आई फॉलोअप

स्लग:डे बोर्डिग ककरिया के हॉकी कोच विजय मुंडा की हत्या नक्सलियों ने बुधवार को कर दी थी

-डर से मुखबिर हो रहे हैं भूमिगत, पुलिस को नहीं मिल रहा है क्लू

RANCHI(4 May): डे बोर्डिग ककरिया के हॉकी कोच विजय मुंडा की पीएलएफआइ उग्रवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या करने के मामले में डीआईजी अमोल वेणुकांत होमकर ने लापुंग में नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा खोलने का निर्देश दिया है। डीआईजी ने आदेश जारी कर कहा है कि रांची पुलिस गुमला, खूंटी व लोहरदगा पुलिस के साथ मिलकर पीएलएफआई नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाए और आरोपियों को दबोचे। इधर, पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि मुखबिर बताए जाने की बात कितनी सही है। आखिर विजय मुंडा ने किसे पकड़वाया था। इसकी भी जांच चल रही है।

कारो नदीं के समीप मिला था शव

बुधवार की रात करीब नौ बजे आठ से दस की संख्या में उग्रवादी पैदल अकरोमा कैलुटोली स्थित विजय मुंडा के घर पहुंचे थे। उन्होंने दरवाजा खुलवाकर विजय को अगवा कर लिया और रांची-खूंटी जिले के सीमावर्ती इलाके के जंगल में कारो नदी के किनारे ले गए। यहां ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर विजय की हत्या कर दी गई थी।

दर्जन भर एसपीओ को खतरा

झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ काम करने वाले एक दर्जन से ज्यादा एसपीओ की जान खतरे में है। कुछ लोगों की लापरवाही की वजह से स्पेशल पुलिस अफसरों के नाम सार्वजनिक हो गए हैं, जिसके बाद अब ये नक्सलियों के निशाने पर आ चुके हैं। दरअसल, नक्सल प्रभावित इलाकों में गुप्त सूचना जुटाने वाले विशेष पुलिस अधिकारी यानी पुलिस के मुखबिरों के लिए संकट पैदा हो गया है। उनसे जुड़ी जानकारी लीक हो गई है। यह सूचना व्हाट्सअप पर भी वायरल हो रही है। इस कारण उनकी जान पर आफत बन आई है।

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पहले भी मुखबिरी में हुई हत्या

नगर के तमाड़ में माओवादियों ने स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ) अब्राहम टोपनो की गर्दन काटकर हत्या कर दी। साथ ही उसकी सवारी गाड़ी को भी जला डाला। जिस जगह यह वारदात हुई वहां से सीआरपीएफ कैंप की दूरी महज 500 मीटर की दूरी पर है। अब्राहम टोपनो एसपीओ तमाड़ के पद पर पदस्थापित थे।

ग्रुप बॉक्स

क्या है पूरा मामला?

झारखंड के गुमला, बुंडू ,तमाड़ और लोहरदगा के अति नक्सल प्रभावित थाना क्षेत्रों में नक्सल सूचना देने वाले दो दर्जन से अधिक मुखबिरों का पूरा डेटा लीक हो गया है। मुखबिरों के नाम, बैंक के नाम, खाता संख्या, आईएफसी कोड, मोबाइल नंबर, आधार नंबर और पैन कार्ड की जानकारी तक लीक हो गई है। आशंका है कि यह सूचना ट्रेजरी या किसी अन्य सरकारी ऑफिस से लीक हुई है। पैसे की निकासी के लिए ट्रेजरी ने मुखबिरों की जानकारी मांगी थी।

डर से अंडरग्राउंड हुए कई एसपीओ

झारखंड पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने वाले कुख्यात नक्सलियों को सरेंडर पॉलिसी के तहत जमीन, पैसे और उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार हर तरह के इंतजाम कर रही है। लेकिन वही इन कुख्यात नक्सलियों के सरेंडर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एसपीओ यानी स्पेशल पुलिस ऑफिसर की स्थिति न घर की न घाट वाली हो गई है। सरकारी तंत्र की लापरवाही की वजह से दर्जनों स्पेशल पुलिस अफसरों के नाम सार्वजनिक हो गए हैं। इससे पहले भी शक के आधार पर नक्सली कई मुखबिरों की हत्या भी कर चुके हैं.लेकिन अब तो उनके नाम,पते तक सामने आ गए हैं। नक्सलियों के भय से कई मुखबिर भूमिगत हो चुके हैं।

कोट

पुलिस का अपना सूचना तंत्र है। इसी आधार पर पुलिस कार्रवाई करती है। फिर, उनलोगों को भड़काया जाता है, फिर हत्या की जाती है। ऐसे लोगों को भी पुलिस चिन्हित कर रही है।

-एवी होमकर, डीआईजी, रांची।