एक गलत एटीएम ट्रांजेक्शन ने आइआइटियन की बदल दी जिंदगी
एटीएम में फंसी 10 हजार रुपये की रकम ने एक आइआइटियन की जिंदगी की राह बदल दी। आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) से एमटेक करने वाले देवेंद्र सिंह ने मेहनत की कमाई निकालने के लिए बैंक के साथ पांच महीने तक लड़ाई लड़ी और आरटीआइ (सूचना का अधिकार) को हथियार बनाकर रकम पाने में कामयाब रहे। अपनी इस लड़ाई के दौरान बैंकों के चक्कर काटकर परेशान हुए लोगों को देखा तो उनकी मदद को आगे बढ़े। राह में कानूनी दांवपेंच मुश्किल बनकर खड़े हुए तो इंजीनियरिंग छोड़ आरटीआइ के हथियार को और धारदार बनाने के लिए वह दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी कर रहे हैं।
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कर रहे एलएलबी की पढ़ाई, वकील बनकर करेंगे लोगों की मदद
देवेंद्र ने एटीएम में डूबी रकम निकालने के लिए आरटीआइ का सहारा लिया तो उन्हें कई कानूनी दांवपेंच का सामना करना पड़ा। मसलन, सीसीटीवी फुटेज को गोपनीय बताकर न देना, ट्रांजेक्शन डिटेल देने में आनाकानी करना। इसके बाद देवेंद्र ने एलएलबी करने की ठानी। वकील बनने के बाद मैं आरटीआइ के जरिए लोगों की अधिक मदद कर सकता हूं। कई बार लड़ाई लंबी होती है तो लोग हार मान लेते हैं। धैर्य रखें, सफलता जरूर मिलेगी।
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केस-1 : आरटीआई की मदद से मिली अरमापुर, कानपुर के देवेंद्र की डूबी रकम
अरमापुर कैलाश नगर निवासी देवेंद्र सितंबर 2016 में एटीएम से पैसे निकालने गए थे। एटीएम से रकम नहीं निकली, लेकिन खाते से 10 हजार रुपये कट गए। उन्होंने बैंक में शिकायत की तो टरका दिया गया कि ट्रांजेक्शन सक्सेसफुल है। इसके बाद देवेंद्र ने आरटीआइ के जरिए एटीएम रूम की सीसीटीवी फुटेज और ट्रांजेक्शन डिटेल मांगी, जिसे बैंक नहीं दे सका। इसे आधार बनाकर देवेंद्र ने भारतीय रिजर्व बैंक स्थित बैंकिंग लोकपाल से शिकायत की। लोकपाल ने मामला सुना। बैंक को आदेश दिया कि देवेंद्र की रकम वापस करे। इस जद्दोजहद में पांच महीने लग गए। बता दें कि आरटीआइ से जरिए मांगी सूचना के लिए एटीएम रूम की सीसीटीवी फुटेज, एटीएम की ट्रांजेक्शन रिपोर्ट और खाताधारक को भेजे गए एसएमएस काफी काम आए।
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केस-2 : बैंक की गलती से दूसरे के खाते में गई सब्सिडी की रकम दिलवाई
रावतपुर कैलाश नगर निवासी हरीशचंद्र शुक्ला का यूनियन बैंक अर्मापुर में खाता है और गैस एजेंसी से आने वाली सब्सिडी इसी में आती थी। बैंक ने जुलाई 2016 में केवाइसी अपडेट करते समय उनका आधार नंबर किसी विमलेश तिवारी के खाते से लिंक कर दिया। इससे हरीश के खाते में आने वाली गैस सब्सिडी विमलेश के खाते में जाने लगी। हरीशचंद्र बैंक के चक्कर काटते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने आरटीआइ से भारत पेट्रोलियम से जवाब मांगा। फिर वित्त मंत्रालय शिकायत की। उसके आदेश के बाद यूनियन बैंक ने केवाईसी तो अपडेट कर दिया, लेकिन सात महीने की सब्सिडी वापस नहीं की। इस पर बैंकिंग लोकपाल में शिकायत की गई। दिसंबर 2017 में लोकपाल ने हरीशचंद्र शुक्ल को 2,871 रुपये वापस करने के आदेश यूनियन बैंक को दिये और पैसा खाते में जमा हुआ।
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केस-3 : एटीएम से रुपये निकले नहीं बैलेंस कटा, वापस दिलवाई डूबी रकम
इसी तरह, केशवपुरम निवासी रितेश कुमार का मामला था। उन्होंने अप्रैल 2017 में एटीएम से 15 हजार रुपये निकालने की कोशिश की। इस दौरान स्क्रीन ऑफ हो गई और रुपये नहीं निकले, लेकिन खाते से रुपये कटने का मैसेज आ गया। रितेश ने अपनी बैंक शाखा में शिकायत की तो बैंक ने ट्रांजेक्शन सफल बताकर पैसे वापस करने से मना कर दिया। रितेश ने बैंक के ट्रांजेक्शन और सीसीटीवी फुटेज की डिटेल आरटीआइ से मांगी। बैंक ने नहीं दी। इस पर रितेश ने बैंकिंग लोकपाल को शिकायत की। लोकपाल ने बैंक आफ बड़ौदा को रितेश के एटीएम से कटे रुपये वापस करने के आदेश दिये। देवेंद्र ने अब तक अनेक लोगों के लिए इस तरह की लड़ाई लड़ी।
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Report by : बृजेश दुबे, कानपुर
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