प्रदेश सरकार ने सरकारी हॉस्पिटल्स में फ्री ऑफ कास्ट ऑपरेशन का दे रखा है आदेश

फ्री ऑफ कास्ट की बात तो दूर आपरेशन में ही नहीं रुचि ले रहे एफआरयू में तैनात डॉक्टर

ALLAHABAD: यूपी गवर्नमेंट चाहती है कि सरकारी हॉस्पिटल्स में ऑपरेशन पूरी तरह फ्री ऑफ कास्ट हो। इसके लिए आदेश भी जारी कर दिया गया है। लेकिन, सच यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के एफआरयू यानी फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट में तैनात डॉक्टर सीजेरियन डिलीवरी करने में इंट्रेस्टेड नहीं है। ऐसे में मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल की शरण लेनी पड़ती है। जब ऑपरेशन ही पूरी तरह से नहीं हो रहे तो फ्री ऑफ सर्जरी के आदेश का क्या फायदा?

एफआरयू के हालात बदतर

जिले के पांच एफआरयू में शासन की ओर से सीजेरियन डिलीवरी के लिए डॉक्टर्स की तैनाती की गई है। इनमें प्रत्येक डॉक्टर को पर मंथ कम से कम पांच सीजर कराने का लक्ष्य दिया जाता है लेकिन मौजूदा आंकड़े इससे कहीं पीछे हैं। जानकारी के मुताबिक अप्रैल से लेकर जुलाई तक चार माह में हंडिया में छह, करछना में 16, सोरांव में 13, फूलपुर में आठ और जसरा में केवल एक डिलीवरी की गई है। बताया जाता है कि जसरा में जुलाई में सेंटर खुला है तो करछना में डॉक्टर तैनात हैं। बाकी जगह एक-एक डॉक्टर रखे गए हैं, जो अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं। यही कारण है कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में डिलीवरी का ग्राफ बढ़ता जा रहा है।

डीएम कर चुके हैं कार्रवाई

ग्रामीण क्षेत्रों में सीजेरियन डिलीवरी बेहतर कराने के लिए शासन के आदेश पर कांट्रेक्ट पर डॉक्टरों की तैनाती की जाती है। जिनका वेतन प्रतिमाह 65 हजार से लेकर 1.5 लाख रुपए तक रखा जाता है। बावजूद इसके कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हो रहा है। मई में डिस्ट्रिक्ट हेल्थ सोसायटी की बैठक में डीएम संजय कुमार ने टारगेट पूरा नहीं कर पाने पर एफआरयू के दो कांट्रेक्चुअल डॉक्टर्स को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। वहीं, इससे भी ज्यादा खराब हालात सरकारी हॉस्पिटल में होने वाले मेजर ऑपरेशन के हैं। इनके लक्ष्य भी पूरा नहीं होने पर कई बार प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को फटकार लगाई है।