RANCHI : रांची जिले में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली तीन इंडस्ट्रीज हैं। इनमें मुरी स्थित हिंडालको, टाटीसिलवे स्थित उषा मार्टिन व खलारी स्थित खलारी सीमेंट कंपनी शामिल हैं। दरअसल, झारखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने राज्य में 17 सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले इंडस्ट्रीज को कैटेगराइज्ड किया है। बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी राजीव लोचन बख्सी ने बताया कि यह लिस्ट सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को कैटेगरीवाइज जारी की गई है। इसमें सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रीज की कैटेगरी लिस्ट शामिल है। इसका मकसद इन कंपनियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग करना है। गौरतलब हो कि देश के सबसे प्रदूषित शहरों में रांची 15वें स्थान पर है। यह आंकड़ा अंतरराष्ट्रीय संगठन ग्रीनपीस इंडिया की ओर से जारी किया गया था।

सीमेंट, आयरन व थर्मल पावर

झारखंड में सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाली ऐसे तो 17 अलग -अलग कैटेगरी तय की गई है। लेकिन झारखंड में तीन तरह के उद्योगों से सबसे अधिक प्रदूषण फैल रहा है। इनकी संख्या भी झारखंड में सबसे अधिक है। इसमें सीमेंट बनाने वाली फैक्ट्रियों से सबसे अधिक प्रदूषण फैलता है। इंटीग्रेटेड आयरन एंड स्टील बनाने वाली कंपनियों से और थर्मल प्लांट पावर से सबसे अधिक प्रदूषण फैलता है।

ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी

राजीव लोचन बख्शी ने बताया कि झारखंड में सबसे अधिक पॉल्यूशन वाली इंडस्ट्रीज को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है। इसका मकसद इन उद्योगों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग करना है ताकि प्रदूषण के लेवल को हमेशा कंट्रोल किया जा सके। उन्होंने बताया कि अभी भी ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जा रही है। लेकिन लिस्ट जारी कर कंपनियों को कैटेगरी में बांट दिया गया है।

राज्य में झरिया अव्वल रांची 15 वें स्थान में

देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में झारखंड का झरिया 11वें और रांची 15वें स्थान पर है। जबकि, दिल्ली नंबर एक पर है। वहीं, फरीदाबाद दूसरे और गाजियाबाद सातवें स्थान पर है। अंतरराष्ट्रीय संगठन ग्रीनपीस इंडिया की ओर से जारी वार्षिक रिपोर्ट एयरपोक्लिपस की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की सूची में धनबाद, सरायकेला-खरसावां, जमशेदपुर और पश्चिम सिंहभूम भी शामिल हैं।

वर्जन

सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को कैटेगरीवाइज जारी किया गया है। इसमें सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाली कैटेगरी लिस्ट शामिल है। इसका मकसद है कि इन कंपनियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग सही तरीके से की जाए। अभी कंपनियों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जा रही है।

-राजीव लोचन बख्सी, मेम्बर सेक्रेट्री, झारखंड प्रदूषण नियंत्रण पार्षद