50 फीसदी मरीज नहीं आ रहे दून एआरटी में

एक्सक्लूसिव

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- 3210 मरीज हैं दून के एआरटी एंटी-रेट्रोवाइरल थेरेपी सेंटर में रजिस्टर्ड

- 1620 मरीजों का होता है दून में रेगुलर ट्रीटमेंट्र

-8000 से ज्यादा हैं एचआईवी के मरीज हैं प्रदेश में

-3 एंटी-रेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर हैं प्रदेश में

-50 परसेंट तक घटी एआरटी के ओपीडी में मरीजों की संख्या

देहरादून

नोटबंदी से हर कोई जूझ रहा है। हालात यहां तक हो गए हैं कि एंटी-रेट्रोवाइरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर्स में नियमित इलाज के लिए आने वाले एचआईवी पीडि़त मरीज भी नोटों की कमी के चलते दवा लेने नहीं आ रहे हैं। आपको बता दें कि इन सेंटर्स पर एचआईवी पीडि़तों को नियमित दवाइयां दी जाती हैं। देहरादून सेंटर को राज्य का सबसे बड़ा एआरटी माना जाता है। नोटबंदी के बाद यहां नियमित दवाइयां लेने आने वाले एचआईवी पीडि़तों की संख्या में 50 फीसदी गिरावट आई है यानि आधे मरीज दवा लेने नहीं आ रहे हैं। एक मरीज ने बताया कि इन दिनों करेंसी की बड़ी दिक्कतें हो रही हैं। उन्हें इस हफ्ते चेकअप के लिए देहरादून एआरटी सेंटर जाना था, लेकिन चाहकर भी नहीं जा सके।

दूर-दराज के मरीज ज्यादा परेशान

स्टेट एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (साको) के असिस्टेंट डॉयरेक्टर गगन लूथरा ने आई नेक्स्ट को बताया कि प्रदेश में पिछले 15 सालों में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या 8000 के करीब पंहुच चुकी है। प्रदेश में 3 एआरटी सेंटर हैं जिनमें देहरादून, हल्द्वानी और पिथौरागढ़ शामिल हैं। उन्होंने बताया कि देहरादून सेंटर में 3210 एचआईवी पेशेंट्स रजिस्टर्ड हैं जिनमें से 1620 मरीज पूरे गढ़वाल रीजन से रेगुलर चेकअप के लिए दून पंहुचते हैं। पिछले 10 दिनों में ओपीडी में मरीजों की संख्या करीब 50 परसेंट तक गिर गई है। जो मरीज रेगुलर चेकअप के लिए आ भी रहे हैं वो देहरादून और आस-पास के ही इलाकों के हैं। दूर दराज के मरीज इसलिए भी नहीं पहुंच रहे हैं क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा उनकी जेब में नहीं है।

चलेगा स्पेशल कोर्स

साको के असिस्टेंट डॉयरेक्टर गगन लूथरा ने बताया कि एआटी सेंटर में रेगूलर चैकअप और ट्रीटमेंट की मरीजों को जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि पहाड़ी इलाकों में जो मरीज उनके पास रेगूलर चेकअप के लिए नोटबंदी के चक्कर में नहीं आ पा रहे हैं उनके लिए स्पेशल कोर्स के जरिए अब इलाज चलाया जाएगा।

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दून में इनदिनों एआरटी सेंटर में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या पर काफी फर्क पड़ा है। जो मरीज चेकअप और दवाओं के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं अब उन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाएगा।

गगन लूथरा, असिस्टेंट डॉयरेक्टर स्टेट एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन

बॉक्स

खून की होगी फ्री जांच

स्वास्थ्य महकमे ने नोटबंदी को देखते हुए अपना परिचय पत्र दिखाकर सरकारी अस्पतालों में खून की जांच फ्री कराने का फैसला लिया है। निर्देश दिए गए हैं कि इसके लिए सभी जिलों के सीएमओ आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने मंगलवार को अधिकारियों की बैठक के दौरान कहा कि निर्धारित तिथियों में विगत तीन माह से आयोजित होने वाले नि:शुल्क विशेषज्ञ चिकित्सा शिविरों में करीब 61 हजार मरीजों को उनके घर के आस-पास लगे हेल्थ कैंप में जांच व उपचार दिया जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्री ने स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की सलाह पर मरीजों को 15-20 दिन की मेडिसीन भी फ्री दी गई हैं। जरूरत के मुताबिक फिर से फोलोअप कैंप भी लगाए जाएंगे। इसके अलावा कैंप के आस-पास के जूनियर हाईस्कूल से इंटरमीडिएट स्तर तक के छात्र-छात्राओं का भी फ्री चैकअप व ट्रीटमेंट कराया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने अनुबंधित 11 सचल वाहनों को भी स्क्रीनिंग कैंपों से जोड़ने दिसंबर में संचालित होने वाले शिविर 2 दिसंबर से शुरू करने के भी निर्देश दिए।