पहले भी कही किराया बढ़ाने की बात

इससे पहले भी रेलवे मिनिस्टर एक अखबार के साथ इंटरव्यू में कह चुके हैं कि रेल किराया बढ़ाने की सख्त जरूरत है. मिनिस्ट्री के एक ऑफिसर का कहना है कि रेलवे की माली हालत अच्छी नहीं है.  पैसेंजर सब्सिडी 26,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है. इस देखते हुए यात्री किराया और माल भाड़ा दोनों में बढ़ोतरी किए जाने की जरूरत है. हालांकि इसमें कितनी बढ़ोतरी होनी चाहिए, इस अभी फैसला होना अभी बाकी है.

जुलाई से मंहगा होगा रेल का सफर

रेलवे मंत्री मिनिस्टर के दूसरे हफ्ते में  2014-15 का रेल बजट पेश करेंगे. इसके साथ ही रेलवे किराया भी बढ़ने के आसार हैं. रेल किराए में बढ़ोत्तरी का मसला 16 मई से पेंडिंग है, जब रेलवे बोर्ड ने सभी क्लास के किरायों में 20 मई से 10 फीसदी बढ़ोतरी का फैसला ले लिया था. लेकिन मोदी सरकार के कामकाज संभालने से पहले इसे लागू करना ठीक नहीं समझा गया था. अब गौड़ा उस फैसले को रेल बजट के माध्यम से लागू करना चाहेंगे. मई में एफएसी (फ्यूल एडजस्टमेंट कंपोनेंट)और छोटे ट्रेनों के मासिक सीजन टिकटों (एमएसटी) का किराया बढ़ाने का फैसला भी हुआ था. इन प्रस्तावों को भी जुलाई के रेल बजट में डाला जा सकता है. इस तरह जुलाई में रेल ट्रांसपोर्ट महंगा होने के पूरे आसार हैं.

रेलवे मिनिस्टर की परेशानियां

सदानंद गौड़ा आजकल रेल बजट की तैयारियों में लगे हुए हैं. उन्होंने कहा कि रलवे के नए प्रॉजेक्ट उन्हीं राज्यों में शुरू होंगे जो इसका आधा खर्च उठाने को राजी होंगे. उनकी दिक्कत यह है कि एक लंबे अर्से से रेलवे मिनिस्ट्री राजनीतिक कद बढ़ाने का जरिया भर बना हई है. इसका नतीजा यह हुआ कि बगैर फाइनेंशियल रिसोर्सेज की परवाह किए, एक के बाद एक घोषणाएं की जाती रहीं. आलम यह है कि अभी करीब पांच लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स अभी पड़े हुए हैं जबकि रेलवे से सालाना आमदनी 25 से 30 हजार करोड़ रुपए का होती है.

आदमनी के नए सोर्स की है जरूरत

साउथ और साउथ वेस्ट रेलवे के कुछ प्रोजेक्ट्स तो ऐसे हैं जो शुरू हो चुके हैं लेकिन उनके पूरा होने में 50 साल तक लग सकते हैं।. वजह यह है कि 1000 करोड़ की कोई परियोजना शुरू तो कर दी गई लेकिन उसके लिए दिए गए महज 10-15 करोड़ रुपए. ऐसे में ज्यों-ज्यों प्रोजेक्ट्स लंबी खिंचते जा रहे हैं वैसे-वैसे उनकी लागत भी बढ़ती जा रही है. फिर इसी वजह से डेडलाइन भी आगे खिसकती जा रहा है. ऐसे में रेल मंत्रालय के सामने इसके अलावा और कोई चारा नहीं है कि आमदनी के नए स्रोत खड़े किए जाएं. रेल का किराया बढ़ाने के सिवा कोई ऑप्शन भी नहीं है.

Business News inextlive from Business News Desk