लास्ट ईयर से दो गुनी तक कर दी गई हॉस्टल की फीस

देरी के कारण खाली रह गए कमरे, इस बार भी बन रहे वैसे ही हालात

vikash.gupta@inext.co.in

PRAYAGRAJ: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शैक्षिक सत्र 2018-19 की शुरुआत 02 जुलाई को हुई थी। लेकिन हॉस्टल आवंटन और पजेशन का इंतजार सभी नव प्रवेशी छात्र-छात्राओं को अब तक है। विद्यार्थियों का सवाल है कि जब फीस पूरे एक सत्र की ली जाती है तो छात्रावास एक सत्र के लिए क्यों नहीं दिया जाता? छात्रों का कहना है कि नवम्बर-दिसंबर में एंड सेमेस्टर परीक्षा और मार्च में वार्षिक परीक्षा कराई जाती है। अब यदि उन्हें हॉस्टल देर से मिलता है तो तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता।

15 हजार रुपए तक लेते हैं

इविवि के हॉस्टल में अधिकतम फीस 15 हजार रुपए है। लास्ट ईयर इविवि प्रशासन ने फीस तकरीबन दो गुना कर दी थी। उस समय इसका काफी विरोध हुआ था। बावजूद इसके एयू एडमिनिस्ट्रेशन में कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही। इन्ही परिस्थितियों के चलते लास्ट ईयर हास्टल्स में बड़ी संख्या में कमरे खाली रह गए थे। छात्रों का तर्क था कि इतनी फीस चुकाकर हास्टल कम समय के लिए क्यों लें?

कोर्स वाइज आवंटन भी चैलेंज

लास्ट ईयर भी हास्टल आवंटन में देरी और भारी भरकम फीस के चलते छात्रों ने दाखिला लेना उचित नहीं समझा। क्योंकि एक सत्र में तीन, चार और पांच माह के लिए ही सीट आवंटित हो पा रही थी। नियम है कि वार्षिक परीक्षाओं की समाप्ति के साथ ही छात्र कमरे खाली कर देंगे। बता दें कि एयू के हास्टल में दाखिला ज्यादातर पूर्वाचल के छात्र लेते हैं। पिछले वर्ष से एयू ने कोर्सवाइज आवंटन का भी कांसेप्ट फॉलो किया था। यह काम भी इस बार चुनौती है।

फीस नहीं ले पा रहे, हास्टल कैसे दें?

- सभी छात्रावासों की एक जैसी स्थिति

- ट्रस्ट के हास्टल में तो और भी ज्यादा है चैलेंज

- यही क्लियर नहीं कि हास्टल में कितने लीगल है और कितने इललीगल

- इविवि में न्यू एकेडमिक सेशन की शुरूआत हुए लम्बा समय बीत चुका है

- नियम है कि हास्टल्स में रहने वाले अन्त:वासियों से समय रहते फीस जमा करा ली जाए

- दिसम्बर आने वाला है और एयू एडमिनिस्ट्रेशन सभी पुराने अन्त:वासियों से फीस ही नहीं जमा करवा सका है

- फीस जमा करने के लिए नोटिस और रिमाइंडर भेजा जा चुका है

बन चुका है यह ट्रेंड

- जब तक रेड नहीं डाली जाएगी, तब तक अन्त:वासी फीस जमा करने में इंट्रेस्ट नहीं लेंगे।

- उनमें फीस जमा करने को लेकर एयू एडमिनिस्ट्रेशन का कोई भय भी नजर नहीं आता।

वैकेंट सीटों का ब्यौरा जुटाना चैलेंज

- मौजूदा हालातों में न्यू एकेडमिक सेशन में दाखिला पाए छात्र-छात्राओं के लिए एक और मुश्किल होगी।

- जब तक हास्टल्स में रह रहे सभी अन्त:वासी फीस नहीं जमा कर देते, यह तय कर पाना चैलेंजिंग है कि हास्टल्स में कौन लीगल है और कौन इललीगल।

- नव प्रवेशियों को ज्यादा तादात में प्रवेश दे पाना तब तक असंभव है। जब तक हास्टल में रह रहे अन्त:वासियों से फीस नहीं जमा करवा ली जाती।

- इसी बेस पर वैकेंट सीटों का ब्यौरा भी तैयार होता है।