पहले भी हो हॉस्टल वॉशआउट को लेकर हो चुका है बवाल

वीसी हांगलू के कार्यकाल में है यह दूसरी घटना

अचानक आए आदेश से भड़का छात्रों का गुस्सा

बवाल के बाद विवि प्रशासन को वापस लेना पड़ा अपना आदेश

ALLAHABAD: जिस बात का डर था वही हुआ। प्रशासन व पुलिस के साथ विवि प्रशासन का हॉस्टल खाली करवाने का फरमान उल्टा पड़ गया। छात्रों का आरोप है कि वीसी हांगलू ने अपनी पिछली गलतियों से सबक नहीं लिया, जिसका दुष्परिणाम सामने है। पिछले साल हॉस्टल वॉशआउट के दौरान भी यही हालात बने थे।

लास्ट ईयर अप्रैल में फूंकी गई थी बस

27 अप्रैल 2017 को वीसी हांगलू के कार्यकाल में ही छात्रों ने हॉस्टल खाली कराए जाने के विरोध में विवि परिसर में तोड़फोड़ करते हुए तीन वाहनों में आग लगा दी थी। इसमें परिवहन विभाग की एक बस भी शामिल थी। छात्र और पुलिस के बीच कई घंटे गुरिल्ला युद्ध चला था। इसको संभालने में प्रशासन व पुलिस के पसीने छूट गए थे। इसके पहले पूर्व वीसी प्रो। एके सिंह के कार्यकाल में भी जमकर बवाल हुआ था।

पूरा पैसा लिया लेकिन नहीं दी सुविधाएं

बताया जाता है पिछले हॉस्टल खाली कराने के दौरान विवि प्रशासन ने वादा किया था कि दस जुलाई तक सभी छात्रों को कमरे का आवंटन कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेटलतीफी के चलते किसी को तीन तो किसी को चार से पांच माह के लिए ही कमरा एलॉट किया गया। छात्रों को बेहतर सुविधाएं देने के नाम बढ़ी हुई फीस 14 हजार रुपए वसूली गई। बदले में सुविधाएं भी नहीं दी गई थीं। इससे भी छात्र खुद को ठगा सा महसूस कर रहे थे।

फटाफट बैठक, दनादन आदेश

मंडे को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विवि प्रशासन की बैठक में हॉस्टल वॉशआउट का निर्णय लिया गया था। इस बैठक के बाद छात्रों को जरा भी समय नहीं दिया गया। फरमान जारी कर 5 से 11 जून के बीच हॉस्टल खाली कराने का आदेश दिया गया था। हालांकि 12 से 15 जून के बाद विवि प्रशासन द्वारा खुद खाली कराने की बात कही गई थी। अचानक हुए निर्णय ने एक बार फिर विवि प्रशासन की प्रशासनिक क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए।

इन मुद्दों पर मुखर हो गई नाराजगी

विवि प्रशासन एक बार फिर यूनिवर्सिटी के माहौल को परखने में नाकाम साबित हुआ। रजिस्ट्रार हितेश लव को हटाए जाने के विरोध और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भर्ती में भ्रष्टाचार का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बीच हॉस्टल वॉशआउट के फरमान ने आग में घी का काम किया।

बैकफुट पर आया विवि प्रशासन

बवाल हो जाने के बाद आखिरकार विवि प्रशासन की आंख खुली। वीसी की ओर से जारी आदेश में साफ हॉस्टल वॉशआउट के आदेश को फिलहाल टाल दिया गया है। नया आदेश जारी होने तक यथास्थिति बनी रहने दी जाएगी। इसके पीछे 18 जून को होने वाली पीसीएस मेंस सहित भविष्य में यूजीसी-नेट जैसी प्रतियेागी परीक्षाओं की तैयारियों को वजह बताया गया है।

कुलपति द्वारा मनमानेपन और आरक्षण को नजरअंदाज कर अवैध नियुकित व वॉशआउट के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा था। इस दौरान कुलपति के आदेश पर पुलिस लाठीचार्ज कर छात्रों को अरेस्ट किया है। इसका विरोध जारी रखा जाएगा।

-चंद्रशेखर चौधरी, छात्रसंघ उपाध्यक्ष, इलाहाबाद विवि

हमलोग अपनी तमाम मांगों को लेकर शांतिपूर्वक तरीके से कुलपति कार्यालय का घेराव कर रहे थे। इसी दौरान कुछ अराजक तत्वों से पुलिस की झड़प हुई और वाहनों को आग लगा दिया गया। इसके विरोध में पुलिस ने बर्बरता से छात्रों की पिटाई कर गिरफ्तार कर लिया।

-निर्भय द्विवेदी, छात्रसंघ महामंत्री

हॉस्टल वॉशआउट, रजिस्ट्रार को हटाए जाने समेत ऐसे कई फरमान हैं जिनका विरोध किया जा रहा है। एमएचआरडी द्वारा कुलपति की प्रशासनिक क्षमता पर उठाया गया सवाल इस घटना के बाद एक बार फिर सही सिद्ध हो रहा है।

-ऋचा सिंह, पूर्व अध्यक्ष इलाहाबाद विवि छात्रसंघ

इलाहाबाद विवि प्रशासन अपने मन, दिमाग, आचरण, परिसर व गंदगी को साफ करने के बजाए भीषण गर्मी में हॉस्टलों को खाली करा रहा है। यह पूरी तरह गलत है। विवि की इसी छात्र विरोधी नीतियों के चलते आगजनी की घटना हुई है। इससे विवि की छवि धूमिल हुई है।

-अमरेंदू सिंह, एडवोकेट