BAREILLY: हमारे समाज में शादी जैसे बड़े फैसलों में लड़कियों की कमतर भूमिका किसी से छिपी नहीं, लेकिन शहर के एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) से इलाज कर रही एक एचआईवी पॉजिटिव छात्रा ने इस मसले पर एक कड़ा उदाहरण पेश किया है। बीए कर रही इस छात्रा से नौ एचआईवी पॉजिटिव और एड्स पीडि़त शादी करना चाहते हैं, लेकिन छात्रा तैयार नहीं। उसकी शर्त है उसका जीवन साथी सरकारी नौकरी वाला हो। उसका कहना है कि वह अकेले जीवन काट सकती है लेकिन शर्त से डिगेगी नहीं। दरअसल, एआरटी स्टाफ एचआईवी पॉजिटिव और एड्स पीडि़तों को सामान्य जीवन देने के लिए उनकी आपसी रजामंदी से शादी करने के लिए प्रेरित करती है। इसके लिए एक प्रक्रिया के पीडि़तों से आवेदन लिए जाते हैं। इसी क्रम में इस बीए की छात्रा ने सशर्त आवेदन किया था। युवती से शादी करने की इच्छा रखने वालों में एचआईवी पॉजिटिव शहर के कुछ बड़े बिजनेसमैन भी शामिल हैं। उधर, छात्रा का तर्क है कि सरकारी नौकरी करने वाले का साथ उसका भविष्य सुरक्षित रहेगा साथ ही वह दोनों एक-दूसरे को भरपूर समय भी दे सकेंगे।

 

वर्ष- -नए पीडि़त

-2015 -355

-2016 -305

-2017 -468

-2018 -27 (जनवरी तक)

10 फरवरी 2018 तक दर्ज कुल एड्स व एचआईवी पीडि़तों की संख्या-2219

 

11 आवेदन करने वालों में 9 पुरुष

बरेली की रहने वाली एक छात्रा ग्रेजुएशन की पढ़ाई करती है। उसके पिता निजी बिजनेस तो मां हाउस वाइफ है। बीमारी के चलते परिजनों ने आठ माह पहले जब उसकी जांच करायी तो पता चला कि छात्रा एचआईवी पॉजिटिव है। जिसके बाद उन्होंने उसका एआरटी में इलाज कराना शुरू किया। हालांकि छात्रा सामान्य जिन्दगी गुजार रही है और पढ़ाई भी कर रही है। छात्रा ने परिजनों की सहमति से हमसफर के लिए भी अप्लाई किया है, जिसमें छात्रा और परिजनों ने सरकारी जॉब वाले से शादी करने की शर्त रखी है। जबकि दो अन्य महिलाओं ने भी अविवाहित पुरुष से शादी करने की शर्त रखी है। हमसफर की तलाश में एआरटी में 30 जनवरी तक 11 लोगों ने आवेदन किए हैं। आवेदन करने वालों में 9 पुरुष और 3 महिलाएं हैं।

 

10 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी

एआरटी के आंकड़ों की माने तो एड्स और एचआईवी के जनवरी 2018 तक 2219 लोगों के नाम इलाज कराने वालों में दर्ज है। एआरटी में आने वालों में 10 प्रतिशत सरकारी इंप्लॉय भी शामिल है, जो किसी कारण एचआईवी व एड्स की चपेट में आ गए हैं और हॉस्पिटल आकर इलाज करा रहे हैं.

 

मुख्यधारा से जोड़ना मुख्य उद्देश्य

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के कैंपस में संचालित एआरटी का मुख्य उद्देश्य प्रदेश भर के एड्स व एचआईवी पीडि़तों को मुख्य धारा से जोड़ना है। एनजीओ और एआरटी के रेगुलर काउंसलिंग और मोटिवेशन से वह सामान्य जिन्दगी जी सके.

 

लगा दीं ये शर्तें

-सरकारी जॉब करने वाले से ही करनी है शादी

-महिला की डिमांड परिवार में हो इकलौता

-महिलाओं की शर्त है कि अविवाहित युवक हो

-पुरुषों की डिमांड शादी हो तो बच्चे न हो।

-अधिकांश की डिमांड अविवाहित को वरीयता।

 

 

शादी के लिए एआरटी पर अभी 11 लोगों ने आवेदन किए है। जिसमें 9 पुरुष और 3 महिलाएं है। इससे पहले भी एआरटी अब तक 4 शादियां भी करा चुका है।

मनोज वर्मा, डाटा मैनेजर, एआरटी