जंपिंग जैक सड़कें

सिटी की सड़कें किसी जंपिंग जैक से कम नहीं हैं। सिटी की मेन रोड हो या गली, किसी न किसी प्रोजेक्ट के लिए रास्ता खोद दिया गया है। कई जगह सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। दिल्ली रोड, अहमद रोड, सूर्या नगर यूनिवर्सिटी रोड, मोहनपुरी, थापर नगर आदि में गड्ढों से काफी प्रॉब्लम हो रही है, लेकिन इन्हें ठीक करने के लिए कोई भी तैयार नहीं है।

ये हो रही हैं तकलीफ

- पब्लिक को गड्ढों वाले रास्तों से गुजरने से बैक पेन काफी बढ़ गया है।

- टू-व्हीलर चलाने वालों को सर्वाइकल और शोल्डर पेन से जूछना पड़ रहा है।

- अगर बैक पेन लांग टर्म तक रहे तो इसका इफेक्ट टांगों पर भी पड़ सकता है।

- वहीं अगर सर्वाइकल और शोल्डर पेन ज्यादा दिनों तक रहे तो हाथों पर भी जा सकता है।

व्हिकल को भी खतरा

- टू-व्हीलर्स के इंजन में भी काफी बुरा असर पड़ता है।

- टू-व्हीलर्स के शॉकर्स लीक हो जाते हैं।

- फोर व्हीलर्स के एलाइंमेंट पर इफेक्ट पड़ रहा है।

- गाडिय़ों के सस्पेंशन पर इफेक्ट पड़ रहा है।

धूल भरी है जिंदगी

गड्ढों और टूटी सड़कों का टैंप्रेरी इलाज तो और भी ज्यादा खतरनाक होता जा रहा है। जहां इलाज नहीं भी किया गया है वहां भी पब्लिक के लिए भयावह स्थिति हो गई है। जी हां, शहर के कई इलाकों में धूल का गुबार हमेशा रहता है, जिससे लोगों को काफी प्रॉब्लम हो रही है। जिन्हें पहले से ही प्रॉब्लम है, उन्होंने सड़कों पर निकलना ही छोड़ दिया है। खैरनगर, विक्टोरिया पार्क, जली कोठी, केसर गंज, ऑल सेंट्स स्कूल के सामने, खैर नगर आदि इलाकों से लोगों का निकलना दुश्वार हो गया है।

 हो रही हैं तकलीफ

- हार्ट पेशेंट्स के लिए मुश्किल हो गई जिंदगी।

- अस्थामैटिक पेशेंट्स ने बंद किया सड़क पर निकलना।

- लोगों की आंखों में बढ़ रही है प्रॉब्लम।

-धूल से लोगों के घरों का सामान भी हो रहा खराब।

- दुकानों में रखे सामान पर धूल जमने से कारोबार प्रभावित।

कब मिलेगी जाम से मुक्ति

सिटी में ऐसी बहुत कम सड़के हैं, जहां ट्रैफिक जाम की समस्या न हो। लोगों का इन रास्तों से निकलना मजबूरी भी है, क्योंकि इनका ऑल्टरनेटिव नहीं है। यही नहीं फ्लाईओवर पर भी घंटों जाम लग जाता है। दिल्ली रोड, घंटाघर, भूमिया पुल, बेगमपुल, आबूलेन, कचहरी रोड कुछ ऐसी सड़कें हैं, जहां परमानेंट जाम की स्थिति लगी रहती है।

ये होती हैं समस्याएं

- सर्विस क्लास को ऑफिस पहुंचने में हो जाती है देर।

- ट्रैफिक जाम में एंबूलेंस फंसने से बढ़ जाती है पेशेंट को प्रॉब्लम।

- ट्रैफिक जाम के कारण रिहाइशी इलाकों से निकल रहा हैवी ट्रैफिक।  

- ट्रैफिक जाम से बढ़ रही डीजल और पेट्रोल की खपत।

- ट्रैफिक जाम में फंसने से गाडिय़ों में पड़ रहे स्क्रैच और डेंट।

'लगातार गड्ढों में गाड़ी चलाने से लोगों में सर्वाइकल प्रॉब्लम के चांसेज रहते हैं। साथ में बैक पेन और शोल्डर पेन की समस्या पैदा हो सकती है। अगर ज्यादा दिनों तक चलते हैं तो पूरी बॉडी पर इसका असर होता है.'

- डॉ। यशस्वी अग्रवाल, फिजियोथैरेपिस्ट

'अगर गड्ढों वाली सड़क पर ज्यादा गाडिय़ों दौड़ाई जाएं तो खासकर  फोर व्हीलर सस्पेंशन और अंडर बॉडी डैमेज होने का खतरा रहता है। साथ में गाड़ी की एलाइंमेंट भी आउट होती है। टू व्हीलर्स के शॉकर्स भी लीक होने खतरा रहता है.'

- निशांत शर्मा, ऑटोमोबाइल इंजीनियर

'सड़कों पर उडऩे वाली धूल अस्थामैटिक और हार्ट पेशेंट्स को ज्यादा तकलीफ देती है। वहीं लोगों के लंग्स में भी तकलीफ होती है। इसके अलावा आंखों में मिट्टी जाने से आंखों की रैटीना पर भी काफी असर पड़ता है.'

- डॉ। राहुल मित्थल, फीजिशियन