टीवी क्यों कहलाता है स्मार्ट?
साधारण शब्दों में कहें तो स्मार्ट टीवी एक ऐसा टेलीवीजन है, जहां प्रोग्राम इंटरनेट के माध्यम से दिखाए जाते हैं। यह स्मार्ट टीवी किसी खास ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं जिनमें आप ऐप्लिकेशन और गेम डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अलावा वेब सर्फिंग, कंटेंट डाउनलोड और ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीम सहित अन्य सेवाओं का लाभ ले सकते हैं। हालांकि आज के स्मार्ट टीवी में केबल, एंटीना, सेट टॉप बॉक्स, सीडी और डीवीडी आदि का उपयोग कर सकते हैं। वहीं खास बात यह भी कि स्मार्ट टीवी में अपनी मैमोरी होती है और आप पेन ड्राइव या एक्सटर्नल ड्राइव का भी उपयोग कर सकते हैं। स्मार्ट टीवी की खासियत यहीं खत्म नहीं होती बल्कि इसमें आप यूट्यूब, फिटनेस ऐप, सोशल नेटवर्किंग, वीडियो चैट, एजुकेशन और लर्निंग सहित दूसरे ऐप्स को भी चला सकते हैं।

यदि आप स्मार्ट टीवी खरीदारी के बारे में सोच रहे होंगे तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें -

 

पहले समझें कमरे का साइज

वैसे तो किसी भी खरीदारी के लिए बजट बहुत जरूरी है। क्योंकि जितना बजट होगा उसी हिसाब से आप खरीदारी करेंगे। कम बजट में आपके पास 32-इंच या 40-इंच के टीवी का ही ऑप्शन होगा। परंतु यदि बजट है तो आप अपने कमरे के हिसाब से स्मार्ट टीवी का चुनाव कर सकते हैं। सबसे पहले देखें कि जहां आप टीवी रखने वाले हैं और जहां से बैठकर टीवी दूखना चहते हैं। उसकी दूरी कितनी है। 6 फिट, 8 फिट, 10 फिट या फिर उससे ज्यादा। स्क्रीन साइज का चुनावयदि टीवी देखने की जगह से टीवी रखने का स्थान 6 फिट तक का है तो 40—इंच का ही टीवी सही है। इससे बड़ा लेना बेहतर नहीं होगा। वहीं यदि दूरी 8 फिट या इससे थोड़ा ज्यादा है तो आप 55-इंच या 65-इंच के टीवी का चुनाव कर सकते हैं। 10 या 12 फिट की दूरी है तो 85-इंच का टीवी लिया जा सकता है। वहीं यदि आप बड़े से हॉल के लिए टीवी लेना चाहते हैं तो फिर 105-इंच की स्क्रीन वाला टीवी भी लिया जा सकता है। यह आपके हॉल की खूबसूरती भी बढ़ा देगा। स्मार्ट टीवी स्लिम होते हैं इसलिए ज्यादा जगह नहीं लेते हैं।

स्‍मार्ट टीवी खरीदने की सोच रहे हैं तो इसे पढ़े बिना काम नहीं चलेगा!

एडवांस ओएस होगा तभी रहेंगे सुखी

स्मार्ट फोन की तरह स्मार्ट टीवी में भी ओस का बड़ा रोल है। क्योंकि इसी के हिसाब से कंटेंट मिलेगा और ये ओएस अपने अलग—अलग खासियतों की वजह से जाने जाते हैं। यदि आप गेमिंग ज्यादा पसंद करते हैं तो टाइज़न ओएस वाले स्मार्ट टीवी बेहतर हो सकते है। टाइजन टीवी का निर्माण सैमसंग करता है। इमसें आपको वीडियो स्ट्रीम के अलावा ढेर सारे ऐप और गेम मिलेंगे। वहीं एलजी के स्मार्ट टीवी वेब ओएस पर कार्य करते हैं और ये इजी टू यूज के लिए माने जाते हैं। इनमें आपको बेहतरीन मोशन कंट्रोल का अहसास होग और वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाएं भी मिलेंगी। सोनी और शाओमी सहित कई दूसरी कंपनियां एंडरॉयड टीवी ऑपरेटिंग सिस्टम पर अपने टीवी का निर्माण करती हैं। हालांकि ये अलग—अगल यूआई का उपयोग करते हैं। इनमें आपको बेहतरीन गूगल कास्ट सपोर्ट मिलेगा। वहीं ऐप की भी भरमार मिलेगी। वीयू टीवी कंपनी पहले ओपेरा ओस का उपयोग करती थी लेकिन अब यह कंपनी भी अपने स्मार्ट टीवी के लिए एंडरॉयड टीवी का उपयोग करती है। टीसीएल जैसी कंपनी रोकु ओएस का उपयोग करती है जिनमें ऐप सर्च और वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाएं बेहतर मिलेंगी। आप अपने अनुसार बेस्ट ओएस का चुनाव कर सकते हैं।

 

लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की स्क्रीन जो दे पूरा मजा

स्मार्टफोन भले ही साल छह महीने में बदल लेते हों लेकिन टीवी की खरीदारी मुख्यत: 5 सालों में होती है। ऐसे में आप यही कोशिश करें कि ऐसी टेक्नोलॉजी लें जो जल्दी पुरानी न हो। ओएलईडी डिसप्ले की यही तकनीक है। इसमें रंग काफी निखर कर आएंगे और आखों को सूकून भी मिलेगा। वहीं यह कम बिजली खपथ के लिए जाना जाता है। फिलहाल ओएलईडी टीवी सबसे बेस्ट कहा जा सकता है।4के है तो बेहतर हैस्मार्ट टीवी आप इसलिए लेते हैं कि उस पर हाई डेफिनेशन कंटेंट का मजा लिया जा सके। ऐसे मे स्क्रीन रेजल्यूशन का ध्यान रखना जरूरी है। स्मार्ट टीवी में आज एचडी, फुल एची और 2के और 4के रेजल्शून वाले टीवी मौजूद हैं। आप 4के रेजल्यूशन वाले टीवी लेते हैं तो ज्यादा बेहतर है। हालांकि फिलहाल 4के चैनल्स ना के बराबर हैं लेकिन आप 4के वीडियो तो स्ट्रीम कर ही सकते हैं। एचडीआर करेगा ब्राइटमोबाइल हो या टीवी एचडीआर अर्थात हाई डायनेमिक रेंज का जिक्त्र आज आप काफी सुनते होंगे। यह डिसप्ले में ब्राइटनेस, कॉन्ट्रास्ट, और कलर को हाई करता है। ऐसे में दूर से भी आप स्पष्ट व्यू पा सकते हैं। इसलिए स्मार्ट टीवी खरीदारी के दौरान एचडीआर जरूर देखें। हां आपको बता दूं कि 1080 पिक्सल या इससे कम रेजल्यूशन वाले टीवी में एचडीआर का सपोर्ट नहीं मिलेगा। अल्ट्रा एचडी या 4के टीवी में ही एचडीआर मिलेगा।

 

टीवी के रिफ्रेश रेट का रखें ध्यान

कई टीवी में आपने गौर किया होगा कि अच्छे ग्राफिक्स देखने के दौरान या हाई डेफिनेशन वीडियो स्ट्रीम के दौरान पिक्चर थोड़ा ब्लर दिखता है। या फिर ऐसा लगेगा मानों थोड़ा धीमा प्ले हो रहा है और थोड़ा—थोड़ा अटक रहा है। ये सब परेशानी कम रिफ्रेश रेट की वजह से होता है। साधारणत: टीवी खरीदारी के दौरान सेल्स मैन आपको रिफ्रेश रेट की जानकारी नहीं देते और लोगों को भी इसके बारे में कम ध्यान है। परंतु स्मार्ट टीवी खरीदारी के दौरान इसका जरूर ध्यान रखें। आज बाजार में ज्यादातर 60 रिफ्रेश रेट वाले टीवी मौजूद हैं लेकिन आप 120 रिफ्रेश रेट वाले टीवी लें तो अच्छा है।

 

कॉन्ट्रास्ट रेशियो की खुद करें जांच

स्मार्ट टीवी खरीदारी के दौरान आपके सामने बुकलेट का अंबार लगा दिया जाएगा और बेस्ट कांन्ट्रास्ट रेशियो की बात कही जाएगी। परंतु आप 2 या अधिक टीवी पर एक साथ प्रॉपर के चैनल्स चला दें और जिसमें शार्पनेस सबसे बेहतर लगे उसे ही खरीदें। बुकलेट पर विश्र्वास न करें खुद से जांच के बाद ही फैसला करें।

 

कनेक्शन पोर्ट न हो शॉर्ट

स्मार्ट टीवी में आपके पास करने के लिए बहुत कुछ होता है। ऐसे में अक्सर आप एक्सटर्नल डिवाइस को कनेक्ट करते हैं। इसलिए जरूरी है कि टीवी में पोर्ट की कमी न हो। स्मार्ट टीवी की खरीदारी के समय ध्यान दें कि कम से कम उसमें चार एचडीएमआई पोर्ट हो। इसके अलावा 3—4 यूएसबी पोर्ट भी होना चाहिए।

 

टीवी में लगा हो बेजल लेस डिसप्ले, कर्वड टीवी महंगी पर फायदेमंद नहीं

आज स्मार्टफोन की तरह टीवी में भी बेज़ल अर्थात किनारों को कम से कम किया जा रहा है। इससे बड़ी स्क्रीन के बावजूद भी टीवी कम जगह लेता है और काफी स्टाइलिश भी दिखाता है। ऐसे में आप कोशिश करें कि बेज़ल लेस टीवी का चुनाव करें। कर्व्ड का करें ना: कर्वड टीवी के नाम पर काफी पैसे वसूल लिए जाते हैं। परंतु वास्तव में उसका बहुत फायदा है नहीं। इसलिए फ्लैट स्क्रीन ही लें जिसका व्यू एंगल बेहतर हो।

 

डॉल्बी फीचर आवाज में डाल देगा जान

बेहतर डिसप्ले और रिफ्रेश रेट होने के बाद भी यदि साउंड बेहतर न हो तो फिर सारा मज़ा खराब हो सकता है। ऐसे में स्मार्ट टीवी के खरीदारी के दौरान साउंट क्वालिटी पर जरूर ध्यान दें। डॉल्टी एटमॉस आदि का सपोर्ट होगा तो ज्यादा मजेदार लगेगा।

 

ऐक्सटेंडेड वारंटी के चक्कर में न पड़ें

टीवी खरीदारी के दौरान आपको ऐक्सटेंडेड वारंटी की बात कही जाती है। आप उनके चक्कर में बिलकुल न पड़ें।  कंपनी द्वारा दी जा रही बेसिक वारंटी ही रहने दें, ऐक्सटेंडेड वॉरंटी के लिए खर्च किए जाने वाले पैसों के मुकाबले उसका फायदा बहुत कम ही मिल पाता है।

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