-मंडलीय हॉस्पिटल के होम्योपैथ विभाग में दवा का है टोटा

-पिछले एक साल से नहीं आ रही दवाएं, मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ रहा

मंडलीय हॉस्पिटल में होम्योपैथिक ओपीडी के मरीजों को सरकारी दवाएं नहीं मिल रही हैं। चिकित्सकीय परामर्श के बाद मरीजों को खुद से रुपयों से बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही है। हॉस्पिटल के आयुष विंग के होम्योपैथिक डिपार्टमेंट में यह समस्या पिछले एक साल बनी हुई है। मजबूरन मरीज सिर्फ परामर्श लेकर लौट रहे हैं। इसके चलते अब मरीज हॉस्पिटल जाने से करता रहे हैं। चिकित्सकों की मानें तो होम्योपैथिक ओपीडी में रोजाना 100 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे थे। लेकिन दो-तीन माह से इनकी संख्या कम हो रही है। मरीजों का कहना है कि जब दवा बाहर से ही खरीदना है तो यहां आने का क्या फायदा?

दे रहे बची दवाएं

हॉस्पिटल के आयुष विंग के होम्योपैथिक डिपार्टमेंट में आने वाले मरीजों को पहले की जो थोड़ी बहुत दवाएं बची है वहीं देकर काम चलाया जा रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि मरीजों को मजबूरीवश बाहर की दवाएं लिखी जा रही हैं। यहां पिछले एक साल से दवाओं की खरीद नहीं हुई है। इस संबध में कई बार सीएमओ को लेटर लिखा जा चुका है लेकिन दवाएं नहीं आ रही।

खुद के पैसे से दे रहे दवा

होम्योपैथिक ओपीडी में बैठे डॉ। नवीन गुप्ता ने बताया कि दवा न होने का दर्द सिर्फ मरीजों को ही नहीं उन्हें भी है। लंबे समय से खत्म हुई दवाओं को मंगाने के लिए हॉस्पिटल प्रबंधन से लेकर सीएमओ तक से शिकायत की गई है। बावजूद इसके अब तक दवा उपलब्ध नहीं हो सकी। उनका कहना हैं कि मरीजों का होम्योपैथ चिकित्सा को लेकर एक विश्वास बन चुका है। बेहतर इलाज की आस में यहां दूर-दराज से आने वाले मरीजों को वे खुद के पैसे से दवा खरीद कर दे रहे हैं। जिससे उन्हें निराश होकर जाना न पड़े, लेकिन ऐसा तो हम सभी मरीजों के साथ नहीं कर सकते।

बननी चाहिए सही नीति

केंद्र सरकार की ओर से दवाओं के लिए दिसंबर माह में बजट मिल जाता है। इसके बाद राज्य स्तर से दवाओं की खरीद के लिए मार्च माह तक आदेश आता है। तब तक कंपनी का कांट्रैक्ट रेट न होने व विभाग द्वारा दवाओं की खरीद पर ध्यान न देने से दवाओं की खरीद नहीं हो पाती। जिसके चलते दवा का टोटा पूरे साल बना रहता है। ऐसे में अगर दवा खरीद की सही नीति शासन स्तर पर बनाई जाए तो इस समस्या की नौबत न आए।

वर्जन---

होम्योपैथिक ओपीडी में चिकित्सक ने देख तो लिया, लेकिन दवा नहीं दी, जब पूछा तो बताया कि दवा खत्म हो गई है बाहर से खरीद ले।

ऊषा सिंह, रामनगर

दवा उपलब्ध कराने के लिए संबंधित अधिकारी को बोला गया है। फिलहाल बजट की कोई कमी नहीं है। लोकल परचेज कर दवा उपलब्ध कराई जाएंगी।

डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ

एक नजर

2000 मरीज रोजाना पहुंचते है मंडलीय हॉस्पिटल में

250 से ज्यादा मरीज रोज पहुंचते है आयुष विंग में

50-60 मरीज होते है होम्योपैथिक डिपार्टमेंट में