इस दौरान 26 बार भारतीय प्रधानमंत्रियों और एक भारतीय राष्ट्रपति ने अमरीका का दौरा किया जबकि छह बार अमरीकी राष्ट्रपति भारत आए.

भारत की आज़ादी के बाद अमरीका से उसके संबंध शीतयुद्ध के दौर, अविश्वास और भारत के परमाणु कार्यक्रम को लेकर खिंचाव में बंधे रहे हैं.

पिछले कुछ वर्षों से इनमें गर्माहट देखी जा रही है.

आर्थिक और राजनीतिक मोर्चों पर सहयोग में भी इज़ाफ़ा हुआ है.

नेहरू से मोदी तक

जवाहर लाल नेहरू

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

1949 में अमरीका की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री, अमरीकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन के मेहमान बने.

इसके बाद 1956, 1960, 1961 में अमरीका की यात्राएं की. 1959 में अमरीकी राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइज़नहावर भारत का दौरा करने वाले पहले अमरीकी राष्ट्रपति बने.

भारत में उन्होंने राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मुलाक़ात की और संसद को संबोधित किया. 1960 में संयुक्त राष्ट्र महासभा सम्मेलन के दौरान नेहरू ने राष्ट्रपति आइज़नहावर से मुलाक़ात की.

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

शीतयुद्ध के दौरान भारत ने तटस्थता की घोषणा की थी. भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन के नेता के रूप में उभरा. पूरे शीतयुद्ध काल में अमरीका से रिश्तों में हिचकिचाहट थी तो रूस और भारत के बीच निकटता बढ़ी.

1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री नेहरू ने राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी को ख़त लिखकर मैकमोहन लाइन को सीमा रेखा मानने का अनुरोध किया. 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध तक दोनों देशों के बीच ताल्लुकात क़रीबी रहे.

सर्वपल्ली राधाकृष्णन

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

जून 1963 में वह अमरीका की यात्रा करने वाले भारत के पहले राष्ट्रपति बने.

इसी साल अमरीकी कृषि विशेषज्ञ नॉरमन बोरलॉग भारत आए और भारतीय वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन के साथ मुलाकात के बाद 'हरित क्रांति' के बीज पड़े.

एक दशक में ही भारत खाद्यान्न संकट से आत्मनिर्भरता की तरफ़ बढ़ गया.

इंदिरा गांधी

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

1966 और 1971 में अमरीका यात्रा की. 1969 में अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारत आए. वह तब कार्यवाहक राष्ट्रपति हिदायतुल्लाह से मिले.

1982 में आख़िरी बार अमरीका दौरा. 1971 में भारत-पाकिस्तान के तीसरे युद्ध के दौरान अमरीका ने चीन के साथ निकटता के संदर्भ में मध्यस्थ की भूमिका ली और पाकिस्तान को सहयोग किया.

भारत ने सोवियत संघ के साथ 20 साल के लिए दोस्ती और सहयोग संधि पर दस्तख़त किए. शीतयुद्ध काल में गुटनिरपेक्षता की नीति से यह क़दम उलट था.

1974 में परमाणु परीक्षण के साथ भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच सदस्यों के बाद ऐसा करने वाला पहला देश बना.

परमाणु परीक्षणों की वजह से अमरीका के साथ अगले दो दशकों तक संबंधों में खिंचाव की नींव पड़ी.

मोरारजी देसाई

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

1978 में अमरीका यात्रा. इसी साल राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत यात्रा पर राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी और प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से मिले. उन्होंने भारतीय संसद को संबोधित भी किया.

कार्टर ने परमाणु अप्रसार अधिनियम खड़ा किया और भारत सहित तमाम देशों के परमाणु संयंत्रों के परीक्षण की मांग की.

भारत के इनकार के बाद अमरीका ने भारत से सभी तरह का परमाणु सहयोग ख़त्म किया.

1984 में अमरीकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के भोपाल कारखाने में गैस रिसाव के बाद हज़ारों लोगों की मौत हुई.

भारत ने अमरीका से कंपनी के सीईओ के प्रत्यर्पण की कोशिश की. इस घटना से भारत-अमरीका के द्विपक्षीय रिश्ते और तनावपूर्ण हो गए.

