क्या होती है अल्ट्रासाउंड तकनीकि

अल्ट्रासाउंड स्कैन या सामान्य अल्ट्रासाउंड एक ना दिखने वाली दर्द रहित डॉग्नोस्टिक तकनीकि है। इसके जीरिए मनुष्य के भीतर घटने वाली चीजों के बारे में पता चलता है। इसे सोनोग्राफी के नाम से भी जाना जाता है। अल्ट्रासाउंड स्कैन में उच्च फ्रीक्वेंसी वाली ध्वनि तरंगें पेट के जरिये गर्भाशय में भेजी जाती हैं। ये तरंगे शिशु को छू कर वापिस आती हैं और कम्प्यूटर इन तरंगों को तस्वीर के रूप में परिवर्तित कर देता है। गर्भ में शिशु की स्थिति और हलचल के बारे में इस तस्वीर से पता चलता है। तस्वीर में हड्डी जैसे ठोस उत्तक सफेद और सौम्य उत्तक स्लेटी और चितकबरे दिखाई देते हैं। तरल पदार्थ जैसे एमनियोटिक द्रव्य, जिसमें शिशु रहता है। तरंगों के प्रति कोई प्रतिध्वनि नहीं करता इसलिए तस्वीर में काला दिखाई देता है।

कैसे काम करती है अल्‍ट्रासाउंड मशीन

कैसे किया जाता है अल्ट्रासाउंड

अल्ट्रासाउंड स्कैन मनुष्य के शरीर के हर हिस्से का किया जाता है। अल्ट्रासाउंड करने के लिए ट्रांसड्यूसर कई आकार के आते हैं। जो अलग-अलग जगहों का अल्ट्रासाउंड करने के लिए काम में आते हैं। जब ट्रांसड्यूसर मे करंट ऑन किया जाता है तो क्रिस्टल में वाइब्रेशन शुरु होता है। यह वाइब्रेशन ध्वनि तरंगे भेजता है। जो 1 से 18 मेगाहर्टज तक होती हैं। यह तरंगे मनुष्य के कान नही सुन सकते हैं। सोनोग्राफी शुरु करने से पहले एक पानी युक्त जेल जहां का अल्ट्रासाउंड होना है वहां की त्वचा पर लगाया जाता है। यह जेल ट्रांसड्यूसर और त्वचा के बीच में होने वाले हवा के छोटे से छोटे कणों को खत्म कर देता है। अल्ट्रासाउंड स्कैन आपकी गर्भावस्था के बारे में जरुरी और विश्वसनीय सूचना दे सकते हैं।

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