लड़की की जहां मौत हुई है, वहां से सिर्फ उसका मोबाइल गायब है। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही यह खुलासा कर पाएगी कि आखिर मौत की वजह क्या है। 18 अप्रैल को हमारी लास्ट बात हुई थी। उसने पूछा कि कैसे हो, मैंने जवाब दिया ठीक हूं। उससे पूछा, तो बोली कि जरूरी बात करनी है, लेकिन अभी नहीं कर सकती। बाद में करती हूं। इसके बाद उसकी आवाज भी नहीं सुन पाया। 19 अप्रैल को फोन किया तो पड़ोसी ने फोन उठाया, मुझे शक हुआ, फिर नमाज पढऩे चला गया। शाम में किसी ने बताया कि बड़ी खगौल फाटक की रहने वाली नाजरीन बानो का इंतकाल हो गया है।

मैंने सोचा भी नहीं था

खुदा जानता है कि तब से अब तक मेरी क्या हालत है। आठ साल के प्यार का यह अंजाम होगा, मैंने सोचा भी नहीं था। मुझे विश्वास है कि उसकी मां शमीमा खातून ने ही उसे मार डाला है। नाजरीन के दुश्मन उसके मां-बाप ही हैं। दोनों ने नाजरीन को मारकर हॉस्पीटल की शरण ले ली है। ताकि लोगों को उन पर शक ना हो। नाजरीन के मां-बाप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। यह कहना था नाजरीन के पति मोहम्मद महफूज आलम का।

स्टूडेंट ने उठाया लेकिन उठी नहीं

नाजरीन की मौत के बाद से ये इलाका पूरी तरह गर्म है। खगौल पुलिस घटनाक्रम के हर चरण को छूते हुए अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट की ओर बढ़ रही है। नाजरीन बानो अपने घर पर ट्यूशन भी पढ़ाया करती थी। सो 19 अप्रैल को जब उसकी स्टूडेंट आई तो उसने नाजरीन को सोया पाया। स्टूडेंट ने हिलाया, जब नाजरीन नहीं उठी तो उसकी मां को सूचना दी गयी। तब तक आसपास के लोग उसे नजदीकी डाक्टर के पास भी ले गए। जहां उसे मृत पाया गया। नाजरीन के परिवार वालों ने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी थी, मामला जब मीडिया में आया तब जा कर पुलिस तब्तीश में जुटी। पुलिस सोर्सेज की मानें तो नाजरीन के गले पर एक निशान दिख रहा था।

19 की सुबह एडमिट, दोपहर में डिस्चार्ज

19 की सुबह अपने पति के लिए खाना लेकर गयी शमीमा खातून को अचानक से चेस्ट पेन हो जाता है और वो हॉस्पीटल में एडमिट हो जाती हैं। पर, दोपहर तीन बजकर 45 मिनट में वो अस्पताल से निकल जाती हैं। इसके बाद घर आकर वो अपनी बेटी के लाश को बर्फ में डालकर रख देती हैं। नाजरीन की मां की ये हरकत कहीं ना कहीं शक की सूई को उनके तरफ मोड़ रही है। वहीं उनके तीनों बेटे अलीगढ़ और दिल्ली से घर आ गए हैं। पति अब्दुल रकीम पिछले कई दिनों से हॉस्पीटल में एडमिट हैं।

आठ साल से एक-दूसरे को जानते थे

कॉमर्स कॉलेज से बायोटेक कर रही नाजरीन बानो को महफूज आलम से प्यार था। दोनों आठ साल से एक-दूसरे को जान रहे थे। महफूज आलम और नजरीन दोनों ने जगत नारायण कॉलेज खगौल से साथ में इंटरमीडिएट किया था। नाजरीन बानो अपने मां-बाप की एकलौती बेटी थी। उसके तीन भाई नसीम अख्तर, वसीम अख्तर अलीगढ़ में रहते हैं और नयाज आलम दिल्ली में रहता है। जबकि बड़ी खगौल चक्रधर का रहने वाला महफूज आलम पटना में कॉलेज काउंसलिंग का काम करता है। डाकबंगला चौराहे पर उसका एडमिशन काउंसिलिंग ऑफिस है। महफूज अपने नाना के घर रहता है।