मर्जी के मुताबिक वर्दी

होमगाड्र्स के लिए एक वर्दी फिक्स की गई है लेकिन डिस्ट्रिक्ट में ये रूल्स फॉलो ही नहीं हो रहा है। होमगार्ड्स अपनी मर्जी से वर्दी पहनते हैं। अधिकतर होमगाड्र्स पुलिस की तरह दिखती अपनी वर्दी का पूरा फायदा उठाते हैं। पुलिस व होमगाड्र्स की वर्दी में थोड़ा ही अंतर है। पब्लिक इस अंतर को समझ नहीं पाती है। होमगार्ड्स की वर्दी खाकी होती है लेकिन इनकी वर्दी में लगी फीती ब्लू एंड रेड कलर की होती है। लेकिन सिटी में होमगाड्र्स पुलिस कांस्टेबल की तरह खाकी फीती ही लगाकर चलते हैं।

सिर्फ यूपीएचजी का बैज

होमगाड्र्स के शोल्डर बैज में इंग्लिश व हिंदी दोनों में यूपीएचजी लिखा होना चाहिए लेकिन इसमें भी खेल किया जाता है। कई होमगार्डस यूपीहो का बैज लगाते हैं और शोल्डर बैज की फीती को ढीला व लंबा रखते हैं जिससे बैज छुपा रहे। यही नहीं कई बार ड्यूटी ऑफ टाइम व रात में यूपीपी का है बैज लगा लिया जाता है। शोल्डर में पडऩे वाली डोरी भी फुल ब्लू होनी चाहिए पर अधिकांश खाकी कलर की ही डोरी डालकर रखते हैं। इसके अलावा कैप भी गोल होती है और उस पर ब्लू एंड रेड कलर का पट्टी लगी होती है।

ड्यूटी लगाने में खेल

इन होमगाड्र्स की डयूटी लगाने में भी ऐसा ही खेल किया जाता है। शासन से होमगार्ड्स की डयूटी के लिए एनआईसी के तहत साफ्टवेयर तैयार किया गया है। साफ्टवेयर के तहत ही रोटेशन के आधार पर ही हर महीने होमगार्ड की ड्यूटी का रोटेशन होना चाहिए। एक होमगार्ड सिर्फ एक महीने डयूटी करेगा और उसके बाद वह एक महीने तक रेस्ट पर रहेगा। हां, यदि कोई सीनियर पुलिस आफिसर रिक्वेस्ट कर एक्स्ट्रा ड्यूटी के लिए होमगाड्र्स के लिए कहता है तो उसकी ड्यूटी कांटीन्यू की जाती है। लेकिन आफिसर्स के अलावा भी ड्यूटी कांटीन्यू करने में खेल किया जाता है।

सालों से एक ही जगह तैनात

सोर्सेस की मानें तो कई होमगाड्र्सऐसे हैं जो कांटीन्यू एक ही जगह पर डयूटी कर रहे हैं। कोतवाली में एक होमगार्ड ऐसा है जो 30 साल से ड्यूटी कर रहा है। चौकी चौराहा पर तैनात एक होमगार्ड भी करीब तीन साल से ड्यूटी कर रहा है। नकटिया चौकी पर भी दो होमगाड्र्स हैं, जो दस साल से अधिक समय से ड्यूटी कर रहे हैं। इसके अलावा ट्रैफिक पुलिस में कई होमगाड्र्स हैं, जो लगलंबे समय से एक ही जगह ड्यूटी करते हैँ।

कंपनी कमांडर डिसाइड करता है ड्यूटी

ड्यूटी का चार्ट जिला कमांडेंट आफिस से बनता है। इसे कंपनी कमांडर की ओर से बनाया जाता है। कंपनी कमांडर सिविल पुलिस में थाना व टै्रफिक पुलिस में ऑफिस में जाकर चार्ट देते हैं। होमगाड्र्स की ड्यूटी की आमद महीने की पहली तारीख को होती है। बाद में एक महीने तक सिर्फ साइन कर ड्यूटी की जाती है। जो होमगाड्र्स एक महीने ड्यटी कर लेता है। वह हर तीसरे महीने दूसरे प्वाइंट पर ड्यूटी करता है। कई बार रजिस्टर में नाम होने के बाद भी ड्यूटी नहीं बजाई जाती है।

हर प्रोसेस में सुविधा शुल्क

होमगाड्र्स की ड्यूटी लगाने का काम कंपनी कमांडर का होता है, वही डिसाइड करता है कि किसकी ड्यूटी कहां लगेगी। यहीं से सुविधा शुल्क का खेल स्टार्ट किया जाता है। नाम ना बताने की शर्त होमगाड्र्स ने बताया कि ड्यूटी लगाने के लिए बोली लगती है। इस बोली में रेड इस बात पर डिपेंड करता है कि आपको कौन सा थाना चाहिए, ट्रैफिक ऑफिस में जाना है या फिर किसी अधिकारी के ऑफिस में ड्यूटी करनी है। सुविधा शुल्क 200 रुपये से 2000 रुपये तक वसूला जाता है। ट्रैफिक पुलिस में जाने का रेट ज्यादा रहता है। अगर एवरेज एक होमगार्ड से 1000 रुपये की ही वसूली का लगाया जाए तो भी यह आंकड़ा ढाई लाख रुपये महीना पहुंच जाता है और सालाना 25 लाख रुपए जो होमगार्ड सुविधा शुल्क नहीं देता है उसकी ड्यूटी कमाऊ जगह पर नहीं लगाई जाती है। इस पूरी कवायद में ऊपर से लेकर नीचे तक सबका हिस्सा बंटा होता है।

