-मंडलीय हॉस्पिटल के मर्चरी की हालत अब भी दयनीय

-लंबे समय से नहीं आ रहे अटेंडेट, 8 पदों में एक भी नहीं हो रही फील

पिछले कई साल से बीमार पड़े मंडलीय हॉस्पिटल के मर्चरी की हालत में सुधार नहीं आ रही है। आएगी भी कैसे जब इसके लिए कोई व्यवस्था ही नहीं की जा रही हो। मर्चरी में न तो लाशों को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त फ्रीजर है और न साफ-सफाई करने के लिए कर्मचारी। आपकों सुनकर हैरानी होगी कि यहां लाशों को रखने और निकालने के लिए अटेंडेंट तक नहीं है। वर्तमान में यहां एक भी अटेंडेट नहीं है। जबकि इसके लिए आठ पोस्ट सेंसन है। बताया जाता है कि लंबे समय से यह पोस्ट खाली पड़ा है। इस काम को कोई करना ही नहीं चाहता।

कमिश्नर ने दिया था आश्वासन

अधिकारियों का कहना हैं कि मर्चरी की व्यवस्था वाकई ठीक नहीं है। मुर्दो को व्यवस्थित रखने और उन्हें सहेजने के लिए विभाग की ओर से 8 अटेंडेंट नियुक्त करने का अधिकार है। लेकिन जब भी इस पद को भरने के लिए विज्ञापन दिया गया, यह विफल रहा। ऐसा लगता है कि अब कोई इस काम को करना ही नहीं चाहता। फिलहाल एक प्राइवेट व्यक्ति मुर्दो को ऑटो मर्चरी में रखने का काम कर रहा है। हॉस्पिटल प्रबंधन का कहना हैं कि दो माह पूर्व कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने मर्चरी का निरीक्षण किया था। स्थिति देखने के बाद उन्होने एक फ्रीजर उपलब्ध कराने का आश्वावस दिया था। लेकिन आज फ्रीजर नहीं आया।

लाशों की नहीं कर रहे कद्र

हॉस्पिटल के एग्जिट गेट के पास बने इस मर्चरी की हालत बुचड़खाने से भी बदतर है। लाशों को रखने के लिए यहां दो फ्रीजर लगाए गए हैं लेकिन एक फ्रीजर में ही दो से तीन लाश रखी जाती हैं। अगर शवों की संख्या इससे ज्यादा हुई तो जमीन पर रख दिया जाता है बिना बर्फ या उसे सुरक्षित रखने के किसी और इंतजाम न होने के चलते इस भीषण गर्मी में कुछ ही घंटों में शवों से बदबू आने लगती है।

नाक बंद कर गुजरते है लोग

यहां हर रोज सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते है। मर्चरी में रखी लाशों से आ रही बदबू इतनी है कि ओपीडी में आने-जाने वाले हर मरीज और उनके अटेंडेंट नाक पर रूमाल रखने को मजबूर हो जाते हैं। मरीजों का कहना है कि इस हाल में हॉस्पिटल में इंसान जितना इलाज नहीं कराएगा उससे ज्यादा बीमारी लेकर जाएगा।

इंफेक्शन का डर

लावारिस शवों को सुरक्षित रखने में अस्पताल प्रबंधन आनाकानी करता है। सड़ते शवों के दुर्गध के साथ ही इंफेक्शन का खतरा भी है। नियमत: लावारिस अवस्था में मिली लाशों की शिनाख्त के लिए उसे 72 घंटे तक मर्चरी में रखना जरूरी होता है। तय अवधि बीतने के बाद ही पुलिस उसका अंतिम संस्कार करवा सकती है। सूत्रों की मानें तो यहां आई लावारिश लाशें छह-सात दिन पड़ी रह जाती हैं।

एक नजर

8 से 10 लाशें रहती हैं मर्चरी में

2 लाश रखने का है इंतजाम

2 फ्रीजर है मौजूद

1 फ्रीजर में सिर्फ एक लाश रखने की जगह

1 फ्रीजर में ठूंसी जाती हैं 2-3 लाशें

2-3 लाशें खुले में ही जमीन पर सड़ती है

शव अटेंडेट के लिए कुल आठ है। कई बार वैकैंसी निकाली गई, लेकिन कोई भी नहीं आया। अब कोई इस काम को करना ही नहीं चाहता।