- 500 साल इतिहास है नानाराव के इस बूढ़े बरगद का, अंग्रेजों ने 133 भारतीय क्रांतिकारियों को बरगद की शाखाओं पर फांसी दे दी थी

kanpur : पेड़ पौधे हमारी लाइफ में क्या इम्पॉर्टेस रखते हैं, यह तो हम सभी जानते हैं. लेकिन, शायद उनके संरक्षण को जो कदम उठाने चाहिए वो अभी तक नहीं उठा पाए हैं. अर्थ डे के मौके पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने डॉक्यूमें 'ट्री' कैंपेन की शुरुआत की है, जिसके दूसरे दिन हम नानाराव पार्क के उस विलुप्त हो चुके बूढ़े बरगद की बात करेंगे, जो कभी शहर में लड़गई स्वतंत्रता संग्राम का गवाह भी रहा है. आज नानाराव पार्क में यह बूढ़ा पेड़ तो देखने को नहीं मिलता है, लेकिन उसके अक्स को आज भी उसी स्थान के आसपास देखा जा सकता है.

500 साल पुराना इतिहास

पास में स्थित कंपनी बाग में रहने वाले एडवोकेट रामा यादव बताते हैं कि करीब 30 साल पहले उनका बचपन भी इसी बरगद की छांव में बीता है. फिर एक दिन अचानक यह विशाल काय पेड़ धराशायी हो गया. बताया इस बरगद का इतिहास करीब 500 साल पुराना था, जिसने आजादी की लड़ाई भी देखी थी. अंग्रेजों ने 133 भारतीय क्रांतिकारियों को उसी बरगद की शाखाओं पर फांसी दे दी थी.

अक्स देता है आंखों को सुकून

पुराने बरगद की याद में यहां एक शिलापट लगाया गया, जिसमें उसका पूरा इतिहास आज भी मौजूद है. इस स्थान के आसपास भी कुछ नए बरगद के पेड़ उग आए हैं, जिन्हें लोग उसी बूढ़े बरगद का ही अक्स मानते हैं. एडवोकेट के अनुसार बूढ़े बरगद के बीजों से ही इन नए वृक्षों की उत्पत्ति हुई है, जो आज भी यहां आने वालों को बूढ़े बरगद की याद दिलाते हैं.