रहे हैं। पेड़ों की कटाई तो तेजी से जारी है लेकिन प्लांटेशन प्रोग्राम कहीं नहीं है। ऐसे में बरेली से लगभग 12 हजार पेड़ों को काट देना एनवायरमेंट के लिए और भी नुकसान दायक हो सकता है। बरेली में ग्रीन बेल्ट पहले से ही काफी कम है।

कई साल लगते हैं बड़े होने में

पर्याप्त ऑक्सीजन देने के लिए एक पेड़ को तैयार होने में कई साल लगते हैं। इसलिए सालों पुराने हरे-भरे पेड़ कटवाकर उनके बदले तुरंत कहीं प्लांटेशन न करवाना सही फैसला नहीं है। एनवायरमेंट को संतुलित रखने के लिए केवल हरियाली ही एक मात्र माध्यम है लेकिन 12 हजार पेड़ काटने का कदम बरेली को देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार कर देगा।

लगातार बढ़ रहे vehicles

शहर में पॉल्यूशन बढऩे का दौर जारी है और दूसरी ओर एनवायरमेंट के रक्षक पेड़ों के काटने का भी। शहर में गाडिय़ों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की मानें तो किसी भी क्षेत्र में पॉल्यूशन फैलाने के कारणों में 70 परसेंट हिस्सेदारी केवल ऑटोमोबाइल की होती है। ऐसे में शहर कितने दिनों तक पॉल्यूशन रहित रह सकेगा ये कहा नहीं जा सकता।

मौसम पर असर

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई संस्थाए लगातार चेता रही हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग का प्रभाव तेज हो रहा है। कई सेमिनार और वल्र्ड के कई देशों में ग्लोबल वॉर्मिंग पर चर्चा जारी है। नतीजा केवल एक ही निकल रहा है कि सेव ग्रीन ट्री एंड सेव एनवायरमेंट लेकिन पेड़ों की कटाई लगातार जारी है। काटे जाने वाले पेड़ों के बदले कितने और कब तक पेड़ लगाए जाएंगे, ये फिलहाल तय नहीं है। ग्लोबल वॉर्मिंग का असर मौसम पर दिख रहा है। गर्मी में भीषण गर्मी और ठंड में हड्डी जमा देने वाली ठंड पड़ रही है।

DMRC से लें सीख

देश में सबसे तेजी से ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में क्रांति लाने वाली दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) से बरेली एडमिनिस्ट्रेशन को कुछ सीख लेनी चाहिए। जब दिल्ली में मेट्रो के लिए ट्रैक तैयार किया जा रहा था, तब स्पेशल क्रेन के माध्यम से कई बड़े पेड़ों को जड़ सहित उखाड़ कर किसी अन्य स्थानों पर लगा दिया गया था। इससे वे पेड़ आज भी जीवित हैं और एनवायरमेंट को नुकसान भी नहीं हुआ।

था एक और option

फोर लेन सड़क बनाने के लिए एक और ऑप्शन हो सकता था। मौजूद सड़क के किनारे-किनारे स्थित ग्रीन बेल्ट को ना काट कर, ग्रीन बेल्ट के किनारे ही सड़क का निर्माण किया जा सकता था। इसके लिए आबादी को नई जगह बसाना पड़ता लेकिन इससे एनवायरमेंट को कुछ ज्यादा नुकसान नहीं होता और काम भी हो जाता।

फोर लेन रोड तैयार करने में कई और पेड़ भी काटे जाने का प्रपोजल था लेकिन इनमें से कइयों को हमने बचा लिया। फोर लेन रोड तैयार होने के बाद रोड किनारे पौधे लगाए जाएंगे और जरूरत पड़ी तो आसपास के दूसरे डिस्ट्रिक्ट में भी प्लांटेशन किया जाएगा।

-धर्म सिंह, डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट