कानपुर। बाजार में जबरदस्त कैमरा फीचर वाले स्मार्टफोन लॉन्च होने के बाद भी जब फोटो की बात होती है तो डिजिटल कैमरा का जिक्र जरूर होता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि कैमरा अब हमारे जीवन के खास चीजों में से एक है क्योंकि हम अपने जीवन के छोटे-छोटे पलों को कैमरे में कैद करना चाहते हैं ताकि फोटो के रूप में वह पल हमारे जीवन में हमेशा साथ रहें। कभी वो जमाना भी था जब एक कैमरा खरीदने के लिए सोचना पड़ता था, फिर भी लोग खरीदते थे और शौक से फोटो भी खिंचवाते थे और उन फोटो को निकलवाने में हफ्तों लग जाते थे। इन दिनों डिजिटल कैमरा काफी चर्चा में है। इसका इतिहास बहुत ही पुराना है।
1972 में हासिल किया था पेटेंट
इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के मुताबिक, टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स इन्क्लूड ने 1972 में पहला डिजिटल कैमरा पेटेंट कराया था, हालांकि यह जानकारी नहीं है कि यह कभी बना था या नहीं। सबसे पहले 1975 में ईस्टममैन कोडक के स्टीवन सैसन नाम के एक इंजीनियर ने एक डिजिटल कैमरा बनाने की कोशिश की थी। इस कैमरे को आम तौर पर पहले डिजिटल स्टैन स्नैपर के रूप में पहचाना जाता था, जो एक प्रोटोटाइप था। इसमें फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर द्वारा विकसित तत्कालीन टेक्नोलॉजी वाले CCD इमेज सेंसर का प्रयोग किया गया था। इस कैमरे का वजन करीब 4 किलोग्राम था और इससे ब्लैक एंड वाइट फोटो खींची गई थी, इसका रिजोलुशन 0.01 मेगापिक्सेल था और दिसंबर 1975 में पहली डिजिटल तस्वीर को रिकॉर्ड करने में इस कैमरा को 23 सेकंड का समय लगा था।
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1991 में शुरू हुई प्रोफेशनल डिजिटल कैमरा की बिक्री
ईस्टमैन कोडक कंपनी ने 1991 में प्रोफेशनल्स डिजिटल कैमरों की बिक्री शुरू की। इसके बाद एप्पल कंप्यूटर और कोडक ने मिलकर 1994 में पहला कंज्यूमर मॉडल पेश किया। तब दोनों ने बाजार में मिलकर एक सॉफ्टवेयर पेश किया, जिससे डिजिटल कैमरे से खींची गई तस्वीरों को पर्सनल कंप्यूटर में ट्रांसफर किया जा सकता था। इसी तरह डिजिटल कैमरा का बाजार दुनिया में व्यापक हो गया।
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