PATNA: पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी एवं जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने राज्य में स्प्रिट पर रोक लगाने के मामले में सुनवाई करते हुए सरकार के शराबबंदी कानून के पालन कराने के तरीके पर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार का ये रवैया राज्य में उद्योग-धंधे बंद करा देगा। अदालत ने शराबबंदी की खामियों का इस दौरान जिक्र किया और कहा कि होम्योपैथिक दवाएं गरीब की पहुंच में थी और वे उसका प्रयोग करते थे आज ये दवाएं गरीबों की पहुंच से दूर हो गई हैं।

 

स्प्रिट कंपनी से जुड़ा है मामला

स्प्रिट बनाने वाली एक कंपनी के राज्य से बाहर स्प्रिट भेजने पर रोक लगाने पर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने शुक्रवार को बगैर किसी का नाम लिए साफ कहा, आप को जो करना है राज्य में करें। मामला बांका जिले की स्प्रिट कंपनी मे। एमजे संस डिस्टलरी एंड बिवरेजेज प्रा। लि। से जुड़ा है। इस कंपनी ने कोर्ट में शिकायत की थी कि राज्य सरकार राज्य से बाहर स्प्रिट आपूर्ति पर भी रोक लगा रही है।

 

विभाग दे रखा है आदेश

सरकार के उत्पाद विभाग ने आदेश जारी कर कहा है कि बिहार की कंपनियां राज्य के बाहर भी उन कंपनियों को स्प्रिट की आपूर्ति नहीं करेगी जो शराब बनाने का कारोबार करती हैं। उत्पाद विभाग के इस फरमान पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी को तलब किया था। उनके राज्य से बाहर रहने की वजह से सुनवाई के लिए उत्पाद आयुक्तकोर्ट पहुंचे थे।

अधिवक्ता सत्यवीर भारती ने कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर शिकायत की थी कि पटना हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इंडस्ट्री में प्रयुक्तहोने वाले अल्कोहल उत्पादन करने की छूट दी थी। इसके बावजूद अब बिहार सरकार बाहर आपूर्ति की जाने वाली स्प्रिट पर बंदिश लगा रही है। इससे कंपनी ऑनर को नुकसान हो रहा है।