- हाथ से उठाने को मजबूर थे मलबा

Meerut : खरखौदा के कूड़ी गांव में हुई घटना ने सभी को हिला कर रख दिया। सुबह जब मकान गिरा तो ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। हर कोई अपने मकान से बाहर आ गया। उस समय बारिश नहीं हो रही थी। गांव वालों ने राहत कार्य की शुरुआत की। काफी देर बाद स्थानीय पुलिस पहुंची। उसके बाद फायर बिग्रेड और बाकी जिले के सभी पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे। मलबे के अंदर करीब एक घंटे तक परिजन मौत से जूझते रहे।

किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था

ग्रामीणों और पीडि़तों के अनुसार शनिवार रात के करीब 3:40 का समय था जब मकान का ऊपरी माले का आगे का हिस्सा अचानक भरभरा कर गिर गया। उस समय मकान में विजयपाल समेत पूरे परिवार के 20 लोग सो रहे थे। कुछ नीचे तो कुछ ऊपरी वाले हिस्से में थे। विजयपाल उनका बेटा नरेंद्र व उसकी पत्‍‌नी और तीनों छोटे बच्चे बुरी तरह फंसे हुए थे। परिवार के बाकी लोगों में विजयपाल की पत्‍‌नी और एक और बेटा भी फंसे थे, लेकिन वे मलबे में ऊपरी हिस्से में ही थे। कुछ देर बाद जब ग्रामीणों को होश आया तो उन्होंने विजयपाल की पत्‍‌नी व उनके बेटे जो मलबे के ऊपरी हिस्से में थे, उनका बाहर निकालने का काम किया। उन्हें ज्यादा चोटें नहीं आई थीं।

एक घ्ाटे बाद पहुंची फायर बिग्रेड

हादसे के समय ग्रामीणों में चींख पुकार मची थी। इतने में किसी ने कंट्रोल रूम को फोन कर दिया। उस समय स्थानीय थाना के एसओ मुंडाली में अपनी फोर्स के साथ कैंप किए हुए थे। वे वहां से घटना के आधे घंटे बाद करीब सवा चार बजे घटना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने आसपास के चौकी से भी पुलिस बुला ली। पुलिस भी ग्रामीणों के साथ मलबा हटाने का काम करने लगी। पुलिस पहुंचने के पौने घंटे बाद करीब पांच बजे से पहले फायर ब्रिगेड की रिलीफ टीम अपने साजो सामान के साथ पहुंची। तब तक पुलिस नरेंद्र को निकाल को सकुशल बाहर निकाल चुकी थी। वह काफी गंभीर रूप से घायल था। इसके बाद सभी ने मिलकर नरेंद्र की पत्‍‌नी, तीनों बच्चे और उसके पिता के विजयपाल के शव को बाहर निकाला

शव देखते ही मच गया कोहराम

जब नरेंद्र के पिता, उसकी पत्‍‌नी और तीनों बच्चे के शव को एक-एक करके बाहर निकाला गया तो पूरा गांव सन्न रह गया। मौके पर काफी संख्या में महिलाएं भी थीं। वे यह मंजर देख नहीं पाई और रोनें लगीं। मकान में रह रहे बाकी परिजन जो बच गए थे वह भी यह मंजर देख बेसुध हो गए। एक पल के लिए किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि वे पांचों इस दुनिया से चले गए हैं। वे शव को हिला-हिला कर देख रहे थे कि कहीं बेहोश तो नहीं हैं। लेकिन उनके शरीर में कुछ भी हरकत नहीं हो पा रही थी। इसके बाद सभी को समझ में आ गया कि वे इस दुनिया में नहीं रहे। परिजनों पर भारी विपदा आन पड़ी थी। एक तो उनकी गाढ़ी कमाई से बना मकान ढह चुका था तो दूसरी तरफ परिवार के पांच सदस्यों की मौके पर रही मौत हो गई थी।

मलबा हटाने में आई परेशानी

ग्रामीण, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम को मलबा हटाने में काफी परेशानी आ रही थी। एक तो गांव में लाइट में नहीं थी। पुलिस जब पहुंची तो वह अंधेरे में ही मलबा हटा रही थी। फायर बिग्रेड की टीम पहुंची तो कुछ लाइट का इंतजाम हो सका। वे अपने साथ लेकर आए थे। मलबा हटाने में और देरी इसलिए हुई क्योंकि वे हाथों से हटा रहे थे।

मौके पर पहुंचे अधिकारी

पुलिस और फायर बिग्रेड की टीम पहुंचते ही एक-एक करके पुलिस और प्रशासन के सभी अधिकारी पहुंचने लगे। आईजी, डीआईजी, एसएसपी, डीएम, एसपी आरए, एसपी सिटी कोई भी ऐसा अधिकारी नहीं बचा जो मौके पर नहीं पहुंचा हो। उन्होंने मौके पर स्थिति का जायजा लिया। विजय पाल का मकान तो पक्का था, लेकिन उसकी छत कच्ची थी। लेंटर नहीं पड़ा था। गार्टर के सहारे गारे से छत बनाई गई थी। यही वजह थी कि दो दिनों से हुई बारिश की वजह से वह गिर पड़ी।

- मामला बेहद गंभीर और दुखद है। प्राकृतिक आपदा है। इससे एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई। पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम ने फौरी राहत पहुंचाते हुए मलबे से बाहर लोगों को निकाला।

- डीसी दूबे, एसएसपी, मेरठ