-आग बुझाने के लिए पूरे नहीं हैं इंतजाम

-कागजों में है बस खानापूर्ति, स्टाफ ट्रेंड नहीं

Meerut । लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में बीते शनिवार को शार्ट सर्किट से भीषण आग लग गई। इस घटना के बाद सरकारी अस्पतालों में आग से बचने के सुरक्षा इंतजामों की असली तस्वीर भी सामने आ गई है। रविवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट टीम ने शहर के तीन सरकारी अस्पतालों में ऐसे किसी हादसे से बचाव के इंतजामों की हकीकत जाननी चाही तो स्थिति बेहद चिंताजनक नजर आई। शहर के सरकारी अस्पतालों में अचानक ऐसी कोई आपदा हो जाएं तो यहां बचाव के इंतजाम नहीं हैं।

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फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं

सरकारी अस्पतालों में आगजनी से बचने के लिए पूरे यंत्र तक नहीं हैं। मात्र फायर एक्सटिंग्यूशर के भरोसे ही आग बुझाने की व्यवस्था हैं। इन अस्पतालों में 3 से चार हजार मरीज रोजाना आते हैं। ऐसे में निकासी के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं हैं।

स्मोक सेंसर भी नहीं

अचानक आग लगने की स्थिति में सरकारी अस्पतालों में स्मोक सेंसर तक नहीं हैं। मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में स्मोक सेंसर हैं लेकिन वह भी सुचारू रूप से नहीं चल रहे हैं। मेडिकल कॉलेज की जनरल ओपीडी की बिल्डिंग 50 साल पुरानी हैं। यहां भी विभाग आग से सुरक्षा के महज 30 प्रतिशत इंतजाम ही कर पाया है।

नहीं हैं पूरे साधन

आपातकालीन की स्थिति में सभी सरकारी अस्पतालों में ऊपरी मंजिलों से तत्काल नीचे आने के लिए भी पूरे इंतजाम नहीं हैं। ऊपरी मंजिलों में काफी भीड़ होती है और यहां नीचे आने के लिए संकरे रास्ते हैं।

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हमने स्टॉफ को ट्रेनिंग दी है। अग्निशमन यंत्र रिफिल करवा दिए गए हैं। इसके अलावा हमने फायर फाइटिंग सिस्टम के लिए लखनऊ से बजट की डिमांड भेजी है।

डॉ। पी.के बंसल, एसआईसी, जिला सरकारी अस्पताल

आगजनी से बचाव से इंतजाम पूरे हैं। स्टॉफ को यंत्र चलाने की ट्रेनिंग दी गई है। अग्निशमन यंत्र रिफिल करवा लिए है।

डॉ। मंजू मलिक, एसआईसी जिला महिला चिकित्सालय

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सुरक्षा के इंतजाम पूरे हैं। इमरजेंसी में नया फायर फाइटिंग सिस्टम लगा है। पुरानी बिल्डिंग में सिलेंडर हैं जिन्हें समय-समय पर रिफिल करवा लिया जाता है।

डॉ। सचिन, एमएस, मेडिकल कॉलेज