300-प्राइवेट हॉस्पिटल हैं जिले में

12-के करीब हॉस्पिटल्स के पास ही एनओसी

12-मीटर से कम चौड़ी रोड पर नहीं बना सकते हॉस्पिटल

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लगी आग तो 'भगवान' बचेंगे न इंसान

बिना एनओसी धड़ाधड़ बंट गया प्राइवेट हॉस्पिटल्स को लाइसेंस

कई हॉस्पिटल्स में आग लगने की हो चुकी हैं घटनाएं, नहीं लिया सबक

ALLAHABAD: भुवनेश्वर के एसयूएम हॉस्पिटल में सोमवार को शार्ट सर्किट से आग लगने से हुई 23 मौतों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। ऐसी घटनाएं हॉस्पिटल्स के फायर फाइटिंग सिस्टम पर सीधा सवाल खड़ा करती हैं। इलाहाबाद के हॉस्पिटल्स के भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। यहां कई नर्सिगहोम बिना फायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट की एनओसी के संचालित हो रहे हैं। पूर्व में हुई घटनाओं से भी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने सबक नहीं लिया है। हॉस्पिटल्स को बिना एनओसी लाइसेंस जारी हो जाता है।

एक दर्जन के पास ही एनओसी

जिले में तीन सौ प्राइवेट हॉस्पिटल्स संचालित हैं। लेकिन इनमें से एक दर्जन के आसपास को ही फायर ब्रिगेड विभाग ने एनओसी जारी की है। बाकी को बिना एनओसी कैसे लाइसेंस मिला यह बड़ा सवाल है। इस मामले में आईनेक्स्ट ने अधिकारियों से बात की तो वे एक-दूसरे को जिम्मेदार बताते नजर आए। बता दें कि हाल ही में ऐसी कई बड़ी घटनाएं हुई जिनमें मरीजों की जान पर बन आई। समय रहते रेस्क्यू ऑपरेशन न चलता तो हॉस्पिटल में आग से जलकर मरने वालों की संख्या कहीं अधिक होती।

इन घटनाओं से नहीं लिया सबक

घटना नंबर एक- इसी साल सात जून को रामबाग स्थित जीवन ज्योति हॉस्पिटल के आईसीसीयू वार्ड में शार्ट सर्किट से भीषण आग लगी थी। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाडि़यों ने किसी तरह आग पर काबू पाया। यहां भर्ती गंभीर मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सका। घटना के बाद प्रशासन ने कई जरूरी दिशा निर्देश दिए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

घटना नंबर दो- सात जून को ही कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल के गैस गोदाम के नजदीक बिजली के पैनल में भी तेज धुएं के साथ आग लगी थी। आनन-फानन में हॉस्पिटल प्रशासन ने इस एरिया की बिजली कट कर आग पर काबू पाया। हालांकि, इस घटना से हॉस्पिटल प्रशासन लगातार इंकार करता रहा। हॉस्पिटल सूत्रों का कहना था कि अगर समय रहते एक्शन न लिया जाता तो बड़ा हादसा हो जाता।

घटना नंबर तीन- दो साल पूर्व एसआरएन हॉस्पिटल के मेडिसिन आईसीयू वार्ड में शार्ट सर्किट से लगी आग से हड़कंप मच गया था। सुबह के वक्त हुई घटना के दौरान मरीजों को किसी तरह सुरक्षित निकाला गया। यहां कई गंभीर मरीज भर्ती थे। हॉस्पिटल प्रशासन ने इसके बाद शासन को फायर फाइटिंग एडवांस सिस्टम डेवलप करने का प्रपोजल भेजा जो मंजूर भी हो गया। अभी यह सिस्टम तैयार नही हो सका है।

संकरी गली के हॉस्पिटल सिरदर्द

शहर में हाल के दिनों में कई जगह तेजी से प्राइवेट हॉस्पिटल्स का निर्माण हो रहा है। इन्हें आवासीय इलाकों में कई मंजिला तक बनाया गया और कामर्शियल उपयोग हो रहा है। ये हॉस्पिटल कम जगह पर इतने संकरे बनाए गए हैं कि हादसों के समय मरीजों को शिफ्ट करने में पसीने छूट जाते हैं। नियमानुसार 12 मीटर से कम चौड़ी रोड पर हॉस्पिटल का निर्माण नहीं किया जा सकता है। एडीए ने ऐसे हॉस्पिटल्स के खिलाफ अभियान जरूर चलाया था लेकिन मेडिकल एसोसिएशंस के विरोध आगे ड्राइव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

नहीं कराते फायर एक्सटिंग्विशर की रीफिलिंग

फायर ब्रिगेड अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार एक निश्चित शुल्क जमा कराने के बाद हॉस्पिटल्स को अपने फायर फाइटिंग उपकरणों की जांच करानी चाहिए। उनके यहां लगाए गए फायर एक्सटिंग्विशर की राीफिलिंग जरूरी है। हर साल इसका मैटीरियल चेंज होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आग लगने पर उसे बुझाना मुश्किल हो सकता है। बावजूद इसके आग लगने की घटना के बाद जांच होती है तो फायर फाइटिंग इक्विपमेंट बेकार पाए जाते हैं।

हमने इस साल बमुश्किल एक दर्जन हॉस्पिटल्स की एनओसी जारी की है। बाकी नर्सिगहोम्स के कैसे चल रहे हैं यह स्वास्थ्य विभाग बता पाएगा। हमारे पास क्वेरी आती है तो हम हॉस्पिटल की जांच कराते हैं और कमियां मिलने पर ऑब्जेक्शन लगा देते हैं। फिर भी उनको लाइसेंस जारी कर दिए जाते हैं।

इंदु कुमार तिवारी, चीफ फायर ऑफिसर, इलाहाबाद

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एनओसी तो फायर ब्रिगेड विभाग जारी करता है। उनको जांच करने के बाद सर्टिफिकेट जारी करना होता है। यह वह बताते हैं कि हॉस्पिटल फायर फाइटिंग सिस्टम के लिए एलिजिबल है कि नहीं।

डॉ। आलोक वर्मा, सीएमओ, इलाहाबाद