Lucknow: इंसान पर लालच की भूख इस कदर हावी हो गई है कि वह कब्रिस्तानों पर भी कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे। ऐसा ही हुआ इमामबाड़ा गुफरान मुआब में जहां 80 कब्रों के ऊपर स्लैब डालकर उस पर तीन फ्लोर का हॉस्पिटल तैयार कर दिया गया। ध्यान देने वाली बात है कि यह पूरा निर्माण शिया वक्फ बोर्ड अथवा शासन की मंजूरी के बिना हो गया और किसी ने इसका विरोध तक नहीं किया। जिनके अजीजों की कब्र इस हॉस्पिटल के नीचे आ गईं वे लोग कुछ न कर पाने की मजबूरी के साथ अपनी किस्मत को कोस रहे हैं. 
चौक सब्जी मण्डी में गुफरान मुआब के पिछले हिस्से में कब्रों के ऊपर बने सामरा हॉस्पिटल का रजिस्टे्रशन सीएमओ ऑफिस में अप्रैल 2007 में कराया गया। रजिस्ट्रेशन में इस हॉस्पिटल का संचालन करने वाली संस्था का नाम सामरा साइंटिफिक एण्ड वेलफेयर ट्रस्ट व संचालक का नाम असद अहमद दर्ज है.
भाई को दफनाने पहुंचे तो ठगे रह गये
तालाब गंगनी शुक्ल निवासी व बहुखंडीय मंत्री आवास, डालीबाग के इलेक्ट्रिक डिवीजन में कार्यरत सैय्यद हादी अब्बास ने बताया कि वर्ष 2004 में उनकी कश्मीरी मोहल्ला निवासी बड़ी बहन रेहाना ने अपने लिये 45 हजार रुपये में हयाती कब्र खरीदी थी। उनसे पहले 19 मई 2010 को उनके बड़े भाई सैय्यद सरदार मेंहदी उर्फ सरवर का इन्तकाल हो गया। जिसके बाद रेहाना ने अपनी हयाती कब्र भाई को दफनाने के लिये डोनेट कर दी.
सैय्यद हादी ने बताया कि जब वे लोग भाई को दफनाने पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उस कब्र के ऊपर स्लैब डालकर तीन फ्लोर का अस्पताल बन चुका था। ठगा सा महसूस कर रहे गमजदा हादी अब्बास व उनके परिजनों ने उस वक्त मृतक सैय्यद सरदार मेंहदी को उस हयाती कब्र में सुपुर्दे खाक कर दिया और वापस लौट गये.
सैय्यद हादी ने बताया कि उन्होंने इसके बाद इमामबाड़े के मैनेजर इजहार हुसैन से कई बार इसका विरोध जताया लेकिन उनके इस विरोध को अनसुना कर दिया गया। कई बार जब भाई की कब्र पर फातिहा पढऩे गये तो उन्होंने देखा कि कब्रों के ऊपर बने इस हॉस्पिटल से रिस कर गंदा पानी नीचे आता है.
मुर्दों की लड़ाई लड़ रहा जिंदा इंसान
मुर्दों के साथ हो रहे इस अन्याय को लोगों के सामने लाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता सैय्यद हैदर मेंहदी ने बताया कि जब उन्होंने शिया समुदाय के पवित्र धार्मिक स्थल पर हो रही इस मनमानी को लेकर आवाज उठाई तो उन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया.
जिसके बाद उन्होंने राइट टू इन्फॉर्मेशन एक्ट के तहत शिया वक्फ बोर्ड में आवेदन कर सामरा हॉस्पिटल के निर्माण व स्थल के चयन का प्रस्ताव, सर्वप्रथम बोर्ड के समक्ष आने का दिनांक व उस व्यक्ति का नाम व पदनाम जिसने इसे बोर्ड को भेजा या प्रस्तुत किया, के बारे में जानकारी मांगी। लेकिन, शिया वक्फ बोर्ड के तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी सैय्यद गुलाम सय्यदैन रिजवी की ओर से दिये गये जवाब ने उनके होश उड़ा दिये। बोर्ड की ओर से बताया गया कि ऐसा कोई प्रस्ताव मंजूरी के लिये बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत ही नहीं किया गया। इससे साफ हुआ कि इस हॉस्पिटल को बनवाने में वक्फ बोर्ड से कोई इजाजत नहीं ली गई.
एक्सटेंशन की कोशिश
आरटीआई कार्यकर्ता सैय्यद हैदर मेंहदी ने बताया कि कब्रों पर बने इस हॉस्पिटल के बगल में पड़ी जमीन पर 2010 में इसके एक्सटेंशन की तैयारी शुरु हो गई थी। पिलर फाउंडेशन के लिये बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिये गए। हैदर के मुताबिक, इसकी जानकारी मिलने पर उन्होंने इस निर्माण को रुकवाने के लिये हाईकोर्ट में रिट फाइल कर दी। मामला कोर्ट में जाते देख अपोजिट पार्टी ने वहां हॉस्पिटल निर्माण कराने की बात से ही इनकार कर दिया और वहां जारी निर्माण कार्य रुक गया.

सामरा हॉस्पिटल को बनवाने के लिये शिया वक्फ बोर्ड से कभी इजाजत नहीं मांगी गई। वैसे भी शासन का जीओ है कि कब्रिस्तानों पर कोई निर्माण नहीं हो सकता इसलिये प्रस्ताव आया भी होता तो इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती थी।
सैय्यद वसीम रिजवी
अध्यक्ष
शिया सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ, उत्तर प्रदेश

किसी इमामबाड़े में इस तरह के निर्माण के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। फिर भी शरीयत के मुताबिक कब्रों के ऊपर किसी तरह का निर्माण जायज नहीं है।
मौलाना मीसम जैदी
शिया धर्मगुरू

Reported By: Yasir Raza