कानपुर। आज यानी कि 17 नवंबर को पूरे विश्व में इंटरनेशनल स्टूडेंट डे मनाया जाता है। यह दिवस पहली बार 1941 में उन छात्रों की याद में मनाया गया था, जो चेकोस्लोवाकिया में विरोध प्रदर्शन के दौरान शहीद हो गए थे। ओर्गनाइजिंग ब्यूरो यूरोपियन स्कूल स्टूडेंट्स यूनियन की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 1939 के अंत में चार्ल्स यूनिवर्सिटी के कई मेडिकल स्टूडेंट्स ने स्वतंत्र चेक रिपब्लिक देश बनाने की मांग को लेकर नाजियों के खिलाफ जमकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया था। छात्रों की आवाज को दबाने के लिए नाजियों ने उनपर खूब लाठियां बरसाईं और कुछ स्टूडेंट्स को फांसी पर भी लटका दिया।

बिना मुकदमे के फांसी की सजा
प्राग में प्रदर्शन कर रहे छात्रों के ऊपर नाजियों द्वारा गोलियां भी चलाई गई, जिसमें एक छात्र की मौत हो गई और 1200 से अधिक छात्रों को बंदी बना लिया गया। कहा जाता है कि 17 नवंबर के दिन चेकोस्लोवाकिया में नौ छात्रों और प्रोफेसरों को मुकदमे के बिना फांसी पर लटका दिया गया था। इसी दर्दनाक मौके से आहत होकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह दिवस मनाये जाने का फैसला किया गया, जिससे आने वाले समय में छात्रों के अधिकारों और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए लोगों को जागरुक किया जा सके और उन्हें छात्रों के महत्व के बारे में बताया जा सके।

तुर्की ने कहा, सऊदी सरकार के सबसे बड़े स्तर ने दिया लेखक को मारने का आदेश

 

International News inextlive from World News Desk