- यमुना की जगह एसटीपी का पानी इस्तेमाल करने का दिया गया आदेश

- विभाग को 780 करोड़ मिले तो प्रोजेक्ट पर शुरू हो काम

ALLAHABAD:

मेजा और बारा थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट को चलाने के लिए यमुना नदी से पर डे करीब 150 क्यूसेक पानी पर डे लिफ्ट कर प्लांट तक ले जाने की तैयारी थी, लेकिन जिला अनुश्रवण और एनजीआरबीए के सदस्य पूर्व पार्षद कमलेश सिंह के शिकायत पर फिलहाल इसपर रोक लगा दी गई। एसटीपी का पानी थर्मल पॉवर प्लांट तक तभी पहुंचेगा, जब गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को 780 करोड़ रुपया मिलेगा।

पूर्व पार्षद ने छेड़ रखी है मुहिम

पूर्व पार्षद कमलेश सिंह ने गंगा-यमुना की जलधारा को स्वच्छ बनाने के लिए नदी बचाओ मुहिम छेड़ रखी है। उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिख कर मेजा और बारा थर्मल पॉवर प्लांट में यमुना से पानी ले जाए जाने का विरोध किया था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि यमुना में पहले से ही पानी की कमी है। ऐसे में अगर प्रति दिन 150 क्यूसिक पानी पॉवर प्लांट तक ले जाया जाएगा तो यमुना का जलस्तर काफी कम हो जाएगा। पूर्व पार्षद ने पीएमओ से यमुना नदी के जगह एसटीपी से निकलने वाला संशोधित पानी प्लांट तक ले जाने की मांग की थी।

मामले को गंभीरता से लिया

नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा जल संसाधन नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश राज्य गंगा नदी संरक्षण अभिकरण विभाग को पत्र लिख कर जांच का आदेश दिया। जिस पर गंगा नदी संरक्षण अभिकरण विभाग के तकनीकी सलाहकार ने संबंधित विभागों को पत्र जारी किया। यमुना का पानी पॉवर प्लांट तक ले जाने की बजाय एसटीपी से निकलने वाला संशोधित जल पॉवर प्लांट तक पहुंचाया जाए।

वर्जन-

प्रपोजल 780 करोड़ का बनाया गया था। क्योंकि गवर्नमेंट का आदेश था कि पॉवर प्लांट तक यमुना का पानी की बजाय एसटीपी का पानी पहुंचाया जाए। आदेश सारे एसटीपी को जोड़ कर पुल बनाने और पुल बनाकर यमुनापार ले जाने का प्लान बनाया गया है। पैसे की उपलब्धता हो तो काम शुरू किया जाएगा।

अजेय रस्तोगी

जीएम गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई