- प्रैक्टिस के लिए मिलता है ग्राउंड का छोटा सा हिस्सा

- बैग से गोल पोस्ट बनाकर करती हैं गोल करने की प्रैक्टिस

बरेली। हॉकी देश में क्रिकेट जितनी पॉपुलर क्यों नहीं है? जवाब एक ही है। कुप्रबंधन और सुविधाओं का अभाव। इसी को लेकर फ्राइडे को हमने आपको बताया था किच्बच्चे स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में गीले मैदान पर कैसे प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं। अब हम आपको बताते हैं कि महिला हॉकी खिलाडि़यों को यहां किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

महिला खिलाडि़यों का कहना है कि हर शाम करीब 40 से 50 खिलाड़ी प्रैक्टिस करने स्टेडियम पहुंचती हैं। स्टेडियम में क्रिकेट, एथलेटिक्स और फुटबॉल के खिलाडि़यों के अलावा अन्य खिलाड़ी भी वहां पहले से जमे होते हैं। ऐसे में इन्हें खेलने के लिए अपना खुद का हॉकी ग्राउंड तक नहीं मिल पाता। वहां हॉकी के पुरुष खिलाडि़यों का पहले से कब्जा रहता है। इन्हें ग्राउंड के एक छोटे से हिस्से में ग्रुप बनाकर प्रैक्टिस करना पड़ता है। गोल पोस्ट बनाने के लिए इनके पास कोन तक नहीं होते। अपने बैग से गोल पोस्ट बनाकर उन्हें प्रैक्टिस करनी पड़ती है। हॉकी की किट भी इन्होंने अपने पैसे से खरीदी।

टॉयलेट में अंधेरा, पानी में कीड़े

बेसिक सुविधाओं के नाम पर भी महिला खिलाडि़यों के लिए कुछ भी नहीं है। लेडीज टॉयलेट में लाइट तक नहीं है। वहां हमेशा अंधेरा रहता है, जिससे उन्हें वहां जाने से डर लगता है। गंदगी भी पसरी रहती है। खिलाडि़यों का कहना था कि दान में मिले पानी के कूलर में कीड़े तैरते रहते हैं इसलिए उन्होंने इससे पानी पीना तक छोड़ दिया है।

12 ने खेला नेशनल

हॉकी कोच मुजाहिद अली का कहना है कि स्टेडियम में प्रैक्टिस करने आने वाली खिलाडि़यों में 12 लड़कियां नेशनल खेल चुकी हैं। इनमें आठ सीनियर और चार जूनियर हैं। अगर इस अभाव में ये यहां तक पहुंच सकती हैं तो अगर इन्हें सभी सुविधाएं मिले तो ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर सकती हैं।