- हर माह दर्ज हो रहीं 35 से 40 शिकायतें, सिर्फ दो कर्मचारियों के भरोसे साइबर सेल

- ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में ई-वालेट ने खड़ी की मदद में मुश्किल

रकम को वापस लौटा पाना भी टेढ़ी खीर
ई-कॉमर्स वेबसाइट और बैंकों के ई-वालेट में गई रकम को वापस लौटा पाना भी टेढ़ी खीर है। उधर सोशल मीडिया पर होने वाले अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। गोरखपुर की बात करें तो हर माह रोजाना 35 से 40 मामलों की शिकायत होती है जिनके निस्तारण के लिए साइबर सेल में मात्र दो एक्सपर्ट पुलिस कर्मचारी तैनात हैं। हालांकि एसपी क्राइम का कहना है कि हर शिकायत पर जांच कर कार्रवाई की जाती है। सीमित संसाधनों में भी हम लोग अच्छा काम कर रहे हैं। जल्द ही हमारी टीम को और मजबूत कर दिया जाएगा।

बदला ट्रेंड, अपराधियों ने भी बदला तरीका
साइबर क्रिमिनल्स की सक्रियता इस कदर बढ़ी है कि गोरखपुर में एक साल के भीतर लोगों के बैंक अकाउंट से करीब 10 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन किया जा चुका है। पुलिस स जड़े लोगों का कहना है कि वर्ष 2017 में दर्ज अपराधों में 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। एक जनवरी 2017 से लेकर मार्च 2018 तक गोरखपुर में करीब 389 मामले दर्ज किए गए। जबकि वर्ष 2016 में ये आंकड़ा सिर्फ 213 था। पुलिस का कहना है कि लोकलाज की वजह से लोग तमाम मामलों में शिकायत नहीं दर्ज कराते। कई मामलों में पुलिस के चक्कर लगाने की वजह से भी केस नहीं दर्ज हो पाते। साइबर सेल से जुड़े लोगों का कहना है कि नोटबंदी के बाद लोगों ने अधिक से अधिक ई-कॉमर्स का इस्तेमाल किया। ई-वालेट, पीओएस सहित अन्य सुविधाओं का लाभ लेने की वजह से साइबर क्रिमिनल भी लोगों को शिकार बनाने लगे।

एक साल में 10 करोड़ का चूना
पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि एक साल के भीतर साइबर क्राइम के चलते 10 करोड़ से अधिक का नुकसान पब्लिक को उठाना पड़ा है। इस साल जनवरी, फरवरी और मार्च माह में 30 से 45 मामले दर्ज कराए गए। साइबर क्रिमिनल क्लोनिंग के जरिए ई-वालेट में पैसा रखने वालों काो निशाना बना रहे हैं। ई-कॉमर्स में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल और कैश की जगह डेबिट कार्ड का उपयोग करने वाले इनके टारगेट पर आते रहे हैं। फर्जी सूचनाएं, सस्पेक्टेड गूगल सर्च, मालवेयर विंडो, की-स्ट्रोक और अन्य तरीकों से लोगों को शिकार बनाया जा रहा है। ऐसे मामलों में तुरंत शिकायत दर्ज होने पर कार्रवाई संभव हो पाती है। 24 घंटे के भीतर शिकायत पर भी आधी रकम मिलने की गुंजाइश रहती है। इसके अलावा गोरखपुर में फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर ब्लैकमेल करने, किसी की आईडी पर अश्लील फोटो लगाने सहित कई मामले सामने आ चुके हैं।

ऐसे करते हैं ठगी

- बैंककर्मी बनकर ठगों का गैंग मोबाइल से कॉल कर लोगों से उनके एटीएम, डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जानकारी ले लेता है। इसकी जानकारी होने पर ऑनलाइन ही ग्राहक के बैंक अकाउंट से रकम को अपने ई-वालेट में ट्रांसफर कर लेते हैं।

- फर्जी नाम-पते से बनी आईडी यूज करके खुले अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करके जालसाज एटीएम कार्ड से निकाल लेते हैं।

- पीडि़त व्यक्ति बैंक अकाउंट से ट्रांजेक्शन होने का एसएमएस देखकर बैंक और पुलिस में शिकायत करता है।

- छानबीन में ऑनलाइन फ्रॉड का मामला सामने आता है। पुलिस और बैंक की शिकायत पर ई-कामर्स वेबसाइट की ओर से पीडि़त के ट्रांजेक्शन का रिकार्ड निकालकर जांच की जाती है। ई-कॉमर्स वेबसाइट से ही फ्रॉड का पता चलता है।

ऐस करें बचाव

- इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल अपने पर्सनल कंप्यूटर पर करें।

- रिमेंबर पासवर्ड के ऑप्शन को हमेशा कभी नहीं पर क्लिक करें।

- किसी तरह के ईनाम, लालच वाले पॉपअप और एड को क्लिक न करें।

- क्रेडिट-डेबिट कार्ड के इस्तेमाल के दौरान खुद कार्ड स्वाइप करें।

- मशीन में स्कीमर लगे होने की संभावना हो सकती है।

- डेबिट कार्ड में लिखे सीवीवी नंबर को हमेशा छिपाकर रखें।

- फर्जी ई-मेल को कभी क्लिक न करें। कंप्यूटर हैक हो सकता है।

- ई-वालेट में कम से कम रकम रखें। पेटीएम से पैसा निकालने में भी सावधानी बरतें।

1 जनवरी 2017 से 30 मार्च 2018 तक के मामले

गोरखपुर - 379

देवरिया - 290

कुशीनगर - 170

महराजगंज - 96

फ्रॉड से निपटने के लिए संसाधनों को बढ़ाया जाएगा
नोटबंदी के बाद साइबर क्राइम के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हर माह 35 से 40 मामले सामने आ रहे हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद हमारी टीम पीडि़तों को राहत दिला रही है। इस तरह के फ्रॉड से निपटने के लिए संसाधनों को बढ़ाया जाएगा.
- आलोक शर्मा, एसपी क्राइम