हिन्दुस्तानी एकेडेमी में पहली बार लाइब्रेरी के लिए बनाया गया अलग से स्टडी रूम

ALLAHABAD: हिन्दी और उर्दू साहित्य के संव‌र्द्धन को लेकर कालजयी साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद्र और डॉ। तेज बहादुर सप्रू जैसी शख्सियत ने जिस हिन्दुस्तानी एकेडेमी की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। अब वह एकेडेमी हाईटेक होने की राह पर है। स्नातक, परास्नातक व शोध छात्र-छात्राओं को पढ़ने के लिए बेहतरीन माहौल देने के उद्देश्य से पहली बार लाइब्रेरी से अलग स्टडी रूम का निर्माण कराया गया। स्टडी रूम पूरी तरह एयर कंडीशन हैं और फाइबर शीट की टेबल व कुर्सियां लगाई गई हैं।

रूम में नहीं लगेगा कोई चार्ज

एकेडेमी में लाइब्रेरी से अलग स्टडी रूम बनाया गया है। इसमें स्नातक व शोध छात्र-छात्राओं व विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेज के शिक्षकों को बैठकर पढ़ने की सुविधा है। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। सभी सुबह दस से शाम पांच बजे तक वे यहां पढ़ सकेंगे।

25 हजार पुस्तकों का है खजाना

हिन्दुस्तानी एकेडेमी की स्थापना 22 जनवरी 1927 को हुई थी। तब से लेकर अब तक हिन्दी और उर्दू साहित्य जगत के नामचीन साहित्यकारों की पुस्तकों का खजाना लाइब्रेरी में उपलब्ध है। पिछले सात वर्षो से प्रतिवर्ष कोलकता स्थित राजाराम मोहन राय पब्लिक लाइब्रेरी से एक आलमारी भरकर पुस्तकें आती हैं। लाइब्रेरी के एयर कंडीशन स्टडी रूम में एक साथ बीस लोगों के बैठने की व्यवस्था है। छात्र-छात्राओं को किसी भी मैटर के लिए जल्द ही फोटो स्टेट की भी सुविधा प्रदान की जाएगी।

एकेडेमी की बेहतरी के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। तीन लाख रुपए की लागत से लाइब्रेरी से अलग स्टडी रूम बनाया गया है। यहां पर कोई भी स्टूडेंट या शिक्षक बिना किसी शुल्क के बैठकर अध्ययन कर सकते हैं।

रवीन्द्र कुमार,

सचिव, हिन्दुस्तानी एकेडेमी