- सोलह श्रृंगार किए हुरियारिनों की लाठियों ने द्वापर युग किया जीवंत

- सतरंगी अबीर से रावल का आसमान हुआ सतरंगी, रंगों की बौंछार से तन-मन भीगा

मथुरा। सोलह श्रृंगार किए हुरियारिनों ने हुरियारों पर प्रेम पगी लाठियां बरसाईं तो राधारानी की जन्मस्थली रावल में द्वापर युग जीवंत हो गया। अबीर गुलाल से आसमान सतरंगी हुआ तो टेसू के रंग की बौंछार ने होली के रंग में तन-मन सराबोर कर दिया। रसिका पागल के शिष्य के भजनों से होली के उत्साह को चरम पर पहुंच गया। श्रद्धालु बेसुध होकर ब्रज की होली के रंग में रंग गए। राधारानी मंदिर में फूल बंगला सजाया गया।

जमकर बरसी लाठियां

रावल में सुबह से ही होली की मस्ती छाई थी। लठामार होली के लिए हुरियारिनों की भुजाएं भी लाठियां बरसाने को फड़फड़ा रहीं थीं। सुबह 11 बजे भजन गायक रसिका पागल और उनके शिष्य विष्णु बाबरा के भजनों से श्रद्धालुओं का तन-मन झंकृत कर दिया। प्रिया-प्रियतम की होली में सभी बावले होकर गोते लगाने लगे। 'बृज में हल्ला होरा होरी कौ, बरसो रंग बृषभान किशोरी कौ', चरई चर करगौ पिचकारौ मेरौ, चरई चर करेगौ', 'रसिक आई टोली रावल में मच रही होली' आदि भजनों ने होली की मस्ती में सभी को डूबा दिया। होली के भजनों में सुधबुध खोए श्रद्धालु झूमते-गाते रहे। राधा-कृष्ण की होली में डूबे तो फिर होश आने का नाम नहीं लिया। दोपहर करीब तीन बजे सोलह श्रृंगार किए हुरियारिनें हुरियारों पर प्रेम पगी लाठियां बरसाने लगीं। हुरियारे लाठियों को लठ और ढपों से रोकते रहे। हुरियारों की लाठियों से तड़-तड़ातड़ की आवाज आ रही थी। हर तरफ उड़ते अबीर गुलाल से रावल की छटा सतरंगी हो गई। टेसू के रंगों की बौंछार से श्रद्धालुओं का तन-मन झंकृत हो गया। रंगों की बौंछार शरीर पर पड़ती तो लगता कि प्रिया-प्रियतम ने अपना आशीर्वाद दे दिया। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि से आए श्रद्धालु पूरी तरह ब्रज के रंग में रंग गए। होली के लिए करीब दो ¨क्वटल के टेसू के फूलों को करीब दो हजार लीटर पानी में घोलकर रंग तैयार किया गया। गुलाब, मोंगरा, चमेली, गेंदा के फूल की खुशबू ने होली के रंग को महका दिया। चार क्विंटल गुलाल रावल की फिजाओं में घुल गया। मंदिर के सेवायत महंत ललित मोहन कल्ला भक्तों पर रंगों की बौछार की तो होली की मस्ती छा गई।