मोहित शर्मा

हाईकोर्ट ने दो माह पूर्व सिटी बसों के परमिट को कर दिया था कैंसल

-बस संचालकों और आरटीओ अफसरों के बीच फंसा टैक्स

-पिछले आठ माह से एक भी बस संचालक ने नहीं जमा कराया टैक्स

<मोहित शर्मा

हाईकोर्ट ने दो माह पूर्व सिटी बसों के परमिट को कर दिया था कैंसल

-बस संचालकों और आरटीओ अफसरों के बीच फंसा टैक्स

-पिछले आठ माह से एक भी बस संचालक ने नहीं जमा कराया टैक्स

MeerutMeerut। सिटी बसों के संचालन पर हाईकोर्ट की रोक के बावजूद सिटी बसें न केवल शहर की सड़कों पर खूब भर्राटा भर रही हैं, बल्कि शहरवासियों को रिस्क पर रख सरकार को हर माह लाखों के राजस्व का फटका भी लगा रही हैं। और ये सब हो रहा है आरटीओ अफसरों और बस संचालकों की सांठगांठ से।

क्या है मामला

दरअसल, स्टेट ट्रांसपोर्ट एफिलीएट ट्रिब्यूनल (एसटीएटी) की याचिका पर हाईकोर्ट ने क्7 अक्टूबर ख्0क्म् को सिटी बसों के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगाई थी। इसके साथ ही इन बसों के परमिट को भी कैंसल करने की आदेश सुनाया था। जबकि आगे से उन्हे परमिट जारी न करने का फरमान भी जारी किया गया था। आज जबकि इस बात को दो माह का समय हो गया है, बावजूद इसके सड़कों पर अवैध रूप से दौड़ रही सिटी बसें हाईकोर्ट के आदेशों को धज्जियां उड़ा रही हैं।

हाईकोर्ट का आदेश दबाए

अवैध रूप से संचालित की जा रही सिटी बसों के इस खेल में न केवल आरटीओ अफसर व बस संचालक शामिल हैं, बल्कि एमसीटीएनएल भी पूरी तरह भागीदार है। यही वजह है कि हाईकोर्ट के आदेश को एमसीटीएनएल पूरे दो माह तक दबाए बैठा रहा। जबकि आदेशों की जानकारी सार्वजनिक होने के बाद जनरल मैनेजर संदीप लाहा ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर आरटीओ को सिटी बसों के परमिट निरस्त करने को पत्र लिखा है।

कहां जाएगा दो माह का टैक्स

अब जबकि हाईकोर्ट ने क्7 अक्टूबर ख्0क्म् को सिटी बसों के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि हाईकोर्ट के आदेश के आने के अवैध रूप से संचालित हो रही सिटी बसें पाबंदी के बाद का टैक्स कहां जमा कराएंगे। ऐसे में इस समयावधि का टैक्स न तो आरटीओ वसूल कर सकता है और न ही बस संचालक उसको विभाग में जमा कराएगा।

कहां गया क्ख् लाख का टैक्स

आरटीआई एक्टीविस्ट सुनील सिंघल का आरोप है कि मार्च ख्0क्म् में क्ब् सिटी बसों को परमिट जारी किया गया था। जिसकी आड़ में शहर में फ्0 सिटी बसें चलाई जा रही हैं। सुनील ने बताया कि ताज्जुब की बात यह है कि आठ माह की इस समयावधि में एक भी बस संचालक ने ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में टैक्स नहीं जमा कराया है। ऐसे में अवैध रूप से चल रही सिटी बसों के प्रति आरटीओ अफसरों की सुस्ती बस संचालकों के साथ मिलीभगत का इशारा करती है।

फीगर स्पीक

-कुल परमिटेड बस - क्ब् (अब रोक)

-कुल सीट - भ्म्0

-दो माह का कुल टैक्स - क्,फ्7,7म्0 रुपए

-आठ माह का कुल टैक्स - भ्,भ्क्,0ब्0 रुपए

-अवैध बसें संचालित - क्म् (विदआउट परमिट)

-कुल सीट - म्ब्0

-आठ माह का कुल टैक्स - म्,ख्9,7म्0 रुपए

-फ्0 बसों का कुल टैक्स क्क्,80,800 रुपए

बॉक्स

पीआईएल की तैयारी

सिटी बस संचालकों और आरटीओ अफसरों की सांठगांठ के खिलाफ हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल करने की तैयारी की जा रही है। आरटीआई एक्टीविस्ट सुनील सिंघल ने बताया कि लंबे समय से निजी स्वार्थ की भेंट चढ़ रहा लाखों के टैक्स से सरकार को बड़ा नुकसान पहुंच रहा है। सुनील ने बताया कि वो इस गोरखधंधे के खिलाफ हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं।

मैं चार दिन से बाहर हूं। मुझे कोर्ट के आदेशों की कोई जानकारी नहीं है। यदि इस तरह के कोई आदेश हैं तो उनका अनुपालन कराया जाएगा।

-कमल प्रसाद, एआरटीओ प्रवर्तन मेरठ

कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए आरटीओ को पत्र लिख दिया गया है। आरटीओ को तुरंत सिटी बसों का परमिट निरस्त करते हुए उनका संचालन बंद कराना चाहिए।

-संदीप लाहा, जीएम एमसिटीएनएल