-कटरा एरिया में हुई घटना, मलबे में दबकर युवती की मौत

-सिटी में दर्जनों ऐसे मकान जो हैं खतरे के मुहाने पर

-मौत के बाद जागे अब बोले कि गिरेगा जर्जर मकान

ALLAHABAD: मौत की आहट को उसने भांप लिया था। अंदाजा हो चुका था कि कुछ अनहोनी होने वाली है। शोर मचाकर उनसे अपने मां-बाप, भाई-बहन को तो कमरे से बाहर कर दिया लेकिन, खुद को नहीं बचा पाई। उसके कमरे से निकल पाने से पहले ही जर्जर मकान की पूरी छत बारिश के आगे घुटने टेकते हुए ढह गई। अल्का सामान निकालने की कोशिश में लगी थी। मलबे से जब तक उसे लोग बाहर निकालते उसकी सांसें हमेशा के लिए थम चुकी थीं।

वर्षो से रहते हैं रेंट पर

नेतराम चौराहे पर स्थित एक फेमस दुकान के मालिक मयंक अग्रवाल का चौराहे के पास पुराना मकान है। इस मकान में वर्षो से होरी लाल अपनी फैमिली के साथ रहते हैं। सैकड़ों साल पुराने मकान की वर्षो से मरम्मत भी नहीं हुई थी। क्यों नहीं हुई? इस सवाल का कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। थर्सडे को होरी लाल अपनी वाइफ विजय लक्ष्मी बेटा गुड्डू और बेटी अल्का के साथ घर में ही थे। सुबह से ही हो रही बारिश के चलते वे घर से नहीं निकल सके।

आहट मिली तो हो गई एलर्ट

फैमिली मेम्बर्स की मानें तो शाम को करीब साढ़े चार बजे सभी लोग अपने रूम में बैठे हुए थे। तभी अचानक अल्का को कुछ डाउट हुआ। उसे लगा कि छत गिरने वाली है। अल्का ने शोर मचाया और अपने मां-बाप और भाई को घर से बाहर निकलने के लिए बोला। वह सबको बाहर निकालने लगी। फिर वह खुद अंदर ताला बंद करने के लिए चली गई।

एक चीख और छा गया सन्नाटा

स्थानीय लोगों की मानें तो जैसे ही अल्का दोबारा कमरे के अंदर गई अचानक मकान की छत नीचे आ गई। एक बड़ा सा पत्थर उसके सिर पर गिरा जिससे वह वहीं दब गई। यह देख उसके घर वालों के होश उड़ गए। चीख पुकार के बीच स्थानीय लोग भी मदद के लिए वहां पहुंचे। जितना हो सकता था आसपास के लोगों ने तेजी दिखाई और वहां से सामान निकालने में जुट गए। कुछ देर बाद खून से लथपथ अल्का को हॉस्पिटल लेकर भागे। लेकिन, तक तक देर हो चुकी थी। अल्का की सांसे थम गई।

फिर एक्टिव हुई पुलिस

कुछ देर बाद इस हादसे की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को हुई। कर्नलगंज पुलिस मौके पर पहुंच गई। आसपास के घरों का भी वही हाल था। यह बताना मुश्किल था कि अब क्या होगा। लिहाजा पुलिस ने आसपास के दुकानों को बंद कराया ताकि वे फिर हादसे के शिकार न हो जाएं। घटना के एक घंटे बाद सीओ कर्नलगंज नीति द्विवेदी भी पहुंच गई। उन्होंने मामले में पूछताछ करने में लगी रही।

ये क्या हो गया

इस हादसे ने अल्का की मां को झकझोर दिया। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो गया। जिस बेटी का हाथ पीला करने की तैयारी चल रही थी अब उसका जनाजा निकलेगा। घटना के बाद वह बाहर एक साइड में गुमशुम सी बैठी रही। वह इतना ज्यादा परेशान हो चुकी थीं कि आंखों के आंसू तक सूख चुके थे। मोहल्ले वाले उन्हें ढांढस बंधाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उनकी खामोशी थी कि टूटने का नाम ही नहीं ले रही थी।

एक सैकड़ा से अधिक मकान जर्जर

ऐसा नहीं है कि इन मकानों के बारे में नगर निगम या प्रशासन को जानकारी नहीं है। लेकिन, दोनों अपना बचाव यह तर्क देकर करते हैं कि यह प्राइवेट प्रापर्टी है। नगर निगम सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर मकानों में मालिक और किराएदार का विवाद है। कुछ मामले कोर्ट में पेंडिंग हैं और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश है। ऐसे में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। पब्लिक को चेतावनी भी दी जा चुकी है लेकिन वे इसे छोड़ने को तैयार ही नहीं हैं।