जितनी जेब उतनी मलाई
होमगार्ड डिपार्टमेंट में कं पनी क मांडर ही डिसाइड क रता है कि कि सक ड्यूटी क हां लगेगी। यहीं से सुविधा शुल्क क ा खेल स्टार्ट हो जाता है। नाम न बताने क शर्त होमगाड्र्स ने बताया कि ड्यूटी लगाने के लिए बोली लगती है। इस बोली में रेट इस बात पर डिपेंड क रता है कि आपक ो क ौन सा थाना या आॉफिस चाहिए सबकी रेट अलग-अलग हैं। वर्तमान में सबसे ज्यादा होमगार्ड ट्रैफिक में जाने की डिमांड कर रहे हैं।
दो सौ छह हजार तक की बोली
ट्रैफि क में जाना है या फि र कि सी अधिक ारी के ऑफि स में ड्यूटी क रनी है। होमगार्ड से सुविधा शुल्क 200 रु पये से 6000 रुपए तक वसूला जाता है. ट्रैफि क पुलिस का हिस्सा बनने के लिए एक होमगार्ड छह हजार रुपये हर महीने नजराना देता है। थाने में जाने के लिए वह 15 तक चुकाता है। सुविधा शुल्क नहीं देने वाले होमगार्ड की ड्यूटी कमाऊ जगह पर नहीं लगाई जाती है।
हाइवे पर ज्यादा रेट
नेतन (जरूरत)के हिसाब से ट्रैफिक पुलिस में होमगार्ड की संख्या 100 की है। लेकिन यहां आने को सैकड़ों बेताब रहते हैं। इसलिए जिसकी बोली सबसे अधिक होती है उनको सफेद वर्दी वालों के साथ काम करने का मौका मिलता है। एमजी रोड पर ड्यूटी लगाने के लिए एक होमगार्ड से डेली 50 से 100 रुपए लिए जाते हैं। हाइवे पर सिकंदरा से लेकर रामबाग तक कहीं भी ड्यूटी लेने के लिए 100 से दो सौ रुपए तक पर डे देने होते हैं।
एक माह बाद लगती है ड्यूटी
इन होमगाड्र्स की डयूटी लगाने में भी ऐसा ही खेल कि या जाता है। शासन से होमगार्ड्स की डयूटी के लिए एनआईसी के तहत सॉफ्टवेयर तैयार कि या गया है। रोटेशन के आधार पर ही हर महीने होमगार्ड की ड्यूटी लगने का रुल है। नियम के अनुसार एक होमगार्ड एक महीने डयूटी क रेगा और एक महीने रेस्ट पर रहेगा। यानि एक होमगार्ड को 60 दिन में केवल तीन दिन काम मिलेगा।
ड्यूटी में भी गेम
पुलिस अथवा प्रशासन का क ोई सीनियर आफि सर होमगार्ड की एक्स्ट्रा ड्यूटी के लिए सिफारिश करता है तो नियम के विपरीत जाकर उसकी ड्यूटी कंटीन्यू क र जाती है। बाबू भी होमगार्ड से सुविधा शुल्क लेकर ड्यूटी कं टीन्यू कर देते हैं। सिटी में दर्जनों होमगार्ड ऐसे हैं, जो सालों से लगातार ड्यूटी कर रहे हैं।
होमगार्ड भी हैं सियाने
होमगाड्र्स के शोल्डर बैज में इंग्लिश व हिंदी दोनों में यूपीएचजी लिखा होना चाहिए , लेकि न इसमें भी खेल कि या जाता है। क ई होमगार्ड यूपीहो क ा बैज लगाते हैं और शोल्डर बैज क ो ढीला व लंबा रखते हैं ताकि बैज छुपा रहे। गर्मियों में गमछा और सर्दियों में लैदर की ब्लैक जाकिट पहनते हैं। इससे लोग उसे पुलिसवाला समझ लेते हैं। रात को तो कुछ होमगार्ड बाकायदा यूपीपी का बैज लगाकर ड्यूटी करते हैं। मर्जी के मुताबिक वर्दी
होमगाड्र्स के लिए एक वर्दी फि क्स की गई है, लेकि न डिस्ट्रिक्ट में रूल्स फ ॉलो ही नहीं हो रहा है। होमगार्ड्स अपनी मर्जी से वर्दी पहनते हैं। अधिक तर होमगाड्र्स पुलिस की तरह दिखती अपनी वर्दी क ा पूरा फ ायदा उठाते हैं। पुलिस व होमगाड्र्स की वर्दी में थोड़ा ही अंतर है। पब्लिक इस अंतर क ो समझ नहीं पाती है। होमगार्ड्स की वर्दी खाक होती है लेकि न इनकी वर्दी में लगी फीती ब्लू एंड रेड क लर की होती है। थाना में स्थित होमगार्ड कांस्टेबल की तरह ही यूनीफार्म पहनते हैं। मॉर्निंग सात बजे से लेकर नौ बजे तक ज्यादातर टीएसआई, एचसीपी चौराहों पर नहीं पहुंचते। उस दौरान होमगार्ड और कंास्टेबल ट्रकों और लोडर से वसूली करते मिल जाते हैं। हाल में ही पोस्ट हुए टीएसआई और नये कंास्टेबल्स को पूरी जानकारी देने का काम भी होमगार्ड ही कर रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस में दस साल से पुराने होमगार्ड नौकरी कर रहे हैं।
बीएन तिवारी एसपी ट्रैफिक
होमगार्ड का काम चौराहा चलाने में मदद करना है। चेकिंग में गाड़ी रोकने में भी हेल्प कर सकते हैं। वसूली की कंप्लेन हमे भी मिल रहीं हैं.