पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की गंभीरता, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की बेबाकी और फिराक गोरखपुरी की शोखियों का कभी रहा गवाह

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टॉयलेट हैं कुल हिंदू हॉस्टल में, इस समय सिर्फ दस यूज करने लायक

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हजार 500 रुपये फीस ली जाती है प्रत्येक हॉस्टलर्स से

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वाटर कूलर लगे हैं, लेकिन चल रहे सिर्फ दो

ALLAHABAD: जिस हॉस्टल में देश के पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, शहीद लाल पदम धर व फिराक गोरखपुरी सहित दर्जनों नामचीन हस्तियां रही हों वह हिन्दू हॉस्टल अब सिर्फ अतीत की सुनहरी यादों को संजोने के सिवाय कुछ नहीं कर पा रहा है। हॉस्टल में वर्षो से न तो इमारत की मरम्मत कराई गई है और न ही मूलभूत सुविधाएं ही छात्रों को मिल पा रही हैं। छात्रों से बस फीस ली जाती है वह भी डबल सीटेड रूम होने की वजह से प्रति छात्र साढ़े नौ हजार रुपए।

184 रूम, 368 हॉस्टलर्स

हॉस्टल में डबल सीटेड कुल 184 रूम हैं, जिसमें 368 छात्र रहते हैं। दुर्दशा का आलम ये है कि 70 टॉयलेट में से महज दस ही सुचारु रूप से चल रहे हैं। इसमें फ्रेश होने में छात्रों को लम्बी लाइन लगानी पड़ती है। परिसर में चार वॉटर कूलर लगाए गए हैं लेकिन सिर्फ दो ही चल रहे हैं। दोनों आरओ महीनों से खराब पड़े हैं। एक कूलर की टोटी खराब होने के बाद पानी बह न जाए इसके लिए छात्रों ने टोटी में पन्नी बांध दी है।

मेस खंडहर, खुद बनाते हैं खाना

हॉस्टल में चार मेस हैं। सभी खंडहर में तब्दील हैं। छह वर्षो से मेस नहीं चलने की वजह से आसपास जंगल जैसा माहौल दिखाई देने लगा है। छात्र एक समय खुद खाना बनाते हैं तो मजबूरी में दूसरे समय बाहर जाकर खाते हैं। यही नहीं फ‌र्स्ट फ्लोर पर कुल 92 रूम हैं और उनके सामने रेलिंग लगी है, लेकिन वह जगह-जगह टूटी हैं। हालांकि इसे ईट से जोड़ा गया है, लेकिन वह नाकाफी है।

हिन्दू हॉस्टल का परिचय

पंडित मदन मोहन मालवीय ने 1901 में हिन्दू हॉस्टल की स्थापना की थी। उस समय इसका नाम मैकडानेल हिन्दू बोर्डिग हाउस था। 1951 में इसे मदन मोहन मालवीय युनिवर्सिटी कॉलेज में बदल दिया गया। इसकी देखरेख के लिए मालवीय जी ने एक ट्रस्ट की स्थापना की। हॉस्टल की खास बात है कि 1982-83 तक यहां पर विश्वविद्यालय के शिक्षक लगातार आते थे और सेमिनार और ट्यूटोरियल क्लासेज चलाते थे।

हम लोग विश्वविद्यालय को फीस देते हैं लेकिन जब भी सुविधा की मांग को लेकर अधिकारियों से मिलते हैं, दो टूक जवाब मिलता है कि यह तो ट्रस्ट का हॉस्टल है।

पवन कुमार यादव

टॉयलेट की व्यवस्था इतनी खराब है कि रोज लाइन में लगना होता है। कामन हॉल में सुविधा के नाम पर सिर्फ टीवी है। वहां महीने में एक बार सफाई हो जाए तो बहुत बड़ी बात है।

डॉ। सुशील भागवत

वाटर कूलर कब बंद हो जाता है पता ही नहीं चलता। गंदगी के कारण हॉस्टल में रहना दुश्वार हो जाता है। पिछले वर्ष गंदगी की चपेट में आने से कई छात्रों को डेंगू हो गया था।

पिंटू यादव

सुविधा के नाम पर सिर्फ कमरा ही मिला है। तख्ता, कुर्सी, मेज व पंखे की व्यवस्था खुद करनी पड़ी थी। आखिर किस बात की फीस विश्वविद्यालय प्रशासन लेता है।

राजन यादव