राजीव गांधी

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

1985 में दो बार और फिर 1987 में एक बार अमरीका की यात्रा पर गए. 1985 में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन से मुलाक़ात.

1990 में अमरीका के डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र रॉबर्ट गेट्स ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध का ख़तरा टालने के लिए दोनों देशों का दौरा किया.

पीवी नरसिम्हराव

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

1992 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सम्मेलन में राष्ट्रपति बुश से मुलाक़ात, 1994 में फिर राजकीय दौरा.

1991 में आर्थिक उदारीकरण के चलते अमरीका के साथ कारोबारी रिश्तों में सुधार.

इंदर कुमार गुजराल

1997 में संयुक्त राष्ट्र महासभा सम्मेलन के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से मुलाक़ात

अटल बिहारी वाजपेयी

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

साल 2000 में अमरीकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र का संबोधन. इसी साल राष्ट्रपति क्लिंटन भारत दौरे पर राष्ट्रपति के आर नारायणन से मिले.

ऊर्जा और पर्यावरण पर द्विपक्षीय समझौता हुआ और उन्होंने भी भारतीय संसद को संबोधित किया. 2001 में वाजपेयी ने अमरीका दौरा किया.

इसके बाद 2002 और 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति बुश से मुलाक़ात.

1998 में परमाणु परीक्षणों के बाद अमरीका के साथ भारत के संबंधों में तनाव आया था.

अमरीकी राजदूत को वापस बुलाने के साथ राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए.

1999 में करगिल युद्ध के दौरान क्लिंटन ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को वॉशिंगटन बुलाया.

इसके बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर अपनी सेनाएं पीछे हटाईं. 2001 में बुश प्रशासन ने आर्थिक प्रतिबंध हटाए.

मनमोहन सिंह

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति बुश से मुलाक़ात. 2005 और 2008 में फिर दौरा.

2006 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भारत में मिले और परमाणु समझौते पर दस्तख़त किए.

2008 और 2009 में जी-20 आर्थिक सम्मेलन में भाग लिया. 2010 में परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में भाग लिया.

2010 में ही राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मुंबई आकर भारत-अमरीकी कारोबारी सम्मेलन को संबोधित किया.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाक़ात की. संसद को संबोधित किया. 2013 में मनमोहन सिंह का आख़िरी दौरा.

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

2005 में अमरीकी विदेश मंत्री कॉन्डोलीज़ा राइस के भारत दौरे के साथ अमरीका के साथ संबंधों में सुधार. भारत और अमरीका ने रक्षा सहयोग पर समझौता किया.

इसी साल दोनों देशों की सेनाओं का पहली बार संयुक्त नौसैनिक युद्धाभ्यास.

इसी साल दोनों देशों ने 10 साल के लिए नागरिक परमाणु सहयोग समझौते पर दस्तख़त किए और इसी के साथ अमरीका ने 30 साल के लिए भारत से परमाणु कारोबार पर लगे स्थगन को हटा लिया.

बदले में भारत ने अपने नागरिक और सैन्य परमाणु संयंत्रों को अलग रखने और सभी नागरिक संयंत्रों को आईएईए की देखरेख में लाने को मंज़ूरी दी.

2008 में मुंबई हमलों के दौरान अमरीका ने एफ़बीआई जांचकर्ताओं को भारत भेजा.

2010 में भारत और अमरीका ने पहली बार इंडिया-यूएस स्ट्रेटेजिक डायलॉग की नींव डाली.

भारत-अमरीका संबंधः इतिहास के आईने में

इसी साल राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन किया.

2011 में भारत और अमरीका ने साइबर सिक्योरिटी के लिए एमओयू पर दस्तख़त किए, जो स्ट्रैटेजिक डायलॉग का ही हिस्सा है.

2014 में न्यूयॉर्क में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ़्तारी का विवाद हुआ. कुछ समय बाद भारत में अमरीकी राजदूत नैंसी पॉवेल ने इस्तीफ़ा दिया.

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी जीत पर बधाई दी और अमरीका यात्रा का न्यौता दिया.

2002 में गुजरात दंगों के बाद अमरीका ने उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी. तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

International News inextlive from World News Desk