- रंगों पर 12 से 18 फीसदी जीएसटी, जीएसटी से पिचकारियां भी हुईं महंगी
- चिप्स सहित खाने-पीने के अन्य सामान भी हुए महंगे
GORAKHPUR: होली के उत्साह पर इस बार जीएसटी का प्रभाव भारी पड़ सकता है। जीएसटी लागू होने के बाद से यह पहली होली है। रंगों और गुलाल पर 12 से 18 फीसदी तक टैक्स लगने के कारण उनके दामों में बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि सस्ते रंगों और पिचाकारियों पर जीएसटी का प्रभाव बेहद कम है। लेकिन ब्रांडेड प्रोडक्ट्स में साफतौर पर देखा जा सकता है। यह भी सूचना है कि जीएसटी की आड़ में कुछ दुकानदार माल को अधिक दाम पर बेच दे रहे हैं। होली के त्योहार में मात्र एक सप्ताह बाकी होने के कारण दुकानों पर लोगों की भीड़ तो दिखाई दे रही है। लेकिन रंगों, पिचकारियों व खाने-पीने के सामानों पर बढ़े हुए दामों के कारण उनकी जेबें ज्यादा ढीली हो रही हैं। जिसके कारण इस बार की होली फीकी पड़ने की संभावना है। दुकानदारों के अनुसार पिछले साल की अपेक्षा इस बार ग्राहकों की संख्या कम है।
पिचकारियों पर 12, गुलाल पर 18 प्रतिशत जीएसटी
जीएसटी लगने के बाद व्यापारियों का मानना है कि पिचकारियों की कीमत में 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। पिचकारियां बच्चों को खासी पसंद हैं। यही कारण है कि महंगी होने के बाद भी उनकी बिक्री पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ रहा है। होली के त्योहार में केवल सप्ताह का समय बचा है। ऐसे में थोक दुकानों पर छोटे व्यापारियों की लाइन लगी है, जिनमें सबसे अधिक खरीदार पिचकारियों के हैं।
पिचकारी रेट 2017 2018
वाटर गन 150 190
वाटर टैंक 200 250
कार्टून कैरेक्टर 250 300
पाइप 60 80
हैवी गन 450 530
स्प्रे 70 90
रंग-गुलाल
कच्चे रंग 25 30
पक्का रंग 50 65
हर्बल रंग 80 100
गुलाल 30 40
हर्बल गुलाल 50 70
खाने-पीने के समान भी महंगे
जीएसटी के कारण रंग, गुलाल व पिचकारियां ही नहीं बल्कि खाने-पीने के सामानों के रेट में भी बढ़ोत्तरी हो गई है। पनीर, चिप्स, खोया, पापड़, चीनी इन सभी के दामों में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। सामानों पर बढ़े इस दाम का प्रभाव आम लोगों की जेब पर पड़ रहा है। कम आय के लोगों के लिए इस बार सामानों के बढ़े दामों के कारण होली फीकी रहने की संभावना है।
कोट्स
रंगों के दाम तो बढ़े हैं लेकिन इसका बिक्री पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ रहा है। इस समय छोटे दुकानदार माल ले जा रहे हैं। अंतिम तीन दिनों में जब ग्राहक आएंगे तब सही स्थिति का पता चलेगा।
प्यारेलाल, बिजनेसमैन
पिचकारियां पहले की अपेक्षा महंगी हो गई हैं। लेना तो नहीं चाहता था लेकिन बच्चों की जिद के आगे खरीदना ही पड़ा।
- मंगलेश, प्रोफेशनल