-साइंटिस्ट बोले, तात्कालिक नहीं, दूरगामी असर दिखेगा आग का

DEHRADUN: उत्तराखंड के जंगलों में धधक रही आग का असर ग्लेशियरों पर भी पड़ने का खतरा बन गया है। साइंटिस्ट मान रहे हैं कि जंगलों में लगी आग के कारण निकल रही कार्बन डाई ऑक्साइड ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचाकर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा देगी। इसी ब्लैक कार्बन केकण ग्लेशियर पर चिपककर सीधे तौर पर भी बर्फ पिघलने की गति को बढ़ाएंगे। जबकि इस बीच बारिश हो जाए तो उससे ग्लेशियरों के पिघलने का ज्यादा खतरा बन जाएगा।

ओजोन लेयर को भ्ाी नुकसान

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलोजी में हिमनद विशेष डॉ। डीपी डोभाल का मानना है कि जिस तरह राज्य में हर तरफ वनाग्नि है। ऐसे में ग्लेशियर भी धुएं के रूप में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस की चपेट में हैं। जबकि अभी यह गैस वायु मंडल में ओजोन लेयर को नुकसान पहुंचा रही है। जैसे ही बारिश होगी तो ब्लैक कार्बन के कण नीचे आकर ग्लेशियर पर परत की तरह बिछ जाएंगे। इनसे ऊर्जा का संचार होगा और ग्लेशियरों के पिघलने की गति बढ़ जाएगी। डा। डोभाल का मानना है कि इसका असर तात्कालिक नहीं, दूरगामी देखने को मिलेंगे। आग से ग्लेशियरों पर पड़ने वाला असर के बारे में फील्ड सर्वे के बाद ही बताया जा सकता है। उन्होंने स्वीकारा कि जल्द ही वैज्ञानिकों का एक दल रवाना होगा।