विक्रम संवत :-
विक्रम संवत की शुरुआत 58 ईस्वी पूर्व हुई थी। हिन्दू पंचांग पर आधारित विक्रम संवत को सम्राट विक्रमादित्य ने प्रारंभ किया था। ब्रह्म पुराण के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसे युगादि या उगाड़ी नाम से भी भारत के अनेक क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह संवत हिंदू माह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी गुड़ी पड़वा से शुरू होता है। बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ था। बारह राशियां बारह सौर मास हैं। बारह माह बारह चंद्र मास है। चंद्र की 15 कलाएं तिथियां हैं। यह कैलेंडर हिन्दू पंचाग और उसकी सभी धार्मिक गतिविधियों में उचित बैठता है इसीलिए इसे हिन्दू कैलेंडर के रूप में मान्यता मिली हुई है।
शक संवत :-
शक संवत की शुरुआत विक्रम संवत के बाद हुई है। ऐसा माना जाता है कि इसे शक सम्राट कनिष्क ने 78 ईस्वी में शुरू किया था। स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने इसी शक संवत में मामूली फेरबदल करते हुए इसे राष्ट्रीय संवत के रूप में घोषित कर दिया। राष्ट्रीय संवत का नववर्ष 22 मार्च से शुरू होता है जबकि लीप ईयर में यह 21 मार्च होता है। यह संवत सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से शुरू होता है।
बौद्ध संवत :-
बौद्ध धर्म के कुछ अनुयाई बुद्ध पूर्णिमा के दिन 17 अप्रैल को नया साल मनाते हैं। कुछ 21 मई को नया वर्ष मानते हैं। थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, कंबोडिया और लाओ के लोग 7 अप्रैल को बौद्ध नववर्ष मनाते हैं।
ईसाई नववर्ष :-
पूरी दुनिया में ईसाई नववर्ष को मान्यता मिली है। एक जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई, जबकि पारंपरिक रोमन कैलेंडर का नववर्ष एक मार्च से शुरू होता है। दुनिया भर में आज जो कैलेंडर प्रचलित है उसे पोप ग्रेगोरी अष्टम ने 1582 में तैयार किया था। ग्रेगोरी ने इसमें लीप ईयर का प्रावधान किया था।
इस्लामिक कैलेंडर :-
इस्लामिक कैलेंडर को हिजरी साल के नाम से जाना जाता है। हिजरी सन की शुरुआत मोहर्रम माह के पहले दिन से होती है। इसकी शुरुआत 622 ईस्वी में हुई थी। हजरत मोहम्मद ने जब मक्का से निकलकर मदीना में बस गए तो इसे हिजरत कहा गया। इसी से हिज्र बना और जिस दिन वो मक्का से मदीना आए उस दिन हिजरी कैलेंडर शुरू हुआ। हिजरी कैलेंडर के बारे में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें चंद्रमा की घटती-बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है। लिहाजा इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं।
जैन संवत :-
जैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन प्रारंभ होता है। भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन यह शुरू होता है। इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं। लगभग 527 ईसा पूर्व महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था।
सिख नव वर्ष :-
पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है जो कि अप्रैल में मनाई जाती है। इसे सिख नानकशाही कैलेंडर भी कहते हैं। इसके अनुसार होला मोहल्ला यानी होली के दूसरे दिन से नए साल की शुरुआत मानी जाती है।
पारसी नववर्ष :-
पारसी धर्म में नववर्ष यानी नवरोज मनाने की शुरुआत करीब 3000 साल पहले हुई थी। आमतौर पर 19 अगस्त को पारसी धर्मावलंबी नवरोज का उत्सव मनाते हैं। नवरोज का अर्थ ही दरअसल नया दिन होता है। इस दिन पारसी मंदिर अज्ञारी में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं।
inextlive from Spark-Bites Desk
Interesting News inextlive from Interesting News Desk