बगैर license चल रहा hospitals का kitchen
आमतौर पर हॉस्पिटल्स में इनडोर पेशेंट्स को डायट भी प्रोवाइड़ कराया जाता है। हॉस्पिटल्स में इसके लिए अपना किचन होता है जहां एक साथ कई लोगो के लिए खाना बनता है। बात एमजीएम हॉस्पिटल की करें तो 524 बेड वाले इस हॉस्पिटल में भी हर रोज 300 से ज्यादा पेशेंट्स का खाना बनता है। वहीं सिटी में कई ऐसे प्राइवेट हॉस्पिट्ल्स भी हैं जिनमें पेशेंट्स को खना प्रोवाइड कराया जाता है लेकिन किसी ने अभी तक फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट के पास लाइसेंस के लिए अप्लाई नहीं किया है। वहीं रूल के अनुसार हॉस्पिटल के इन किचन्स का रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस भी जरुरी है क्योंकि यहां पर भी बल्क में लोगों को खना प्रोवाइड कराया जाता है। हैरानी की बात है कि गवर्नमेंट रन एमजीएम हॉस्पिटल के किचन के पास भी लाइसेंस नहीं है। फूड सेफ्टी ऑफिसर महेश पांडेय ने बताया की अभी तक सिर्फ टीएमएच हॉस्पिटल को लाइसेंस इश्यू किया गया है। उन्होंने बताया कि टीएमएच के अलावा किसी भी हॉस्पिटल द्वारा लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन नहीं दिया गया है।

Hygiene है सबके लिए जरुरी
फूड सेफ्टी ऑफिसर ने बताया की सभी तरह के किचन और फूड प्रोडक्ट्स के लिए लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन लेना जरूरी है चाहे इसका पर्पस कॉमर्शियल हो या नहीं। उन्होंने कहा कि एक्ट का मकसद फूड सेफ्टी को इंश्योर करना है ऐसे में सबके लिए जरूरी है कि वो  हायजीन को मेंटेन रखें। उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल्स में भी एक साथ कई लोगों का खाना बनता है इसलिए उनके किचन के लिए भी लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन जरूरी है। उन्होंने जल्द ही एमजीएम सहित दूसरे हॉस्पिटल्स का दौरा कर जांच करने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डिफरेंट जेल्स में मौजूद मेस के लिए भी लाइसेंस की प्रक्रिया स्टार्ट की गई है। घाघीडीह जेल से उन्होंने फूड सैैंपल कलेक्ट किए जाने की बात भी कही।

'सभी फूड ऑपरेटर्स के लिए लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन जरूरी है। हॉस्पिटल भी इसमें शामिल हैं। सिटी में अभी तक सिर्फ एक हॉस्पिटल को लाइसेंस दिया गया है.'
-महेश पांडेय, फूड सेफ्टी ऑफिसर, कोल्हान

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in