- लोगों को भारी पड़ रही बारिश के मौसम में उमस भरी गरमी

- बीमारी की सौगात दे रहे जलभराव में पनप रहे मच्छर

-खांसी, वायरल, टायफाइड तथा पेट की बीमारियों ग्रस्त हैं लोग

Meerut: बारिश पड़ने से जहां एक तरफ लोगों ने राहत की सांस ली। वहीं बारिश के बाद गली-मोहल्लों में जगह-जगह हुए जल भराव से स्थानीय लोंगों में तरह-तरह की बीमारियां पनप रही हैं। साथ ही बारिश के बाद अचानक हुई उमस से सरकारी और गैर सरकारी अस्पताल फुल कर दिए हैं। डॉक्टर्स के अनुसार इस समय उपचार के लिए आने वाले मरीजों में लगभग 80 फीसदी मरीज मच्छर के काटने व मौसम के कारण हुई बीमारी से ग्रस्त अस्पतालों में आ रहे हैं।

बीमारी की बाढ़

डॉक्टर्स के अनुसार बदलते मौसम में बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्र के लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। बारिश के बाद अचानक भीषण गर्मी व जगह-जगह हुए जल भराव के कारण उसमें मच्छर पनप रहे हैं। जिसके चलते बाशिंदे उल्टी, दस्त, पेचिस, वायरल, टायफाइड सहित विभिन्न प्रकार की बीमारियों ने लोगों को घेर लिया है। जिससे जिला अस्पताल, मेडिकल कालेज सहित प्राइवेट अस्पतालों में बेड फुल हैं। डॉक्टरों के अनुसार इस मौसम में बीमारी की अचानक बाढ़ सी आ जाती है, जिसका सावधानी रखकर ही उपचार किया जा सकता है।

अस्पतालों में भीड़

पेट रोग विशेषज्ञ डॉ। निमेश अग्रवाल के अनुसार अचानक हुई बारिश और फिर उमस भरी गर्मी से मनुष्य का शारीरिक संतुलन बिगड़ जाता है। जिसके चलते रोजाना मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इस समय आने वाले मरीजों में 80 फीसदी मरीज मौसम के कारण बीमार होकर अस्पताल में पहुंच रहे हैं।

ओपीडी में दो गुना मरीज

मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉ। विभु साहनी ने बताया कि जनरल दिन की तुलना में इस समय ओपीडी दो गुनी हो गई हैं। उन्होने बताया कि सामान्य दिनों में औसत ओपीडी 1000 के आसपास रहती है। लेकन अब 1800 से 2000 तक पहुंच रही है। यही हाल जिला अस्पताल का भी है। जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ। सुनील कुमार गुप्ता ने बताया कि बारिश के बाद अचानक ओपीडी में इजाफा हुआ है। गुरुवार को उनके यहां कुल 700 ओपीडी हुई। जो सामान्य दिनों की अपेक्षा में लगभग 300 ज्यादा है।

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वायरल के लक्षण

-तेज बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, थकान और गले में दर्द, बदन दर्द, खासी व जुकाम, नाक बहना, जोड़ों में दर्द और सूजन, आँखें लाल होना, भूख न लगना

वायरल फीवर में एंटीबॉयटिक्स दवाओं की कोई भूमिका नहीं होती। बावजूद इसके अगर वायरल के अलावा अलग से कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन हो, तब एंटी बॉयटिक्स दे सकते हैं। रोगी को पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट लेना चाहिए। शरीर में पानी या तरल पदार्र्थो की कमी नहीं होनी चाहिए।

-डॉ। संदीप सिंह, फिजिशियन

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डेंगू के लक्षण

-अचानक तेज बुखार आना, लंबे समय तक बुखार रहना (करीब सात दिन), सिर दर्द, मसल्स व बॉडी पेन, हाथ-पैरों में रैशेज पड़ना, जी मचलाना, उल्टी आना, भूख न लगना, आंखों में दर्द रहना।

मलेरिय के लक्षण

ये बुखार चढ़ता-उतरता रहता है और रोगी को ठंड लगती है, मलेरिया बुखार 10-15 दिन रहता है, जोड़ों में दर्द, उल्टी आना, दर्द और ऐंठन, पसीना आना,

उपचार

मलेरिया को माइक्रोस्कोपिक विजुअल्स और डेंगू को इम्यून केमिकल इंवेस्टिगेशन से डिटेक्ट किया जाता है। मलेरिया के लिए एंटीमलेरियल ड्रग्स दी जाती हैं। जबकि डेंगू के लिए कोई खास दवा नहीं बनी है। इसका इलाज फ्लूड रिससिटेट और ब्लड ट्रांसफ्यूजन है।

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उपचार से बेहतर बचाव

-कटे व खुले फलों से परहेज करें।

-जिन खाने की चीजों पर मक्खी बैठ जाए, उन्हें न खाएं।

-जो लोग पहले से ही वाइरल फीवर से ग्रस्त हैं, उनकी छींकों से स्वस्थ लोगों को बचना चाहिए।

-कूड़े-कचरे को खुला न छोड़ें।

-कमरे हवादार और साफ होने चाहिए।

-भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

-घर के आसपास पानी न इकट्ठा होने दें।

-पार्क या ग्राउंड में पानी भरा है तो उसमें मिट्टी का तेल डाल दें ताकि वहां मच्छर न पनप सकें।

-इस बात का हमेशा ध्यान दें कि हर बुखार में ब्लड प्लेटलेट्स काउंट कम होते हों मगर डेंगू में ये तेजी से और ज्यादा तादात में कम होते हैं।

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मानसून में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। जगह-जगह जलभराव के चलते मच्छर बढ़ जाते हैं, जिनके काटने से मलेरिया, टायफाइड और डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी भी पनपने लगती है।

-डॉ। तनुराज सिरोही

प्रेसीडेंट, आईएमए