-मंडलीय हॉस्पिटल के अपग्रेडेशन में खर्च हुआ 10 करोड़

-फिर भी चिकित्सकीय व्यवस्थाएं जस की तस

-मरीजों को नहीं मिल रही मुकम्मल सुविधाएं

प्रदेश सरकार ने 10 करोड़ की लागत से शहर के मंडलीय हॉस्पिटल को हाईटेक लुक के साथ यहां आने वाले मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल जैसी सुविधाएं देने के लिए पिछले दो साल में कई योजनाएं शुरू कराई। लेकिन अभी तक अस्पताल का हाल बदला नहीं, जबकि यह साल भी बीतने को है। अब इसे हॉस्पिटल प्रशासन की उदासीनता कहें या अधिकारियों की लापरवाही कि डेडलाइन खत्म होने के बाद भी यहां चिकित्सकीय व्यवस्थाओं में खास चेंजेज नहीं दिख रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल को अपग्रेड करने के लिए पिछले साल शुरू कराये गए सभी कार्य पूरे हो चुके हैं। जबकि हकीकत ये है कि यहां मरीजों को मुकम्मल सुविधाएं ही नहीं मिल रही हैं।

अपग्रेडेशन का काम भी नहीं पूरा

रिमॉड्येलाइज योजना के तहत पिछले साल ही हॉस्पिटल में मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल जैसी सुविधाएं देने के लिए इसे मॉडल हॉस्पिटल बनाने काम शुरू किया गया था, लेकिन अभी तक यह काम पूरा नहीं हुआ। कहीं वायरिंग का काम बाकी है तो कहीं बैठने की व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि समय की सीमा समाप्त होने को है। अपग्रेडेशन के तहत यहां मरीजों को ओपीडी रजिस्ट्रेशन से लेकर जांच तक की सुविधा देने के लिए तीन माह पहले एक प्लेटफॉर्म तैयार कर दिया गया, लेकिन इसकी अब तक शुरुआत नहीं की गई है।

ई-हॉस्पिटल का काम भी अधूरा

शहर के सभी सरकारी अस्पतालों को ई-हॉस्पिटल के रूप में विकसित करने के क्रम में मंडलीय हॉस्पिटल में साल 2017 के अंत में इसके लिए काम शुरू किया गया। दो फेज में तैयार होने वाले ई-हॉस्पिटल के लिए दिसंबर 2018 की डेडलाइन तय की गई थी, जिसमें पहले चरण का काम 6 माह में पूरा हो गया, लेकिन दूसरे चरण का काम अब तक शुरू ही नहीं हो पाया है। हालांकि अधिकारियों की दलील है कि सेकेंड फेज का काम प्रॉसेस में है। इस योजना के तहत हॉस्पिटल के सभी कामकाज ऑनलाइन सिस्टम पर आधारित करना है। जिसमें ओपीडी रजिस्ट्रेशन से लेकर ओपीडी तक के सभी कामकाज रजिस्टर के बजाए नेशनल हेल्थ पोर्टल के जरिए होना है। इसमें खास बात ये भी है कि मरीजों को रजिस्ट्रेशन काउंटर पर आने के बजाए घर बैठे डॉक्टर से अप्वॉइंमेंट मिलना है।

'मेरा अस्पताल पोर्टल' भी फिसड्डी

छह माह पहले केन्द्र सरकार की ओर से शुरू की गई मेरा अस्पताल पोर्टल की भी हवा निकल गई है। इस पोर्टल के जरिए अस्पताल में आने वाले मरीजों से यहां की साफ-सफाई और चिकित्सकीय व्यवस्था का फीडबैक लेना है, लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन का इस तरफ भी ध्यान नहीं जा रहा है। हॉस्पिटल परिसर से लेकर ओपीडी तक में फैली गंदगी यह बता रही है कि मंडलीय हॉस्पिटल को कितना हाईटेक बनाया जा रहा है।

ये हैं योजनाएं

-ई-हॉस्पिटल बनाना

-फायर फाइटिंग सिस्टम का अपग्रेडेशन

-दिव्यांग फ्रेंडली हॉस्पिटल

-लिफ्ट का निर्माण

-हेल्प डेस्क बनाना

-आयुष्मान योजना के लिए हेल्प डेस्क

-मानसिक रोग क्लिनिक बनाना

-जिडियाट्रिक क्लिनिक व वार्ड

-डीएमडी कोर्स, ब्रिज कोर्स

-ऑपरेशन थिएटर, वार्ड का रिडिजाइन

वर्जन--

हॉस्पिटल में अपग्रेडेशन के तहत होने वाले सभी कार्य लगभग पूरे हो चुके हैं। जो बचा है वो प्रगति पर है। रही बात ई-हॉस्पिटल की तो इसके सेकेंड फेज का काम भी पूरा हो चुका है।

डॉ। अरविंद सिंह, एमएस मंडलीय हॉस्पिटल