-इंटरमीडिएट के बाद दसवीं के रिजल्ट के भी बेहतर होने की जगी उम्मीद

-फ्राइडे को जारी होना है यूपी बोर्ड के दसवीं का रिजल्ट

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के दसवीं के रिजल्ट को लेकर छात्रों का बीपी थर्सडे को बढ़ा हुआ था। रविवार को घोषित इंटरमीडिएट की परीक्षा का परिणाम 92.21 परसेंट रहने से माना जा रहा है कि हाईस्कूल का रिजल्ट भी बेहतर रहेगा। यह फैक्टर छात्रों का हौसला बढ़ाने में मददगार था। पिछले कई सालों से यूपी बोर्ड के दसवीं के रिजल्ट में भी आ रही बढ़ोत्तरी भी इसका एक सबसे बड़ा कारण है। इस बार यूपी बोर्ड के दसवीं की परीक्षा में कुल 3993199 स्टूडेंट्स शामिल हुए हैं। इनका रिजल्ट फ्राइडे को आना है।

लगातार बढ़ रहा पासिंग परसेंटेज

कभी सबसे कम पासिंग परसेंटेज देने के लिए कुख्यात यूपी बोर्ड के हाई स्कूल के रिजल्ट में पिछले पांच सालों से पास होने वाले स्टूडेंट्स का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इयर 2009 में जहां दसवीं की बोर्ड परीक्षा में पास होने वाले स्टूडेंट्स परसेंटेज 56.67 रहा। यह आंकड़ा 2010 में 70 प्रतिशत तक पहुंच गया। उसके बाद लगातार ये ग्राफ बढ़ता रहा। इयर 2013 तक बढ़कर यह 86.63 परसेंट तक पहुंच गया। इसको देखते हुए इस बार भी स्टूडेंट्स को पूरी उम्मीद है कि दसवीं में पास होने वाले स्टूडेंट्स का प्रतिशत अधिक रहेगा।

ग‌र्ल्स की यहां भी रही है बादशाहत

बोर्ड परीक्षाओं में ग‌र्ल्स की परफार्मेस ब्वायज के मुकाबले हमेशा से शानदार रही है। इस साल अभी तक आए रिजल्ट में भी इसका उदाहरण देखने को मिला है। यूपी बोर्ड के दसवीं के रिजल्ट में भी ये स्थिति लगातार देखने को मिली। वर्ष 2009 में 62.96 परसेंट ग‌र्ल्स व्यक्तिगत व 68.10 परसेंट ग‌र्ल्स संस्थागत परीक्षा में पास हुई। जबकि ब्वायज का परसेंटेज महज 43.60 व्यक्तिगत व 49.00 परसेंट संस्थागत में रहा। इसके बाद लगातार ग‌र्ल्स के पासिंग परसेंटेज में लगातार प्रोग्रेस देखी गई। वैसे ब्वायज की संख्या में भी इजाफा हुआ, लेकिन वे ग‌र्ल्स के पासिंग नम्बर को नहीं छू सके। 2013 में भी ग‌र्ल्स की पासिंग परसेंटेज ब्वायज के मुकाबले संस्थागत स्टूडेंट्स की कैटेगरी में आठ परसेंट का इजाफा देखा गया। जबकि व्यक्तिगत में स्टूडेंट्स की कैटेगरी में ब्वायज ने दो परसेंट की बढ़त हासिल की।

लास्ट फाइव इयर का रिकार्ड

वर्ष कुल पास छात्र

2009 56.67

2010 70.79

2011 70.82

2012 83.75

2013 86.63

(सभी आंकड़े प्रतिशत में)