ऐसा क्या हो गया कि बाज़ार में अचानक तेजी आ गई है ?

बाज़ार में जब शार्ट टर्म मूवमेंट होती हैं तो...ये मूवमेंट सेंटीमेंटल भी काफी रहती हैं. अगर कोई सकारात्मक कारण सामने दिखता है तो बाज़ार में तेज़ी आ जाती है. अभी जो तेज़ी आई है वो प्राथमिक तौर पर एफ़आई (विदेशी निवेशक) ड्रिवेन तेज़ी है. विदेशी निवेशक काफ़ी ख़रीदारी कर रहे हैं जिसकी वजह से तेज़ी आ गई है. पहले भी ऐसा होता रहा है.

विदेशी निवेशक ख़रीदारी करते हैं तो बाज़ार ऊपर जाता है और अगर वो बेचते हैं तो बाज़ार नीचे जाता है. एक और कारण जो समझ में ये आ रहा है कि अभी एक पाज़ीटिव सेंटीमेंट, नरेंद्र मोदी सरकार बनने को लेकर लोगों में काफी उम्मीदें हैं, उससे ये लग रहा है कि एक स्थायी सरकार बनेगी. इस चीज़ को लगता है कि मार्केट पहले से ही डिस्काउंट कर रहा है.

बाज़ार में आई यह तेज़ी कितनी टिकाऊ है?

यह बात सही है कि हम यह नहीं कह सकते कि यह तेज़ी चलती रहेगी और हम एक बुल मार्केट में आ गए हैं. यह एक शार्ट टर्म रैली (उछाल) ही है. यह उछाल एफ़आई की ख़रीदारी से है. जिन्हें कम समय के लिए ख़रीदारी करनी है वो ख़रीद सकते हैं लेकिन जिन्हें लंबे समय की ख़रीदारी करनी है उसके लिए अभी थोड़ा इंतजार करना ही सही रहेगा.

बाज़ार आगे किस दिशा में जाएगा?

अभी तो उम्मीद यही है कि थोड़ी वोलैटैलिटी रहेगी. उतार-चढ़ाव होता रहेगा और जैसे-जैसे आगे का घटनाएं सामने आएंगी, मार्केट पर उनका प्रभाव पड़ता रहेगा जैसे कि आगामी विधानसभाओं चुनावों के परिणामों से लोकसभा के लिए एक रुझान स्पष्ट होगा तो इससे बाज़ार में तेज़ी आ सकती है.

'स्थायी सरकार की उम्मीद से आया है बाज़ार में उछाल'

आम निवेशकों के बारे में क्या सुझाव है? बाज़ार अभी तेज है तो क्या उन्हें बाज़ार में आना चाहिए?

आम निवेशक अगर बाज़ार में अच्छे शेयर ख़रीदते हैं तो लंबे दौर में उन्हें नुकसान होने की संभावना कम होती है. नुकसान हमेशा इसलिए होता है जब आपने अच्छी कंपनी का शेयर नहीं ख़रीदा है या फिर शार्ट टर्म फ़ायदे- नुक़सान के लिए शेयर ख़रीदा है. आम निवेशक को लंबे समय के लिए अच्छी कंपनी के शेयर ख़रीदने चाहिए.

उन्हें हमेशा ब्लू चिप कंपनी के शेयर ख़रीदने चाहिए. अगर वो ऐसा करेंगे तो वो कभी भी नुकसान में नहीं रहेंगे. आम ख़रीदार इकट्ठा शेयर खरीदने की बजाय धीरे-धीरे अगले पांच-छह महीने में शेयर ख़रीद सकते हैं. शार्ट टर्म के उतार चढ़ाव को उनको नहीं देखना चाहिए..

क्या बाज़ार की तेज़ी से महंगाई कम होगी?

बाज़ार में तेजी से महंगाई का कोई सीधा संबंध नहीं है. ये ज़रूर है कि एफ़आई पैसा बाज़ार में आ रहा है तो उससे रुपए को फ़ायदा हो सकता है और रुपए को फ़ायदा होगा तो महंगाई को फ़ायदा हो सकता है तो उस नज़रिए से कह सकते हैं कि थोड़ा प्रभाव पड़ सकता है लेकिन वैसे कोई बहुत ज़्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है.

बाज़ार क्या वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव ला सकता है ?

अभी तो ऐसा नहीं लग रहा है कि बाज़ार की इस तेज़ी से कुछ राजनीतिक प्रभाव पड़ेगा लेकिन यह तेज़ी आगे चलती रहती है और एक बुल मार्केट में कनवर्ट हो जाती है तब उसका कुछ फ़र्क पड़ सकता है. अभी तो सभी विशेषज्ञों का यही मानना है कि यह तेज़ी एक स्थाई सरकार बनने की उम्मीद में है.

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