थाना लेवल पर भी होता है खेल

चरणबद्ध तरीके से होने वाले इस पूरे खेल में थाने की भूमिका भी होती है। थाने में आमद के बाद पिकेट या कहीं और ड्यूटी लगाने की जिम्मेदारी थाना लेवल की ही होती है। पहली बार आमद एसएचओ की ओर से की जाती है लेकिन उसके बाद डेली ड्यूटी मुंशी लगाता है और हाजिरी भी चेककरता है। ये पूरा खेल सिर्फ कागजों में ही होता है। यहां मर्जी के अनुसार पिकेट पर ही ड्यूटी लगवा दी जाती है। कई बार तो सिर्फ फोन पर ही इंट्री हो जाती है और उसे ड्यूटी प्वाइंट पर दिखा दिया जाता है।

ट्रैफिक का रेट ज्यादा  

ट्रैफिक पुलिस में अच्छी कमाई के लिए ये पसंदीदा एरिया होता है। ट्रैफिक ऑफिस में बैठकर यह खेल खेला जाता है और होमगाड्र्स की ड्यूटी 'कीमती' प्वाइंट पर लगायी जाती है। जो वसूली करने में हेल्प नहीं करता है उसे सिर्फ ट्रैफिक कंट्रोल करने में लगा दिया जाता है। पिछले दिनों नो स्टेडियम रोड पर नो इंट्री में ट्रक की टक्कर से दादा-पोते की मौत के मामले में भी होमगाडर््स की लापरवाही सामने आयी थी।

पुलिस पर कराती है ऐसा खेल

कई बार होमगाडर््स वसूली का खेल खुद ही खेलते हैं लेकिन कई बार लोकल व ट्रैफिक पुलिस भी इनसे यह खेल करवाती है। पुलिस रूल्स के अकॉर्डिग अगर सिपाही वसूली करते पकड़ा जाता है तो उसे लाइन हाजिर या सस्पेंड किया जा सकता है। लेकिन होमगाड्र्स के मामले में उसे सिर्फ ड्यूटी से ही हटाया जा सकता है। कुछ दिनों बाद वह फिर से ड्यूटी पर आ जाता है।

कम भत्ते का दोष

होमगाड्र्स का डेली भत्ता 170 से बढ़ाकर 210 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा दो साल में वर्दी दी जाती है। 210 रुपये और महीने के रोटेशन के हिसाब से होमगार्ड को दो महीने में 6300 सौ रुपये ही मिल पाएंगे। इतनी महंगाई के दौर में उसे फैमिली चलाना मुश्किल हो जाता है। यही अगर उसकी ड्यूटी घर से दूर लगा दी जाए तो इसकी आधी रकम किराए में ही चली जाएगी। 'कमाऊ' जगह पाने के लिए वह बार-बार फिक्स प्वाइंट व रोटेशन पर ड्यूटी लगवाते हैं।

होमगार्ड के अधिकार

होमगार्ड की ड्यूटी अगर थाने में है तो वह थाना द्वारा डिसाइड प्वाइंट पर जाकर सिक्योरिटी दे सकता है। वह पब्लिक को चेकिंग के लिए रोक तो सकता है लेकिन कोई कागजी कार्रवाई नहीं कर सकता है। उसकी जिस पुलिसकर्मी के साथ डयूटी लगी है उसकी हेल्प कर सकता है। अगर उसकी ट्रैफिक में डयूटी लगी है तो वह ट्रैफिक पुलिस की ट्रैफिक कंट्रोल करने में हेल्प कर सकता है। लेकिन वह किसी का चालान नहीं काट सकता है। चालान काटने का अधिकार एचसीपी या उससे ऊपर का ही अधिकारी कर सकता है।

फीगर स्पीक

कंपनी- 29

डिस्ट्रिक्ट में होमगार्डस- 2900

सिटी में होमगार्डस -1200

कोतवाली-100

बारादरी-54

ट्रैफिक-80

ऑफिसर्स के घर ड्यूटी - 340

'होमगार्ड की वर्दी में रेड एंड ब्लू फीती, ब्लू डोरी व यूपीएचजी का बैज होना चाहिए। होमगार्ड प्रॉपर वर्दी में रहे, इसको चेक करने की जिम्मेदारी कंपनी कमांडर व प्लाटून कमांडर की होती है। अगर ऐसा नहीं हो रहा है और कोई वर्दी की आड़ में वसूली का खेल कर रहा है तो ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। '

-अजय कुमार पांडे, जिला कमांडेंट होमगार्ड