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अक्सर इंटर में मैथ्स सब्जेक्ट लेने वालों का इंटेलीजेंस
ज्यादातर स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के बारे में सोचते हैं और बायोलॉजी ऑप्ट करने वाले स्टूडेंट्स मेडिकल फील्ड में जाना चाहते हैं। जबकि इंजीनियरिंग या मेडिकल फील्ड में सर्वाइव करने के लिए जरूरी इंटेलिजेंस या एप्टीट्यूड हर स्टूडेंट में नहीं होता। इसीलिए कुछ ही स्टूडेंट्स इस फील्ड में सक्सेसफुल हो पाते हैं और ज्यादातर को अपनी फील्ड चेंज करनी पड़ती है। ऐसे में स्कूल के दौरान ही अपनी इंटेलिजेंस को पहचान लेना स्टूडेंट्स के लिए बहुत जरूरी होता है।

पहचानें अपनी खास इंटेलिजेंस
ह्यूमन्स में नौ तरह की इंटेलिजेंस मौजूद होती हैं- म्यूजिकल, इंटरपर्सनल, इंट्रापर्सनल, बॉडिली-काइनेस्थेटिक, लिंग्विस्ट, लॉजिकल-मैथेमेटिकल, स्पेशियल, एग्जिस्टेंशियल और नेचुरलिस्ट। हर करियर या सब्जेक्ट किसी न किसी इंटेलिजेंस से मैच करता है। जैसे- मैथ्स को इंटरेस्ट के साथ पढऩे वाले स्टूडेंट में लॉजिकल-मैथेमेटिकल इंटेलिजेंस ज्यादा अच्छी होती है। इसी तरह जिन स्टूडेंट्स को स्कूल में डिबेट्स में पार्टिसिपेट करना पसंद हो या जो बिना डरे अपनी ओपीनियन जाहिर करते हों, उनके अंदर मीडिया, लॉ, पॉलिटिक्स, जर्नलिज्म या कम्युनिकेशन जैसी फील्ड्स के लिए जरूरी एप्टीट्यूड होता है। ऐसे स्टूडेंट्स की इंटरपर्सनल इंटेलिजेंस अच्छी होती है। ऐसे में स्टूडेंट्स को अपने डेली रुटीन के पैटर्न्स को ऑब्जर्व करते हुए अपनी इंटेलिजेंस को आइडेंटिफाई करना चाहिए ताकि वे अपने लिए सूटेबल करियर चुन सकें।

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सिर्फ मार्क्स पर न करें फोकस
यह सही है कि करियर की प्लानिंग में हमारी स्कूल की परफॉर्मेंस एक बड़ा रोल प्ले करती है, लेकिन कभी भी मार्क्स के आधार पर अपनी स्किल्स या फिर इंटेलिजेंस को जज ना करें क्योंकि हमेशा यह जरूरी नहीं होता कि जिस सब्जेक्ट में आपके नंबर अच्छे आते हों, उसे पढऩे में आपका इंटरेस्ट भी उतना ही हो। कई बार किसी स्टूडेंट के मार्क्स किसी स्पेसिफिक सब्जेक्ट में अच्छे नहीं आते, लेकिन वो सब्जेक्ट उसे पसंद होता है। ऐसे में सिर्फ अपनी पसंद या नापसंद के आधार पर करियर से जुड़े फैसले ना लें, बल्कि अपने अंदर छिपी स्किल्स, एप्टीट्यूड और इंटेलिजेंस को आईडेंटिफाई करने की कोशिश करें क्योंकि तभी आप न सिर्फ एक बेहतर करियर बना सकते हैं, बल्कि अपने काम को एंज्वाय भी कर सकते हैं। इंडियन इंटेलिजेंस टेस्ट की रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट 15 अगस्त है।

करियर की प्लानिंग में हमारी स्कूल की परफॉर्मेंस एक बड़ा रोल प्ले करती है, लेकिन मार्क्स के आधार पर अपनी स्किल्स या इंटेलिजेंस को जज ना करें क्योंकि हमेशा यह जरूरी नहीं होता कि जिस सब्जेक्ट में आपके नंबर अच्छे आते हों, उसे पढऩे में आपका इंटरेस्ट भी हो।

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