-राजकीय महिला अस्पताल में गर्भवती महिला की इलाज के लिए नहीं ली किसी ने सुध

-सड़क से अस्पताल तक टहलती रह गई लावारिस महिला

-पीडि़ताओं के लिए बना आशा ज्योति केन्द्र भी नहीं आया काम

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अपने शहर में लावारिस गर्भवती महिलाओं के लिए चिकित्सा व्यवस्था डांवाडोल है। यही नहीं, पीडि़ताओं को लेकर हमेशा सजग होने का दावा करने वाला आशा ज्योति केंद्र भी ऐसी महिलाओं के इलाज को लेकर गंभीर नहीं है। सोमवार को एक गर्भवती महिला को न तो राजकीय महिला चिकित्सालय में इलाज मिल पाया और न ही आशा ज्योति केंद्र में जगह मिल पाई। सूचना देने के बाद भी 108 एम्बुलेंस मौके पर नहीं पहुंची जिसके बाद महिला को ऑटो से कबीरचौरा स्थित महिल चिकित्सालय ले जाया गया। लेकिन यहां से भी उसे बीएचयू रेफर कर दिया गया। यही नहीं चिकित्सकों द्वारा कागजी प्रक्रिया पूरी न करने की वजह से यह महिला 6 घंटे तक इमरजेंसी के बाहर बैठी रही। इसके बाद भी इलाज न किये जाने पर दर्द से कराहती महिला कहीं और चली गई।

आशा ज्योति ने खड़े किए हाथ

रविवार की रात भदऊं चुंगी के पास समाजसेवी अमन यादव को 35 वर्षीय महिला माया लावारिस हाल में मिली थी। उस दौरान अमन ने जब माया को आशा ज्योति केंद्र में रखवाने के लिए कॉल किया तो जवाब मिला कि यहां नहीं रख सकते। हालांकि केन्द्र से डायल 100 पर सूचना देने की बात कही गई। इस पर अमन ने डायल-100 पर सूचना दी जिसके बाद पुलिस तो आई पर वह महिला का हवाला देते हुए खानापूर्ति कर लौट गई। बाद में आसपास की महिलाओं ने उसे खाना खिलाने के साथ घर के बाहर ही सोने के लिए आसरा दिया।

सुबह तड़पने लगी महिला

सुबह होते ही महिला दर्द से छटपटाने लगी। जानकारी होने पर अमन यादव ने डायल-100 सहित 108 एंबुलेंस को कॉल किया लेकिन कोई नहीं पहुंचा। तब अमन यादव आसपास के लोगों की मदद से महिला को ऑटो से लेकर कबीरचौरा स्थित महिला चिकित्सालय पहुंचा। लेकिन यहां गर्भवती को स्ट्रेचर पर लिटाने के बजाए चबूतरे पर ही बैठाए रखा गया। एडमिट करने की बात कहने पर घंटों पंचायत होती रही लेकिन भर्ती नहीं किया गया। अंतत: डीएम, एडीएम सिटी सहित सीएमओ तक को खबर दी गई लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई।

मंत्रीजी की भी नहीं चलती

इस मामले में जब किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई तो सीएम के करीबी राज्यमंत्री डॉ। नीलकंठ तिवारी को सूचना दी गई। उन्होंने गंभीरता दिखाते हुए सीएमओ को कॉल कर महिला को प्रारंभिक इलाज शुरू करने को कहा। लेकिन यहां मंत्री के निर्देश को भी हवा में उड़ा दिया गया। इस पर इमरजेंसी के बाहर घंटों से बैठी महिला चिकित्सकों के रवैये से क्षुब्ध होकर कहीं और चली गई।

उस दौरान हमारी टीम दूसरे केस में बिजी थी और रेस्क्यू वैन भी नहीं था। इसलिए महिला के पास नहीं पहुंच पाई।

रश्मि दूबे, मैनेजर आशा ज्योति केन्द्र

महिला की मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण पहले उसे मंडलीय हॉस्पिटल में एडमिट कराने का आदेश दिया गया था। लेकिन जब महिला वहां से खुद चली गई तो क्या किया जाए।

डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ

महिला की मानसिक स्थिति ठीक न होने के साथ ही उसकी अभी डिलीवरी भी नहीं होनी थी। लिहाजा उसे सामान्य मरीजों के बीच नहीं रखा जा सकता था। इसलिए बीएचयू रेफर किया गया।

डॉ। आरपी कुशवाहा, एसआईसी